कोरोना से खिलवाड़: काम नहीं कर रहे आक्सीजन स्तर मापने वाले चाइनीज पल्स आक्सीमीटर
विधान सभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने उठाए सवाल
अल्मोड़ा। कोरोना से जंग के बीच आक्सीजन स्तर मापने वाले उपकरणों की खरीद पर खुद सत्तापक्ष के विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने पल्स आक्सीमीटरों की खरीद पर सवाल उठा प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। वहीं कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये सरकार की मुहिम को झटका लग सकता है। जबकि स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही से लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है। विस उपाध्यक्ष के मुताबिक चूंकि उन्होंने खुद अपने हाथों से आक्सीमीटर बांटे हैं। तमाम आक्सीजन का स्तर गलत बता रहे तो कई तो काम ही नहीं कर रहे। इससे उनकी छवि तो धूमिल हो ही रही। प्रशासन व राज्य सरकार की साख भी खराब हुई है। रीडिंग गलत होने के कारण जो आक्सीमीटर बच गए हैं, वह सीडीओ को वापस कर दिए गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह का कहना है कि मेरी विधायक निधि से जो भी उपकरण खरीदे जाएं वह ब्रांडेड होने चाहिए। सीडीओ साहब को बता दिया है। उन्होंने परीक्षण भी कर लिया है। हमने खराब व गलत रीडिंग दे रहे पल्स आक्सीमीटर संबंधित कंपनी को लौटाने व विधायक निधि से भुगतान न करने को कहा है। इसमें कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मैंने आक्सीजन जनरेटर कंसंट्रेटर मशीनें खरीद को भी बजट स्वीकृत किया है। वह भी ब्रांडेड खरीदे जाएं। वर्ष 2020-21 में भी मैंने विधायक निधि से 1.15 करोड़ रुपया दिया। उसका विवरण मुझे आज तक नहीं मिला है। विस उपाध्यक्ष के मुताबिक उनकी निधि से 643 आक्सीमीटर खरीदे गए। इन्हें बीते मंगलवार को हवालबाग ब्लाॅक में बांटे गए। चैहान के अनुसार ये उपकरण ब्रांडेड कंपनी के बजाय चायनीज निकले हैं। सीडीओ नवनीत पांडे ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। पल्स आक्सीमीटर चाइनीज तो नहीं हैं। हवालबाग के साथ ही द्वाराहाट ब्लाॅक से भी आक्सीमीटर खराब होने या आक्सीजन स्तर गलत दर्शाने की शिकायतें मिली हैं। हम संबंधित कंपनी को नोटिस भेज रहे हैं। जिन लोगों को बांटे गए हैं, वापस मंगा लिए हैं। भुगतान भी रोका गया है।
स्वास्थ्य महकमे पर बरसे हरदाः ग्रामीण अंचलों में नहीं हो पा रहा है मेडिकल दवाओं की किट का उपयोग
देहरादून। कोरोना महामारी से जूझ रहे प्रदेशवासियों की संक्रमण से बचाव के लिये मेडिकल किट गांव गांव तक पहुंचाने की मुहिम के बीच अब स्वास्थ्य विभाग द्वारा होम आईसोलेशन के लिये मेडिकल किट में भेजे जा रहे खराब आक्सीमीटर समेत होम क्वारंटाईन किये गये प्रवासी लोगों को मेडिकल किट नहीं मिलने की शिकयतो को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किये है साथ ही पहाड़ के सुदूरवर्ती क्षेत्रो में लोगों से मेडिकल किट का उपयोग करने की अपील की है। बुधवार को सोशल मीडिया पर फेसबुक पोस्ट में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने बताया है कि उत्तराखंड के कई हिस्सों से मुझे शिकायत आई है कि ग्रामीण अंचलों में जो दवाओं की किट में मेड इन चाइना के आक्सीमीटर भेजे जा रहे हैं, वो आक्सीमीटर काम ही नहीं कर रहे हैं और काम कर रहे हैं तो गलत रीडिंग दिखा रहे हैं। स्वस्थ आदमी का आक्सीजन लेवल 50 दिखा दे रहा है और यदि उसमें उंगली के बजाए कोई और पदार्थ वहां पर डाला जा रहा है तो उसमें भी आक्सीमीटर उसी तरीके से रीडिंग दिखाने लग जा रहा है, जिस तरीके से उंगली डालने पर करता है और मैं समझता हूंँ इन आक्सोमीटर्स की जांच आवश्यक है, ये बल्क में खरीदे गये हैं। दवाइयों की किट में भी लोगों की शिकायतें आगे आई हैं, ग्रामीण अंचलों में यूं ही सरकार और मेडिकल सुविधाएं दिखाई नहीं दे रही है और उस पर थोड़ा कुछ यदि मेडिकल किट इत्यादि मिलती लोगों को, दवाइयों का लोग उपयोग करते तो वो भी सब नहीं हो पा रहा है, जो उत्साही नौजवान हैं वो बराबर मुझको सूचना देकर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं, यदि सरकार का कोई व्यक्ति मेरी इस ट्वीट को पढ़ या देख रहा हो तो इसका संज्ञान लें।