डीजीपी अशोक कुमार ने संभाली कमान,तबादलो पर टिकी निगाहें
डीजीपी ने कहा: उत्तराखंड पुलिस को संवेदनशील और मानवीय बनाना लक्ष्य,आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा
देहरादून। उत्तराखंड के डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी के रिटायरमेंट के बाद अब तक डीजी लाॅ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी निभा रहे अशोक कुमार ने प्रदेश के नए डीजीपी का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। उनको निवर्तमान डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने चार्ज सौंपा। उससे पहले पुलिस लाइन में विदाई और शपथ ग्रहण कार्यक्रम आयोजित किया गया। उत्तराखंड पुलिस को 1989 बैच आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार के रूप में उत्तराखंड पुलिस को नया डीजीपी मिल गया है। नये डीजीपी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए अपनी उपलब्धियों गिनाते हुए कहा कि उत्तराखंड में कानून का राज स्थापित किया जायेगा। मानवीय आधार पर ट्रांसफर चाहने वाले अधिकारी और कर्मियों को प्रार्थना पत्र देने के लिए अधिकारियों के सामने पेश नहीं होना पड़ेगा। बल्कि उनसे पहले आनलाइन ही आवेदन लिए जाएंगे। जिसका समाधान समिति करेगी। इसके लिए 9411112780 व्हाट्सएप नंबर जारी किया गया है। आवेदन मिलने के बाद पुलिसजन समाधान समिति फील्ड अधिकारियों एसएसपी, एसपी, सीओ, सेना नायक और डीजीपी से समस्या का निस्तारण कराया जाएगा। जिसकी समीक्षा डीजीपी करेंगे। प्रदेश में अब पुलिस आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अंतर्गत सिटी पुलिस को शॉर्ट रेंज हथियार देने की तैयारी है। इसके लिए जल्द ही शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके साथ ही ऑनलाइन पोस्टमार्टम और ट्रेफिक इंश्योरेंस की भी कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश में अभी पुलिस के पास जो हथियार हैं, वे अधिकतर लंबी दूरी के हैं। शहर के बीच मुठभेड़ होने की स्थिति में इन हथियारों की गोलियां आमजन के लिए भी खतरा बन सकती हैं। इसे देखते हुए अब शार्ट रेंज हथियारों की खरीद को कदम बढ़ाए जा रहे हैं। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य उत्तराखंड पुलिस को देश की सबसे तेज, चतुर, आधुनिक, प्रशिक्षित, संवेदनशील और मानवीय पुलिस बनाना है। इसके लिए शासन से समन्वय कर पुलिस के आधारभूत ढांचे में और सुधार लाया जाएगा। पुलिस के सिटीजन पोर्टल को और सुविधाजनक बनाने के लिए इसमें नई सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। ऑनलाइन पोस्टमार्टम के जरिये मृतक के स्वजनों को इसकी रिपोर्ट जल्द ही एक क्लिक में उपलब्ध हो सकेगी। इसी तरह दुर्घटना के मामलों में भी राहत राशि का त्वरित निस्तारण किया जा सकेगा। नवनियुत्तफ़ डीजीपी ने कहा कि उनका उद्देश्य पुलिस के कार्यों में पारदर्शिता लाना भी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही पुलिस मुख्यालय को विस्तार देने की दिशा में भी कार्यवाही की जा रही है। बदलेंगे पुलिस में तबादलों के मानक प्रदेश में अब जल्द ही पुलिस के मैदानी व पर्वतीय जिलों में होने वाले तबादलों के मानकों को बदलने की तैयारी है। इसके तहत पर्वतीय क्षेत्रें में तैनाती की सेवा अवधि को कम किया जा सकता है। अभी प्रदेश में मैदानी व पर्वतीय क्षेत्र में तैनाती आठ साल से लेकर 16 साल तक के लिए होती है। देखने में यह आया है कि पर्वतीय क्षेत्रें में लंबी तैनाती अवधि को देऽते हुए कार्मिक वहां जाने से कन्नी काटते हैं। जो वहां एक बार तैनात हो जाता है, उसे वापस मैदानी क्षेत्रें में आने के लिए काफी परेशानी होती है। इसे देखते हुए पुलिस मुख्यालय अब इसमें बदलाव करने के पक्ष में है। इसे लेकर जल्द ही शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि कांस्टेबल स्तर के अधिकारियों के लिए पर्वतीय क्षेत्र में सेवा अवधि 16 वर्ष से 10 वर्ष और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों के लिए 10 वर्ष से छह वर्ष करने की तैयारी है। आईपीएस अशोक कुमार पुलिस में ज्वाइन करने के बाद से सही लगातार उत्तराखंड में काम करते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के समय में वो चमोली जिले में तैनात रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान भी उनकी तैनाती यहीं रही। इसके अलावा तराई खासकर ऊधमसिंह नगर में खामिस्तान आतंकवाद की जड़ों को उखाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलवा विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने कई शानदार उपलब्धियां अपने और उत्तराखंड पुलिस के नाम दर्ज की। खाकी में इंसान किताब लिखी, जिसे भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में सराहना मिली है।