बड़ी खबर..कुमाऊं की काशी में नहीं लगेगा सुप्रसिद्ध उत्तरायणी मेला,श्रद्धालुओं में मायूसी
श्रद्धालुओं को कोविड-19 के तहत बनी गाइडलाइन का पालन करना होगा
बागेश्वर। मकर संक्रांति पर्व पर कुमाऊं की काशी बागेश्वर में आयोजित होने वाला उत्तरायणी मेला कोरोना संक्रमण के चलते औपचारिक होगा। स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को कोविड-19 के तहत बनी गाइडलाइन का पालन करना होगा। इसके अलावा जनेऊ संस्कार आदि भी लोग आयोजित कर सकेंगे। उत्तरायणी मेले के दौरान मकर संक्रांति के दूसरे दिन राजनीति पंडाल सरयू बगड़ में लगाने की परंपरा है। यहां से भाजपा, कांग्रेस, आप, उक्रांद समेत अन्य दल अपनी बात जनता तक पहुंचाते हैं। जिससे चुनाव की वैतरणी पार करने का लक्ष्य भी यहां से साधा जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह कार्यक्रम भी स्थगित रह सकता है। शनिवार को जिला कार्यालय सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी विनीत कुमार ने की। धाद्दमक, पौराणिक, एतिहासिक और व्यापारिक मेला उत्तरायणी का लेकर चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान समय कोरोना संक्रमण का है। धाद्दमक गतिविधियां संचालित की जानी है। स्वास्थ मंत्रालय के दिशा-निर्देश के अनुसार नियमों का पालन करना अनिवार्य है। बैठक में तय किया गया कि इस बार उत्तरायणी मेला विगत वर्षों की भांति भव्य नहीं होगा। धाद्दमक अनुष्ठान, गंगा स्नान और जनेऊ संस्कार भी चिर्ििंत स्थानों पर हो सकेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम, व्यापारिक गतिविधियां, विकास प्रदर्शनी, स्टाल आदि नहीं लगाए जाएंगे। पालिका घाटों की सफाई करेगी। अस्थाई शौचालयों की व्यवस्था भी होगी। मेले के दौरान आने वाले लोगों की मुख्य चैराहा और मार्गों पर थर्मल स्क्रीनिग होगी। मास्क और शारीरिक दूरी नियम का पालन करना होगा। सैनिटाइजेशन और हाथ धोने की व्यवस्था भी की जाएगी। इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी। मकर संक्रांति पर्व और मेला अवधि तक मंदिर और मुख्य चैराहों पर लाइटिग की व्यवस्था होगी। अलाव आदि भी जलेंगे। पुलिस शांति और यातायात व्यवस्था बनाए रखने को बेहतर एक्शन प्लान तैयार करेगी। व्यापारी बिना मास्क के किसी को भी सामान नहीं देंगे। पेट्रोल पंप में भी ईधन नहीं मिलेगा। बैठक में जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार, नगर पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल, गोविद बिष्ट, ब्लाक प्रमुख गोविद दानू, मुख्य विकास अधिकारी डीडी पंत, उपजिलाधिकारी राकेश चंद्र तिवारी, योगेंद्र सिंह, प्रमोद कुमार, अधिशासी अधिकारी राजदेव जायसी, हरीश सोनी, रणजीत सिंह बोरा, इंद्र सिंह परिहार, दलीप खेतवाल, गोविद भंडारी, बालादत्त तिवारी आदि मौजूद थे। गौरतलब है कि कुमाऊं की काशी में मकर संक्रांति पर्व पर आयोजित होने वाला उत्तरायणी मेला इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मेले की तैयारियों को लेकर चर्चायें तेज हो गई है। यह मेला 14 जनवरी से शुरू होता है। दस दिनों तक चलने वाले मेले में लगभग सात करोड़ रुपये का व्यापार होता है। 55 लाख रुपये की धनराशि पालिका निर्माण और अन्य कार्याे में व्यय करती है। अलबत्ता मेले से जहां व्यापारियों को लाभ मिलता है वहीं स्थानीय लोगों के लिए भी सालभर में कमाई का साधन है। उत्तरायणी मेला कुमाऊं का सुप्रसिद्ध मेला है, जिसकी पहचान देश-विदेश तक है। कुमाऊं-गढ़वाल के अलावा मेले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, कलकत्ता, मुंबई से लेकर अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में व्यापारी, कलाकार आदि लोग यहां आते हैं। स्थानीय लोगों को भी मेले का वर्षभर इंतजार रहता है। इस साल कोरोना संक्रमण के कारण मेले की तैयारियां अभी शुरू नहीं हो सकी हैं। जबकि दिसंबर तक पालिका निर्माण कार्याे को अमलीजामा पहना देती थी। झूले, चर्खे, घाटों की सफाई, सरयू नदी पर अस्थाई पुलों का निर्माण समेत आधे से अधिक काम धरातल पर उतर जाते थे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तय हो जाती थी और कलाकारों को भी आमंत्राण पहुंच जाता था। इसके अलावा बाहर से आने वाले व्यापारियों का पंजीकरण आदि शुरू हो जाता था। गत वर्षाे के उत्तरायणी मेले के अनुसार पालिका विभिन्न निर्माण कार्याे में 55 लाख रुपये से अधिक धनराशि का व्यय करती थी, जिससे स्थानीय ठेकेदार, मजदूरों का इसका सीधा लाभ मिलता था। इसके अलावा बाहर से आने वाले व्यापारी लगभग सात करोड़ रुपये का यहां व्यापार करते थे। उत्तरायणी मेले को लेकर अभी किसी भी प्रकार की तैयारियां नहीं हैं, लेकिन सरयू-गोमती और विलुत्प सरस्वती के संगम पर तीन दिनों तक स्नान करने वाले श्रद्धालु तो आएंगे। उनके लिए भी अभी तक किसी भी प्रकार की व्यवस्थाएं नजर नहीं आ रही है।