जंगलों में लगी भीषण आग का उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया,प्रमुख वन संरक्षक तलब

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हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई,कोविड19 के दौर में  घातक सिद्ध हो सकता है वनाग्नि का धुंआ
नैनीताल। प्रदेश के जंगलों में लगी भीषण आग से उपजे हालातों का उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। इस संबंध में जनहित याचिका पर आज मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चैहान व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने वनों की आग के मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाने के साथ ही प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी को बुधवार को सुबह सवा दस बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में तलब किया है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने न्यायालय के सामने क्षेत्र के हालातों को रखा, जिसके बाद न्यायालय इन घटनाओं को लेकर गंभीर दिखा। अधिवक्ता मैनाली ने बताया कि न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि हर वर्ष होने वाली इन गतिविधियों के लिए सरकार स्थाई व्यवस्थाएं क्यों लागू नहीं करती है ? न्यायालय ने सरकार से इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई कि कोविड19 के दौर में लोगों को सांस लेने में दिखकत आ रही है और वनाग्नि का धुंआ उनके लिए और भी घातक सिद्ध हो सकता है । खंडपीठ ने पी.सी.सी.एफ.से बुधवार को वर्चुअल मोड के माध्यम से न्यायालय में उपस्थित रहने को कहा है ।कोर्ट ने पूछा कि 2016 के कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने तब आधुनिक उपकरण क्रय करने समेत दावानल नियंत्रण को जरूरी कदम उठाने के आदेश पारित किए थे।  जंगलों में आग लगने के कारण पर्यावरण पर भी संकट आ गया है।

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