डीएम ने आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए शासन से मांगा हेलीकाॅप्टर
पिथौरागढ़ । भारी बारिश से जिले में बंद 56 सड़कों में सात सड़क यातायात के लिए खोल दी गई है। जिलाधिकारी ने शासन से फंसे लोगों को निकालने के लिए हैलीकाॅप्टर की मांग की है। सभी तहसीलों से जानकारी लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। मार्ग बंद होने से उच्च हिमालयी दारमा में फंसे अधिकारियों से वार्ता कर उनके रहने और भोजन की व्यवस्था कराई। जिलाधिकारी आनंद स्वरूप ने एनएच 125 टनकपुर -तवाघाट को जल्दी खोलने के निर्देश दिए हैं। फंसे लोगो को निकालने के लिए शासन से हैलीकाॅप्टर की मांग कर जिले में आपदा की स्थिति से अवगत कराया। जौलजीबी -मुनस्यारी मार्ग शीघ्र खोलने के लिए एसडीएम धारचूला और बीआरओ कमांडर को दो दिन के भीतर मार्ग का निरीक्षण कर मार्ग खोलने के लिए त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। दारमा मार्गमें कंच्योती के पास बहे पुल के स्थान पर अविलंब वैली ब्रिज बनाने , चीन सीमा से लगी दारमा घाटी में चल और सेला में ट्राली निर्माण के लिए मुख्य अभियंता लोनिवि अल्मोड़ा को कहा गया है। मानसून काल को देखते हुए जिले में चार अतिरिक्त ट्राली रखने को कहा गया है। रविवार को जिलाधिकारी आनंद स्वरूप ने उच्च हिमालयी दारमा घाटी में प्रशिक्षण के लिए गए विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों से भी बात करते उनके रहने और भोजन की व्यवस्था कराई। अधिकारी और कर्मचारी प्रशिक्षण के लिए करीब 17 लोग दारमा घाटी के दुग्तू गांव में है। दारमा घाटी को जोडने वाला मार्ग बंद होने से फंसे हैं। यह मार्ग तवाघाट से सोबला और सोबला से बालिंग तक कई स्थानों पर बंद हो चुका है। जिसके चलते अभी अधिकारियों और कर्मचारियों का वापस लौटना संभव नहीं है। प्रशिक्षण में उच्च हिमालय में गए विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के रहने और भोजन की व्यवस्था ग्राम प्रधान दांतू जमन सिंह दताल और रवि पतियाल, वैज्ञानिक शीतजल मत्स्यकीय भीमताल सहित ग्रामीणों ने की है। सभी कुशल और सुरक्षित हैं। एनएच बंद होने के कारण विकल्प बना अल्मोड़ा- सेराघाट- बेरीनाग मार्ग सेराघाट के निकट जोलियाखेत के पास चट्टðान दरकने से बंद हो गया है। मार्ग के सोमवार सायं तक खुलने के आसार हैं। मार्ग बंद होने से भारी संख्या में वाहन फंसे हैं। अल्मोड़ा- बेरीनाग मार्ग में रविवार की सायं सेराघाट के निकट जोलियाखेत में विशाल चट्टðान टूटने से मलबा आ गया है। मार्ग बंद होने की सूचना मिलते ही पुलिस , लोनिवि अधिकारी कर्मचारी और राजस्व टीम मौके पर पहुंच चुकी है। यहां पर दो किमी लंबा जाम लग गया है। टनकपुर -तवाघाट एनएच के घाट के पास बंद होने से इन दिनों इसी मार्ग से वाहनों का संचालन हो रहा है। पिथौरागढ से वाहन वाया थल बेरीनाग सेराघाट होकर अन्य जिलो और मैदानी क्षेत्रो के लिए जा रहे हैं। इस मार्ग से वाहनों को जिला मुख्यालय से आने जाने में लगभग 60 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। रविवार को इस मार्ग के बंद होने से वाहनों का संचालन संभव नहीं है। एनएच और सेराघाट मार्ग बंद होने के बाद अब विकल्प के तौर पर वाया थल , चैकोडृघ्ी , बागेश्वर होते हुए मार्ग रह गया है। इस मार्ग से वाहन संचालन होने पर वाहनों अल्मोड़ा , हल्द्वानी जाने के लिए नब्बे किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी। सेराघाट मार्ग बंद होने से सोमवार को जिले में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी संभव नहीं है। अल्मोड़ा/दन्यां । पहाड़ में आफत बनी बारिश से लोग सहम उठे हैं। बीते तीन दिनों से लगातार वर्षा ने दुश्वारियां भी बढ़ा दी हैं। सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण अल्मोड़ा घाट पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पांचवें दिन भी बंद रहा। यहां क्रोनिक जोन ओखलगाड़ा में रुक रुक कर भूस्खलन के बीच हालिया करीब दो करोड़ रुपये की लागत से बनी एनएच की सुरक्षा दीवार ही ध्वस्त हो गई है। इससे हाईवे पर संकट और बढ़ गया है। उधर दन्यां कस्बे के गौलीगांव में मूसलधार बारिश में पुरानी शैली में बना मकान धराशायी हो गया। हादसे में बुजुर्ग चोटिल हो गई। इधर अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे को दूसरे दिन जोखिम के बीच खोल दिया गया। पर्वतीय अंचल में दोपहर बाद बारिश थमने से कुछ राहत है। अबकी मानूसन के पहले ही झटके में अल्मोड़ा घाट पिथौरागढ़ हाईवे पर संकट थम नहीं रहा है। क्रोनिक जोन ओखलगाड़ा में अतिसंवेदनशील पहाड़ी के टूटने से शुरू मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। मकड़ाऊं गांव के सामाजिक कार्यकर्ता विपिन पंत के अनुसार पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने से पैदल गुजरना भी खतरे से खाली नहीं रहा। ओखलगाड़ा की पहाड़ी पर लगातार भूस्खलन से बिजली का खंभा खतरे की जद में आ गया है। पहाड़ दरकने का सिलसिला थमा नहीं तो पोल जमींदोज हो सकता है। ग्रामीणों ने विभाग को आगाह किया है कि बारिश व गीली जमीन में करेंट फैलने का जोखिम है। वहीं तमाम गांव ऊर्जा संकट में आ जाएंगे। गौलीगांव ;धौलादेवी ब्लाॅकद्ध के किशन राम पुत्र नाथू राम का पुरानी शैली में बना पत्थरों का मकान अतिवृष्टिड्ढ से भरभरा कर गिर गया। घबराहट में जान बचाने को भाग रही उसकी मां के सिर पर बल्ली गिरने से वह घायल हो गई। ग्रामीणों ने गरीब प्रभावित को मदद की गुहार लगाई है। वहीं आरेश्वर स्थित प्रसिद्ध मसाण देवता मंदिर का परिसर भी भूधंसाव की जद में है। पूर्व बीडीसी सदस्य हरीश जोशी व समाजिक कार्यकर्ता ईश्वर सिंह ने बताया कि आरागाढ़ कई दिनों से ऊफान पर है। भूकटाव बढने से मंदिर की बुनियाद को नुकसान की आशंका है। धौलादेवी ब्लाॅक में तीन बड़ी पोखरी भटवाड़, खूनाखाल व बिनखेत पेयजल योजनाएं ध्वस्त हो गई हैं। इससे दन्यां समेत करीब 40 ग्राम पंचायतों की जलापूर्ति ठप हो गई है। बीते चार दिनों से लगातार वर्षा से जनजीवन ठहर सा गया है। अब तक सुरक्षित पहाड़ी पर भूस्खलन से द्वाराहाट भगतोला रोड मलबे से पट गई है। चीड़ के पेड़ भी धराशायी हो गए हैं। बैरती बसभीड़ा आंतरिक रोड भी मलबा गिरने से बंद हो गई है। वहीं कुथलाड़, भैंसगाढ़, भुमक आदि बरसाती नाले उफान पर हैं। क्षेत्र में कई पैदल मार्ग भी ध्वस्त हो गए हैं। रामनगर गनियाद्योली स्टेट हाईवे पर खंडाखाल में भूस्खलन से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन खतरे की जद में आ गया है। बारिश में मलबा खिसकने से सीएचसी की बुनियाद को नुकसान पहुंच रहा है। चीड़ के पेड़ धराशायी होने से भी जोखिम बढ़ गया है। बागेश्वर। जिले में हो रही मूसलधार बारिश के कारण चार मकान ध्वस्त हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय मकानों के आंगन ध्वस्त हो गए हैं। जिससे घरों को भी खतरा बना हुआ है। प्रभावितों ने पड़ोसियों के घरों में शरण ली है। जिला प्रशासन नुकसान का आंकलन करने में जुट गया है। जिला प्रशासन के अनुसार घटनाओं में किसी भी प्रकार की जन और पशुहानि नहीं है। पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। जिसके कारण आवासीय घरों पर भी खतरा मंडराने लगा है। भारी बारिश से ढूंगापाटली निवासी कुशाल सिंह पुत्र जैंत सिंह का आवासीय मकान टूट गया है। जिसके कारण परिवार के लोगों ने अन्यत्र शरण ली है। फल्टनियां निवासी देवकी पत्नी हीरा सिंह का मकान ध्वस्त हो गया है। खुनौली निवासी जनार्दन कांडपाल पुत्र नारायण दत्त कांडपाल की गौशाला ध्वस्त हो गई है। कांडा तहसील के दौलीगाड़ निवासी शंकर दत्त पुत्र गंगा दत्त का मकान ध्वस्त हो गया है। काफलीगैर तहसील के पगना गांव निवासी गोपाल दत्त भट्टð पुत्र हरीश भट्टð का शौचालय, विशन लाल पुत्र नारायण राम के मकान के आंगन की दीवार, आशा देवी पत्नी बहादुर राम के आंगन की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई है। अतिवृष्टि से चामी निवासी हेम चंद्र पांडे पुत्र भुवन चंद्र पांडे के मकान का आंगन ध्वस्त हो गया है और मकान को खतरा बना हुआ है। मकान ध्वस्त होने पर चार परिवारों ने पड़ोसियों के यहां शरण ली है। जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल ने कहा कि क्षेत्रीय पटवारी नुकसान का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन प्रभावितों को हरसंभव मदद कर रहा है। बारिश के फायदे भी हैं नुकसान भी। एक तरफ धान आदि फसल के लिए, भूगर्भ रीचार्ज के लिए बेहतर है। वहीं दूसरी तरफ पहाड़ में बारिश से बहुत नुकसान हो रहा है। भूस्खलन व पत्थरों के गिरने से आवागमन बाधित हो रहा है। लोगों के मकान ढह रहे हैं। इससे लोगों को खासी परेशानी हो रही है। विभाग क्षतिपूर्ति के लिए आंकलन में जुट गया है, जिससे उन्हों दोबारा से बेहतर जिंदगी शुरू करने का मौका मिले। गोपेश्वर। चमोली जिले में बीते चार दिनों से हो रही बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। बारिश से चमोली जिले में 87 संपर्क मोटर मार्ग बाधित चल रहे हैं। बारिश होने के कारण सुदूरवर्ती सड़कों की मरम्मत व मलबा हटाने का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। हालांकि कई स्थानों पर बारिश के दौरान ही ग्रामीण खुद ही सड़कों से मलबा साफ कर आवाजाही सुचारू करने में जुटे हुए हैं। प्रशासन सड़कों को खोलने के लिए बारिश बंद होने का इंतजार कर रहा है। बारिश से )षिकेश बदरीनाथ, कर्णप्रयाग ग्वालदम व जोशीमठ मलारी हाईवे बंद हैं। कर्णप्रयाग ग्वालदम हाईवे नलगांव, पंती, थराली तिराहा, कर्णप्रयाग गैरसैंण हाईवे जंगलचटटी, )षिकेश-बदरीनाथ हाईवे कंचनगंगा, रड़ांग बैंड, गोविदघाट, टैया पुल तथा जोशीमठ-मलारी हाईवे रैंणी में सड़क टूटने से अवरुद्ध है। रैंणी में वैकल्पिक मार्ग से पैदल आवाजाही कराई जा रही है। सिमली प्रतिनिधि के अनुसार बारिश से पिडर व आटागाड़ नदियां उफान पर हैं। सिमली में पिडर नदी का जल स्तर बढ़ने से निर्माणाधीन मोटर पुल के गार्डर क्षतिग्रस्त होकर बह गए हैं। राहत की बात यह है कि पुल के ढांचे को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा है। यहां पर सुरक्षा दीवार, चैकडैमों को नुकसान हुआ है। नदी के किनारे बसे विद्यापीठ, न्यू डिम्मर, पीपलसेरा, सिमली बाजार, न्यू मार्केट, पेट्रोल पंप बस्ती के निवासी रात्रि को डर के मारे टटेश्वर मंदिर में शरण लेकर रतजगा कर रहे हैं। रुद्रप्रयागः जिले में रविवार को बारिश कम हुई, लेकिन क्षतिग्रस्त मोटर मार्गाे की संख्या 37 से बढ़कर 40 हो गई। मोटर मार्ग को खोलने का प्रयास तो किया गया, लेकिन बारिश होने से आवाजाही के लिए नहीं खुल सके। मोटर मार्ग अवरुद्ध होने से जिले के 90 से अधिक गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा हुआ है। शीघ्र मोटर मार्ग नहीं खुले तो इन क्षेत्रों में बीमार लोगों की दवा के साथ ही जरूरी सामान की किल्लत पैदा हो जाएगी।वहीं गौरीकुंड हाईवे भी रविवार को सोनप्रयाग व गौरीकुंड के बीच अवरुद्ध रहा, जबकि रुद्रप्रयाग व तिलबाड़ा के बीच भी भटवाड़ीसैंड में बंद रहा। वहीं बद्रीनाथ हाईवे सुबह नरकोटा में अवरुद्ध था, लेकिन 8 बजे यहां पर आवाजाही सुचारू हो गई। वहीं उप जिलाधिकारी सदर बृजेश तिवारी ने कहा कि लोनिवि, पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को ग्रामीण मोटर मार्ग शीघ्र खोलने के निर्देश दिए जा चुके हैं। मार्ग जल्द से जल्द खुलने की उम्मीद है। पौड़ीः पौड़ी जनपद में 91 मोटर मार्गों पर रविवार को वाहनों की आवाजाही बाधित रही। जगह-जगह मलबा या भूस्खलन होने से यह स्थिति पैदा हुई। बंद हुए मार्गों में सतपुली-एकेश्वर मोटर मार्ग, मैठाणाघाट- ढौर-जाखणी-तकुलसारी, बैंजरो- जोगमंडी-सराईखेत, जिला मार्ग के अलावा मरचूला-सराईखेत-बैंजरों राज्य मार्ग भी बाधित भी शामिल हैं। भारी बारिश के चलते पाबौ ब्लाक के मिलाई गांव में एक आवासीय भवन का पुश्ता टूटने से भवन को व पौड़ी-श्रीनगर हाइवे पर मल्ली में भी एक घर में मलबा घुसने से मकान को खतरा पैदा हो गया। इसके अलावा गडोली गांव में भी एक मकान का पुश्ता ढहने से उसे खतरा पैदा हो गया है। बंद मार्गाे को खोलने में बारिश बाधा बन रही है। नई टिहरीः बारिश के कारण )षिकेश-बदरीनाथ हाईवे ब्यासी के पास भारी मलबा आने के कारण सुबह करीब सात बजे बंद हो गया। मलबा हटाने के लिए यहां पर दो जेसीबी लगाई गई। दोपहर करीब एक बजे मलबा हटाए जाने पर करीब आठ घंटे बाद हाईवे सुचारू हो पाया। बीती शनिवार को भी ब्यासी के पास घंटों तक हाईवे बंद रहा था। लगातार हो रही बारिश से ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बंद होने का सिलसिला जारी है। जिले के सीताकोट-बनाली, घुत्तु-गंगी, बागी-सिलारी, सेंदुल-घोंटी, गजा-तमियार, रामपुर-श्यामपुर, बनाली-तल्ली, गहड़ पल्या, डागर-कोठार, सुपाणा-द्वारी, मोलका-कुंडी, खोलधार-पंयाकोटी, नैनीसैण-भटवाड़ा, गड़ ग्रामीण मोटर मार्ग बंद हैं, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बारिश से प्रतापनगर के गोदड़ी में विवेक नौटियाल ने नवनिर्मित भवन का आंगन क्षतिग्रस्त हो गया ह,ै जिससे भवन को खतरा बना है। जिले में अभी तक बारिश से नुकसान के समाचार नहीं हैं। उत्तरकाशी: यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग रविवार को सात घंटे तक बंद रहा। रविवार की सुबह करीब चार बजे खरादी के पास आलवेदर निर्माण क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ। आॅलवदेर रोड का निर्माण करने वाली कंपनी की टीम मौके पर पहुंची तथा हाईवे को सुचारू करने में जुटी। करीब सात घंटे बाद रविवार दोपहर राजमार्ग सुचारू हुआ। वहीं जनपद में चार संपर्क मार्ग बंद हैं, जिन्हें खोलने के लिए पीएमजीएसवाई और लोनिवि की टीम जुटी हुई है।
किच्छा बैराज के गेट खोलने पर फसल डूबी
किच्छा। गोला नदी का जल स्तर बढ़ने पर एहतियात के तौर पर किच्छा बैराज के सारे गेट खोल दिए। जिससे गोला के मुहाने पर लगी किसानों के गन्ने की फसल डूब गई। तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने सुबह ही पूरे क्षेत्र का निरीक्षण कर स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए राजस्व उप निरीक्षकों को बिना सूचना दिए अपना क्षेत्र न छोड़ने के निर्देश दिए है। शनिवार मध्य रात्रि गोला बैराज काठगोदाम से पानी छोड़े जाने के बाद किच्छा बैराज का जल स्तर भी बढ़ गया। ऐहतियातन अवर अभियंता सिचाई खंड रुहेलखंड डिवीजन डीडी शर्मा ने बैराज के सभी गेट खुलवा दिए। मध्य रात्रि किच्छा बैराज पर 30 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज होने से गोला के मुहाने पर किसानों द्वारा बोई गई फसले पानी में डूब गई। पूरी रात गोला में तेज बहाव चलता रहा जो रविवार सुबह जाकर कम हुआ और दोपहर तक 17 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया। रविवार सुबह गोला से पानी छोड़े जाने की जानकारी मिलने पर तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने सतुईया, कोटखर्रा आदि गोला के मुहाने पर बसे क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। गोला ने भारी कटान करते हुए आसपास की भूमि को लील लिया। हालांकि तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी ने किसी तरह के नुकसान न होने की बात कर स्थिति को नियंत्रण में बताया है। बताया कि राजस्व विभाग हालात पर नजर रखे हुए है, किसी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए राजस्व विभाग अलर्ट पर है। बाजपुर: पर्वतीय क्षेत्र के साथ ही मैदानी इलाके में हो रही बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर आने लगे हैं। क्षेत्र से होकर गुजर रही कोसी व दाबका नदियों के जलस्तर में भी जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो गई है। ऐसे में इन नदियों के आसपास बने कई कच्चे मार्ग भू-कटाव की वजह से बंद हो गए हैं और नदी पार के कई गांवों का शहर से सीधा संपर्क भी टूट गया है। स्थानीय प्रशासन ने नदियों के आसपास व बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में रह रहे ग्रामीणों से सतर्कता बरतने की अपील की है। साथ ही बाढ़ चैकी प्रभारियों को भी प्रत्येक गतिविधि पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।