मजदूर-किसान विरोधी कानून पारित कर रही मोदी सरकार
हल्द्वानी । अखिल भारतीय आम हड़ताल के अंतर्गतत आज बु(पार्क में विभिन्न यूनियनों व संगठनों ने संयुत्तफ रूप से प्रदर्शन कर धरना दिया। बु(पार्क में प्रदर्शन के साथ हुई सभा को संबोधित करते हुए भाकपा ;मालेद्ध के उत्तराखंड राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, 26-27 नवंबर को पूरे देश के मजदूर किसानों ने अपने देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन के माध्यम से लगातार मजदूर-किसान विरोधी कानून पारित कर रही मोदी सरकार की विदाई का बिगुल बजा दिया है।आज संविधान दिवस के मौके पर मजदूर वर्ग ने देश के संविधान पर हो रहे हमलों से संविधान और संविधान प्रदत्त अधिकारों को बचाने की लड़ाई लड़ने का ऐलान करते हुए साफ कर दिया है कि जिस तरह अंग्रेजों के कंपनी राज के खिलाफ संघर्ष चलाते हुए उसे खत्म किया उसी तरह इस नए कंपनी राज के खिलाफ जिसमें मजदूरों-किसानों को काॅरपोरेट की गुलामी की ओर धकेला जा रहा है इसके खिलाफ मजदूर आरपार की लड़ाई लड़ने को तैयार है। आल इंडिया सेंट्रल काॅउंसिल आॅफ ट्रेड यूनियंस ;ऐक्टूद्ध के प्रांतीय महामंाी काॅमरेड के.के.बोरा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा सरकारी फैक्ट्रियों, निगमों, विशालकाय संस्थाओं को बेचा जा रहा है और दूसरी तरफ मजदूरों के हितैषी 44 लेबर कानून खत्म कर दिए गये है। ये सब लुटेरे क्रोनी कारपोरेट पूंजीवाद को पनपाने के लिए किया जा रहा है। इसके चलते सभी कामगारों चाहे वो वाइट काॅलर जाॅब के प्रोफेशनल हों या मध्यवर्गीय निम्नवर्गीय मजदूर हों,सब को बंधुवा मजदूरी की ओर धकेला जा रहा है। मोदी सरकार ने बड़े संघर्षों से प्राप्त मजदूरों को मिलने वाले प्रोटेक्शन को खत्म कर भयावह बेरोजगारी को बढ़ाने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। कुल मिलाकर मजदूरों के लिए बने श्रम कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार ने पूंजीपतियों को मजदूरों को आम की गुठली की तरह चूसने और फेंक देने के लिये दबंग छूट दे दी है।इसलिए मजदूरों को गुलाम बनाने की व्यवस्था के खिलाफ ये हड़ताल लगातार संघर्ष का ऐलान है। अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि, ष्मजदूरों की हड़ताल को किसानों का समर्थन और किसानों के आंदोलन को मजदूरों का सक्रिय समर्थन आज की मोदी सरकार के खिलाफ वत्तफ की जरूरत है। मजदूरों किसानों के खिलाफ नीतियां बनाना मोदी सरकार को भारी पड़ेगा।क्रालोस के अध्यक्ष पी.पी.आर्य ने कहा कि,ष्मजदूर ही देश का भाग्य बदलने की कूवत रखते हैं देश मजदूर वर्ग के नेतृत्व में ही बराबरी के सपने को पूरा कर सकता है। इसलिए मजदूरों की हड़ताल का ऐतिहासिक महत्व है।की हड़ताल में ऐक्टू, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, संसेरा श्रमिक यूनियन, भाकपा ;मालेद्ध, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, सीटू से जुड़ी राज्य पथ परिवहन यूनियन, अखिल भारतीय किसान महासभा, पछास, ओरिएंटल बैंक स्टाफ एसोसिएशन उत्तराखंड, बीमा कर्मचारी संघ, जायडस वैलनेस मजदूर यूनियन, पंजाब बेवल्स मजदूर यूनियन, पोस्टल यूनियन, ऐपवा, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र आदि ने हड़ताल व समर्थन में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए। जिसमें मुख्य रूप से राजा बहुगुणा, के.के. बोरा, आनंद सिंह नेगी, पी पी आर्य, बहादुर सिंह जंगी, राजेन्द्र कुमार वालिया, डाॅ कैलाश पाण्डेय, कुशाल सिंह रावत, अमित सिंह, टी आर पांडे, रिंकी जोशी, नीता, रीना बाला, आनंद बल्लभ जोशी, चंद्रशेखर लोहनी, प्रीति रावत, गीता, सरोज रावत, रंजना, बच्ची सिंह बिष्ट, रजनी, विमला खाी, लीला परिहार, ममता , सरिता साहू, हरीश भंडारी, मोहन मटियाली, उमेश, ललित मटियाली, दीपक काण्डपाल, जोगेन्दर लाल, धन सिंह, शेखर, सुनील, उमेश, प्रकाश, मनोज आर्य, नवजोत सिंह परिहार, प्रकाश कपकोटी, ललित जोशी, विपिन कुमार, संकरन सिंह सामंत, आदि बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।