नेता प्रतिपक्ष का सरकार पर हमला: किसान अपना धान लेकर दूसरे खरीद केंद्रों पर जाने को मजबूर

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हल्द्वानी। नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश ने राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि एक ओर जहां भाजपा सरकार किसानों की आय दुगुना करने एवम की बात एवम अपने को किसानों हमदर्द साबित करने का प्रयास करती है। वहीं राज्य में सहकारिता विभाग द्वारा बनाए धान खरीद केंद्रों को बंद कर दिया है। अब यहां खाद्य विभाग के खरीद केंद्रों से ही धान का क्रय होगा। वहीं जो छोटे किसान जिनका 10 से चालीस कुंतल तक धान तौला जाना है। उन्हें अपना धान लेकर दूसरे खरीद केंद्रों पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार ने एक करोड़ कुंतल धान खरीदने का लक्ष्य रखा था, यदि यह लक्ष्य पूरा हो गया था तो सरकार का यह दायित्व तो बनता है कि वह समस्त धान खरीदे। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि धान की खरीददारी पूर्ण न होने तक सहकारिता विभाग के खरीद केंद्रों को सक्रिय रखने की मांग की। वहीं अभी तक 99 लाख कुंतल धान की खरीद ही हो सकी है जिसमें से पचास लाख कुंतल धान यूपी के किसानों से खरीदा है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कृषि कानून के आधार पर किसान कहीं भी अपनी फसल को बेचने के लिए स्वतंत्र है। अभी राज्य के किसानों ने अपना पांच लाख कुंतल धान का विक्रय करना है। राज्य सरकार प्रदेश के किसानों से लगभग 30 लाख कुंतल धान खरीद चुकी है। इंदिरा ने कहा कि अभी तक इसकी देय धनराशि लगभग 650 करोड़ रुपये हो चुकी है। वहीं अभी तक राज्य सरकार 100 करोड़ का भुगतान यहां के किसानों को किया है। वहीं कच्चे आढ़तियों राइस मिलर्स द्वारा भी 70 लाख कुंतल धान खरीदा जा चुका है। उनके द्वारा 1300 करोड़ रुपये के सापेक्ष 400 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यहां के किसानों का समय से भुगतान को लेकर एक याचिका हाईकोर्ट में डाली गई थी। इधर न्यायालय ने सरकार ने लिखित रूप से जवाब दाखिल कर कहा था कि रवि और खरीफ का भुगतान 48 घंटों से लेकर एक सप्ताह के के भीतर करवा दिया जाएगा लेकिन 41 दिन गुजरने के बाद भी यह भुगतान नहीं हुआ है। जिस कारण किसान गेंहू बोने से वंचित हो रहे हैं। वहीं उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि शीघ्र पूरी फसल की खरीद का इंतजाम करे और खरीदे गए धान का मूल्य किसानों को दे। मांगें नहीं माने जाने पर कांग्रेस किसानों के साथ सड़कों पर उतरने का मजबूर होगी।

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