भाजपाईयों का मौन बहुत दिलचस्पः कांग्रेस में वापसी की कर रहे प्रार्थना!
अपनी ही पार्टी में घिरे हरदा ने किया काउंटर अटैकः श्रम कर्मकार कल्याण बोर्ड के 38 बच्चों को निकाल दिया गया है, उनकी कोई गलती नहीं
देहरादून(उद ब्यूरो)। उत्तराखंड कांग्रेस में घमासान के बीच चुनावी हार से पार्टी में चैतरफा घिरते जा रहे पूर्व सीएम हरीश रावत ने अपने अंदाज में पलटवार करते न सिर्फ सियासी विराधियों का घेरने का दाव चल दिया बल्कि इस बयान से भाजपा भी खासा बेचैन होती दिख रही है। उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को कर्मकार बोर्ड से हटाने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार की जीरो टाॅलरेंस पर सवाल खड़े कर दिये है। इतना ही भ्रष्टचार की जांच को लेकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही उन्होंने भाजपा संगठन की चुप्पी पर निशाना साधा है। सोशल मीडिया पर लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर रूख अख्तियार कर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक पोस्ट में लिखा है कि मजदूरों के लिये बने कर्मकार बोर्ड में 400 करोड़ का घोटाला, मगर एस.आई.टी. का गठन तो छोड़िये स्पेशल आॅडिट से भी परहेज, खैर भाजपा का मजदूरों से वास्ता ही क्या? मजदूर तो कांग्रेस की जिम्मेदारी हैं। वहीं एक अन्य पोस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखा है कि दल बदलू बनाम रूठे हुये की बहस में भाजपा का मौन बहुत दिलचस्प है। शायद भाजपा यह मानकर चल रही है कि दल-बदलू कह कर ले जाओ या रूठे हुये बताकर ले जाओ, मगर ले जाओ, अब हमारा पल्ला छोड़ो। कई भाजपाई जो वर्षों से पद प्रतिष्ठा की उम्मीद में थे, वो तो मंदिर जाकर इन दल-बदलूओं की कांग्रेस में वापसी की प्रार्थना भी कर रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को भली भांति मालूम है कि इन दल-बदलूओं वाले क्षेत्र में भाजपा की हार निश्चित है, इनकी कुछ सेवा कांग्रेसजन करेंगे, रही सही भाजपा के कार्यकर्ता करेंगे।लोग, नये लोगों को नौकरियां देते हैं। भाजपा के राज में लोगों को निकाला जा रहा है, अब श्रम कर्मकारकल्याण बोर्ड के 38 बच्चों को निकाल दिया गया है, उनकी कोई गलती नहीं है, वो पहले भी शोषण के शिकार हुये और अब अन्याय के शिकार हो रहे हैं। यदि घोटाला है वहां, तो राज्य के हित में उसकी जांच होनी चाहिये, लेकिन उसके लिये गरीब बच्चों को दंडित करना कहीं भी न्याय संगत नहीं है। पिछले कई दिनों से कांग्रेस में धड़ेबाजी की बाते सुर्खियों में छाई हुई है जिसमें खुद हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह एक दूसरे पर पिछली चुनावी हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने का प्रयास कर रहे है। इतना ही नहीं हरीश रावत ने कांग्रेस की सभी सीटों पर हुई हार का जिम्मेदारी लेने का दावा करते हुए कांग्रेस नेताओं को सधा हुआ संदेश भी दिया है। हांलाकि कांग्रेस अध्यक्ष को पदमुक्त करने की मांग उठाने वाले नेताओं की नये प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के समक्ष यह दांव बेअसर कर गया। हांलाकि प्रदेश प्रभारी ने तब एक अंब्रेला के नीचे पार्टी नेताओं द्वारा आंदोलन चलाने का फरमान दिया गया है। इसके बावजूद अब पार्टी में एक बार फिर विधानसभा चुनाव से पूर्व नये चेहरे को लेकर जोरदार खींचतान शरू हो गयी है। कांग्रेस के नेताओं का एक समूह सोशल मीडिया पर खुलकर प्रतिक्रियायें व्यक्त कर रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की मजबूत नेतृत्व में ही आगामी विधानसभा का चुनाव लड़ा जायेगा क्योंकि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को दो दो सीटों से हार का सामना करना पड़ा है। जबकि दूसरे पक्ष पर आरोप लगाया जा रहा है कि पार्टी को कमजोर किया जा रहा है । बहरहाल ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आखिर बागी नेताओं की वापसी को लेकर कांग्रेस पार्टी और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच एकराय बनती या नहीं यह फिलहाल भविष्य के गर्भ में ही छिपा हुआ है।
दिल्ली में शिव प्रकाश से हरक सिंह रावत ने की मुलाकाल
देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर खफा चल रहे श्रम मंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत ने दिल्ली प्रवास के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न मसलों पर चर्चा की। श्रम मंत्री डाॅ. रावत पूर्व में कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा भी देख रहे थे। हाल में शासन ने उनकी जगह बोर्ड के अध्यक्ष पद पर शमशेर सिंह सत्याल की नियुत्तिफ कर दी थी। कहा गया था कि सरकार के आदेश पर बोर्ड का पुनर्गठन किया गया है। इसके बाद समूचा बोर्ड ही बदल दिया गया था। डाॅ.रावत ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर की थी। सूत्रों के अनुसार इस बीच एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने दिल्ली गए कैबिनेट मंत्री डाॅ.रावत ने शनिवार को वहां भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश से भी मुलाकात की। हालांकि, इस दौरान किन-किन बिंदुओं पर चर्चा हुई ये तो साफ नहीं हो पाया, लेकिन सियासी गलियारों में यह मुलाकात चर्चा का विषय जरूर बनी हुई है। शासन ने होम्योपैथ विभाग के निदेशक पद पर डाॅ. राजेंद्र सिंह की तैनाती की है। वह अभी कार्यवाहक निदेशक के तौर पर विभाग में तैनात हैं। मूल रूप से उनका पद संयुत्तफ निदेशक होम्योपैथ का है। प्रदेश में अभी तक निदेशक होम्योपैथ पद पर शासन अथवा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तैनात होते थे। यह पहली बार है जब होम्योपैथिक चिकित्सा कैडर का कोई अधिकारी पूर्णकालिक निदेशक के पद पर पहुंचा है। डाॅ. राजेंद्र कुमार के निदेशक का पदभार ग्रहण करने पर विभाग के संयुत्तफ निदेशक डाॅ. आनंद वल्लभ भट्टð, उप निदेशक डाॅ. कमलजीत सिंह एवं डाॅ. स्नेहलता रतूड़ी व रजिस्ट्रार डाॅ. शैलेंद्र पांडेय आदि ने उनका कार्यालय में स्वागत किया। डाॅ. सिंह 28 वर्ष से विभाग में सेवारत हैं।