उत्तराखंड में मुद्दो की भरमार,विपक्ष दिख रहा लाचार!

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सीएम का चेहरा भी घोषित कर सकता है कांग्रेस हाईकमान 
देहरादून (दर्पण ब्यूरो)। आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव के लिये सियासी दलों की तैयारियां तेज हो गई है। चुनाव मैदान में कूदने से पहले जहां नेताओं द्वारा लोकलुभावन घोषणाओं का पिटारा खोला जा रहा है वहीं निशुल्क बिजली देने का दाव भी खेला जा रहा है। ऐसे में स्थानीय मुद्दों के साथ ही विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले बढ़ने से प्रदेश में भाजपा की प्रचंड बहुमत सेे काबिज भाजपा सरकार के सामने अब एंटी इनकमबैक्सी के प्रभाव को रोकने की चुनौती खड़ी हो गई है। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में महज सात महीने का समय शेष हैं और विपक्ष की भूमिका पर चर्चाओं का दौर जारी है। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष व चकराता के विधायक प्रीतम सिंह ने मई, 2017 में संगठन की कमान संभाली थी। विस चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद किशोर उपाध्याय को पद से हटाकर कांग्रेस सरकार में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले कद्दावर नेता प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौप दी गई थी। इस दौरान प्रीतम सिंह ने पुराने सांगठनिक ढांचे के साथ अपने कार्यकाल की शुरूआत की और काफी मशक्कत के बाद कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की गई। इसके बावजूद प्रीतम सिंह पार्टी में गुजबाजी का संतुलन साधने में जुटे रहे। हालांकि नई टीम में भी पार्टी के सभी गुटों के प्रभावी नेताओं को जगह मिली है। जबकि अब चुनावी साल में एक बार फिर गुटबाजी का ज्वार उमड़ रहा है। कांग्रेस की वरिष्ठतम नेता एवं नेताप्रतिपक्ष की भूमिका निर्वहन कर रही श्रीमती इंदिरा हृद्येश के निधन के बाद पिछले कई दिनों से दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मंथन चल रहा है। वहीं उत्तराखंड के स्थानीय मुद्दो में गैरसैण कां स्थायी राजधानी घोषित करने, नया भू कानून लागू करने, रोजगार, विभागीय भर्तियों, बेलगाम महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य, बिजली, पानी समेत पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों, कोरोना काल में बढ़ती बेरोजगारी और कारोबारियों के आर्थिक नुकसान जैसे मुद्दो की भरमार है। इसके बावजूद कांग्रेस संगठन में अब भी खामोशी सी छायी हुई है। हांलाकि भाजपा सरकार के खिलाफ 2022 के चुनावी साल में दमखम दिखाने के लिए पार्टी अब सड़कों पर उतरने की रणनीति तय कर रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान कई राज्यों में संगठन स्तर पर व्यापक बदलाव करना चाहता है। उत्तराखंड में कांग्रेस के कई गुट अपने वर्चस्व को लेकर आपसी खींचतान के लिये चर्चाओं में छाई हुई है। बताया जाता है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को सीएम का चेहरा घोषित करने को लेकर विधायकों में गुटबाजी है। प्रदेश में सत्तासीन भाजपा सरकार में विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये जाते रहे है और खुद पार्टी के नेताओं द्वारा मित्र विपक्ष का आरोप लगाकर कही न कहीं आपसी वर्चस्व की आग को हवा देने का प्रयास किया है। इतना ही नहीं पूर्व सीएम हरदा पर भी एकला चलो की नीति पर काम करने का अरोप मढ़ा गया है। भले ही हरदा अपने अगल अंदाज के साथ सोशल मीडिया से लेकर कुंमाऊ और गढ़वाल की सियासी जमीन पर लगातार सक्रिय रहे हो परंतु हरीश रावत की यह मुहिम संगठन के कई नेताओं को रास नहीं आ रही है। इसका असर कई बार सतह पर दिखई दिया जब प्रदेश संगठन के बैनर से हरीश रावत की तस्वीर गायब कर दी गई। जबकि अधिकांश कार्यक्रम में उनकी गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठाये जाते रहे। भाजपा सरकार के पिछले साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में संगठन के जितने भी कार्यक्रम हुए है हरदा के कैपेन के सामने बौने साबित हुए है। स्थानीय उत्पादों और अपने कार्यकाल की योजनाओं को लेकर हरीश रावत संगठन से अगल होकर कार्यक्रम आयोजित कर रहे है। वहीं पिछले चार वर्षों में आंदोलन और पार्टी के कार्यक्रमों में प्रदेश संगठन के साथ उसके आनुषंगिक संगठन युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और कांग्रेस सेवादल की भागीदारी भी अच्छी-खासी रही है। बहरहाल अब कांग्रेस में अगर नया प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा घोषित किया जाता है तो फिर नए अध्यक्ष के सामने सभी गुटों को साधने की बड़ी चुनौती होगी। उत्तराखंड में आगामी 2022 के चुनाव से पहले तीसरे विकल्प की धमक के साथ आम आदमी पार्टी ने भी सक्रियता बढ़ाकर भाजपा और और कांग्रेस की सियासी फसल को काटने का खाका भी तैयार कर लिया है। आप के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी उत्तराखंड पहुंचकर प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कर दिया है, और जल्द ही सीएम का चेहरा भी घोषित कर दिया जायेगा। वहीं भाजपा सरकार में राजनीतिक अस्थिरता के बीच लगातार तीन मुख्यमंत्री बदलने को लेकर भी सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। हांलाकि सीनियर नेताओं की नाराजगी को दरकिनार करते हुए सबसे युवा चेहरे पर नया दांव खेल चुकी भाजपा ने अब एक बार फिर सीएम पुष्कर सिंह धामी के चेहरे पर चुनाव में जाने का ऐलान कर दिया है। अब प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं के साथ ही अन्य सियासी दल भी कांग्रेस हाईकमान के तीन अहम पदों पर आने फैसले का बेसबरी से इनतजार कर रहे है। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान कांग्रेस से सीएम का चेहरा भी घोषित कर सकता है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती गरिमा दसौनी के अनुसार संगठन के नेताओं में पद के लिये कोई खींचतान नहीं चल रही है। नये नेता प्रतिपक्ष के नाम और कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव पर व्यापक रणनीति तय की जा रही है अब घोषणा संभव है।

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