जिला प्रशासन ने सेना से मांगी कैंप में मौजूद श्रमिकाें की सूची,सात घायलों को सेना अस्पताल जोशीमठ में भर्ती कराया
चमोली। उत्तराखड के चमोली जिले मेें चीन-तिब्बत सीमा पर सुमना-दो में शुक्रवार को आए हिमस्खलन में दस व्यत्तिफ़यों की मौत हुई है, जबकि सात घायलों को सेना अस्पताल जोशीमठ में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है। घायलों में से गंभीर एक को देहरादून के सेना अस्पताल भेजा गया है। वहीं, 391 लोगों का रेस्क्यू किया गया है। जोशीमठ के सुमना-दो बीआरओ कैंप में बीती दोपहर बाद हिमस्लखन हुआ। इस दौरान बीआरओ के दो कैंप पूरी तरह तबाह हो गए। इन कैंपों में 400 से 450 के बीच व्यत्तिफ़यों के मौजूद होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बताया गया कि जब हिमस्लखन हुआ तो वहां हिमपात हो रहा था। हिमस्खलन को देखकर कैंप में मौजूद लोग भागने लगे। अफरा-तफरी का माहौल था। देखते ही देखते हिमस्लखन से कैंप तहस नहस हो गया। लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे। हिमस्ऽलन की आवाज से घटना की सूचना कुछ ही दूरी पर मौजूद सेना के माहर रेजीमेंट और गढ़वाल राइफल के अधिकारी, जवानों को लगी तो वे तत्काल रेस्क्यू कार्यों में जुट गए। सेना ने ही जोशीमठ हेडक्वार्टर में इसकी सूचना दी। बीआरओ हेडक्वार्टर को घटना की जानकारी शाम को मिल पाई। सेना के जवानों ने 391 व्यत्तिफ़यों को सुरक्षित रेस्क्यू कर सेना कैंप में पहुंचाया, जिसमें सात घायलों को शनिवार को हेलीकाप्टर से रेस्क्यू कर जोशीमठ लाया गया। इसके लिए सेना के चार हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। सेना रेस्क्यू का अपडेट भी ट्वीट कर दे रही है, जिससे जनमानस सहित दूरसंचार सेवाओं से कटे इस क्षेत्र की जानकारी जा सके। सुरक्षित बचाए गए लोग सेना के कैंप में हैं। सुमना तक पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से जोशीमठ 60 किमी, जोशीमठ से मलारी 62 किमी व मलारी से सुमना 26 किमी सड़क मार्ग से दूरी तय करनी पड़ती है। यह सड़क सीमावर्ती चौकी रिमिऽम जाती है। सुमना से रिमिखम की दूरी 14 किमी है। सड़क मार्ग मलारी से पहले कोषा के पास अवरुद्ध है। यहां से आगे सुमना तक भी सड़क पर भारी बर्फ जमी हुई है और जगह जगह हिमखड आने से यह मार्ग अवरुद्ध है। ऐसे में सड़क मार्ग से घटना स्थल तक पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं है। बीआरओ ने अभी तक सेना व प्रशासन को कैंप में मौजूद व्यत्तिफ़यों की सूची नहीं दी है। हालांकि, बताया गया कि 290 मस्टरोल मजदूर व 400 से 450 तक व्यत्तिफ़यों के दोनों कैंपों में मौजूद होने की बात मौिऽक आधार पर कही है। जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि सेना की टीम बीती रात से ही घटना स्थल पर रेस्क्यू के कार्य में जुटी हुई है। बताया कि बीती रात दो शव व शनिवार को छह शव बरामद किए गए हैं। बीआरओ की टीम घटना स्थल से छह किमी पहले पहुंच चुकी है। सड़क खलने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। बीआरओ के अधिकारियों से कैंप में मौजूद व्यत्तिफ़यों की सूची मांगी गई है। पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने कहा कि रेस्क्यू में लगे सेना के अधिकारियों ने बताया कि बीआरओ ने क्षतिग्रस्त कैंप में 400 से 450 तक व्यत्तिफ़यों के मौजूद होने की बात कही है। निश्चित संख्या की सूची बीआरओ से मांगी गई है। तभी लापता व्यत्तिफ़यों को लेकर कोई संख्या बताई जा सकती है। शुक्रवार दोपहर को हुए हिमस्लखन के बीच यदि सेना के जवान वत्तफ़ पर न पहुंचे होते तो तस्वीर अलग हो सकती थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर के पास सेना के शिविरों में तैनात जवानों ने मोर्चा संभाल सैकड़ों जानें बचा लीं। घटना स्थल सुमना से करीब आधा किलोमीटर दूर महार रेजीमेंट और गढ़वाल स्काउट के भी शिविर हैं। बताया जा रहा है कि दोपहर बाद जैसे ही हिमस्खलन हुआ तो तेज गर्जना भी हुई। गर्जना सुनकर कुछ जवान सतर्क हुए और तत्काल घटनास्थल की ओर भागे। चमोली के पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि सेना ने तत्काल मोर्चा संभालकर वहां मौजूद श्रमिकों को निकालना शुरू कर दिया। सेना उन्हें अपने शिविर में ले आई। सूत्रें के अनुसार सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों ने अभी तक शिविर में मौजूद श्रमिकों की सूची सेना व प्रशासन को नहीं सौंपी है। जोशीमठ में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के साथ बैठक में भी यह मुद्दा उठा। सेना के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि फिलहाल बीआरओ श्रमिकों की संख्या के बारे में नहीं बता पा रहा है। बताया गया कि बीआरओ के कैंप में 290 मस्टरोल के साथ और भी श्रमिक थे। ऐसे में लापता की संख्या बढ़ने की आशंका है। सीमा सड़क संगठन के कैंप में हिमस्ऽलन से मची तबाही के बाद लापता व्यत्तिफ़यों को तलाशने के लिए सेना ने अपने आर्मी एवलांच रेस्क्यू डॉग को भी लगाया है। ये डॉग बर्फ में सूंघकर बर्फ में दबे व्यत्तिफ़यों को खजने में मदद करेंगे। सेना के अधिकारियों ने बताया कि घायलों के रेस्क्यू के लिए चार हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आठ घायलों को जोशीमठ के सेना अस्पताल उपचार के लिए लाया गया है।