सीएम ने दिया एक लाख का ईनाम:अपहरणकर्ता मोटी रकम वसूलने के बाद कर सकते थे युवकों की हत्या

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अल्मोड़ा। पहाड़ की शान्त वादियों में घटित सनसनीखेज वारदात का खुलासा करते हुए एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पूरी कुमाऊँ पुलिस को हाई अलर्ट किया था डीआईजी कुमाऊँ परिक्षेत्र को नाबालिग बच्चों की सकुशल बरामदगी एवं अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु सख्त निर्देश दिये थे। डीजीपी ने घटना की मॉनिटरिंग करते हुए डीआईजी कुमाऊँ एंव एसएसपी अल्मोड़ा को तत्काल घटना के खुलासे के निर्देश दिये थे घटना के मात्र कुछ घंटे में दोनों अपहर्त नाबालिग बच्चे सकुशल बरामद कर लिये फिरौती में ली गयी नगदी एवम अपहरण में प्रयुक्त वाहन सहित चार अपहरणकर्ता गिरफ्तार किया। एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि खुलासा करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने कुछ ही घण्टों में घटना के सफल अनावरण एँव अपहर्त बालकों की सकुशल बरामदगी व अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम के उत्साहवर्धन हेतु की एक लाख रूपये नगद पुरूस्कार की घोषणा की। एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने मोटी रकम वसूलने के मकसद से वारदात की। बच्चों के साथ मारपीट भी की। त्वरित कार्रवाई न होती तो वह बच्चों को मार डालते। इसलिए सीएम पुष्कर सिंह धामी का फोकस बच्चों की सकुशल बरामदगी पर रहा। उसी के अनुरूप पुलिस ने रणनीति बनाई। फिरौती मिलने के बाद भी अपहरणकर्ता बच्चों के जीवन को नुकसान पहुंचा सकते थे। बड़े शहरों व पेशेवर अपराधियों से सीख लेकर जिस शातिराना अंदाज में वारदात को अंजाम दिया गया, वह यही संकेत दे रहा है। जिला पुलिस कार्यालय में पूछताछ के दौरान अपहरणकर्ताओं की मंशा भी साफ नजर आई। उन्होंने मोटी रकम ऐंठने को सुनियोजित तरीके से दोनों बच्चों को पीटकर स्वजनों को दबाव में ले लिया था। एक बच्चे एटीएम छीन हजार रुपये निकालने के बाद स्वजनों से छोटी किस्तों में ही सही, रंगदारी वसूलनी शुरू भी कर दी थी। पर्वतीय जिलों में अब तक की सबसे सनसनीखेत व अपहरण की पहली वारदात में लिप्त पांच अपहरणकर्ताओं में से विशाल आगरी, विकास पांडे व कमल आर्या ऊधम सिंह नगर में ही रहते हैं। विशाल मूल रूप से झिरौली बागेश्वर का रहने वाला है। मुख्य साजिशकर्ता नीरज टाकुली व मोहित टाकुली कपकोट ब्लाॅक के ही सूपी गांव से हैं। रातों रात अमीर बनने की चाहत ने उन्हें पहले मादक पदार्थों की तस्करी में धकेला। धन भूख बढ़ी तो अपहरण की साजिश रच डाली। सूत्र बताते हैं कि बीती बुधवार को पांचों एक वाहन खरीदने के सिलसिले में कपकोट पहुंचे थे। सौदा महंगा होने पर गांसी के दोनों बच्चों को अगवा कर स्वजनों से फिरौती मांगी। उन्हें उम्मीद थी कि दोनों परिवारों से मोटी रंगदारी मिल जाएगी। नीरज टाकुली ने दिल्ली में रहने वाले कृष्णा के बड़े भाई तारा सिंह को खाता नंबर देकर उससे भी रंगदारी मांगी। डरे सहमे तारा ने 21 हजार रुपये भेज भी दिए। इससे अपहरणकर्ता दबाव बढ़ाने लगे। स्वजनों को फिरौती की रकम जुटाने को मजबूर करने के लिए बच्चों को बेरहमी से पीटा गया। मुख्य साजिशकर्ता नीरज टाकुली व मोहित टाकुली कपकोट ब्लाॅक से ही हैं। कुछ दूर गांसी गांव के बच्चों का अपहरण व रंगदारी के लिए धमकाने के बाद अपहरणकर्ताओं का दिमाग बदल गया था। सूत्रों की मानें तो फिरौती लेने के बाद अगर वह बच्चों को छोड़ देते तो शिनाख्त तय थी। बच्चे उन्हें आसानी से पहचान लेते। लिहाजा अपहरणकर्ताओं ने फिरौती मिलने के बाद भी बच्चों को जिंदा न छोडने का मन बना लिया था।

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