कुंभ में एसओपी थोपकर श्रद्धालुओं को रोकना अन्याय: स्वरूपानंद सरस्वती

0

हरिद्वार। महाकुंभ स्नान के लिए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार देर शाम को कनखल स्थित मठ पहुंच गए। यहां उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में संत समाज के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनका स्वागत किया। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण उन्हीं राज्यों में फैल रहा है, जहां केंद्र सरकार चाहती है। पश्चिम बंगाल और असाम में चुनाव हैं, वहां संक्रमण का कोई खतरा नहीं है, लेकिन सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्व महाकुंभ पर कोविड का खौफ दिखाकर श्रद्धालुओं को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कोविड का खौफ दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकती। कोविड का खतरा है तो इसके बचाव के प्रबंध किए जाएं। कनखल स्थित शंकराचार्य मठ पहुंचे जगद्गुरु शंकराचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि महाकुंभ 12 साल बाद आता है। सनातनी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं। विशेष काल और विशेष स्थान पर कुंभ स्नान का महत्व होता है। इस दृष्टि से देश-दुनिया से श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। हरिद्वार कुंभ में गंगा तट पर स्नान और दान करने से अनंत फल मिलता है। इसलिए वह खुद भी आए हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में कोविड की मानक संचालन प्रक्रिया एसओपी थोपकर श्रद्धालुओं को रोकना और स्नान से वंचित करना अन्याय है। सरकार को श्रद्धालुओं की सेवा का पूरा प्रबंध करना चाहिए। बाॅर्डर पर जांच की सुविधा बढ़ानी चाहिए। श्रद्धालुओं को भी कोविड के प्रति जागरूक होना होगा। जगद्गुरु ने कहा कि भारत में लोकतंत्र है। लोकतंत्र में सरकार जनता की सेवक है, लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार सेवक नहीं अभिभावक बन गई है। किसानों ने कृषि कानून बनाने की मांग नहीं की, लेकिन सरकार ने कानून थोप दिए। किसान वोटर है। सरकार बनाता है तो बदलने की भी ताकत रखता है। ज्योतिष और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शुक्रवार को हरिद्वार पहुंचे। कनखल स्थित मठ में ढोल नगाड़ों और बैंड बाजों के साथ शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया। मठ में शंकराचार्य के दर्शन को साधु संतों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.