विधायक और महिला के मुकदमे की जांच में आया नया मोड़
गढ़वाल आईजी ने डीआइजी के अनुरोध पर पौड़ी जिले की पुलिस को सौंपी जांच
देहरादून। भाजपा विधायक महेश नेगी प्रकरण की जांच में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है। हांलाकि अब तक की जांच में पुलिस किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंची है जिससे विपक्ष लगातार राज्य सरकार पर विधायक को बचाने का आरोप लगा रहा है। इतना ही नहीं महिला और उसके वकील की माने तो दून पुलिस की जांच टीम राजनीतिक दबाव मे काम कर रही है।जबकि सीबीआई से निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। पीड़ित महिला की ओर से दून पुलिस की कार्यशैली पर उठाए गए सवालों के बाद गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक आइजी अभिनव कुमार ने मामले से जुड़े दोनों मुकदमों की जांच दून पुलिस से हटाकर पौड़ी जिले में श्रीनगर की थानाध्यक्ष दीक्षा सैनी को सौंप दी है। इतना ही नहीं महिला के खिलाफ ब्लैकमेलिंग प्रकरण की जांच के बाद तैयार आरोप पत्र की फिर से समीक्षा की जा रही है। आइजी ने कहा कि जांच में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया। 13 अगस्त को विधायक महेश नेगी की पत्नी रीता ने देहरादून के नेहरू काॅलोनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि द्वाराहाट में उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला विधायक को ब्लैकमेल कर रही है। महिला ने उनसे पांच करोड़ रुपये की मांग की थी। मांग पूरी न करने पर विधायक को दुष्कर्म के झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। पुलिस ने इस मामले में महिला सहित चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। पुलिस ने पिछले दिनों इस प्रकरण की जांच कर आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया था। आईजी के आदेशों के बाद यह आरोप पत्र वापस ले लिया गया है। इस मामले की फिर से जांच की जाएगी। इसके अलावा महिला ने भी विधायक महेश नेगी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया और दावा किया कि उनसे एक बेटी भी है। उन्होंने पुलिस को इस आशय की तहरीर सौंपी, लेकिन लंबे समय तक पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। बाद में कोर्ट के आदेश पर पुलिस हरकत में आई और मामला दर्ज किया गया। आइजी अभिनव कुमार ने बताया कि महिला की ओर से विधायक पर लगाए दुष्कर्म के आरोप की जांच गहनता से की जाएगी। विधिक राय लेने के बाद महिला की बेटी का डीएनए टेस्ट भी कराया जाएगा। पहले दोनों मुकदमों की जांच अलग-अलग जांच अधिकारी कर रहे थे। दोनों के बीच तालमेल की कमी थी। यही वजह रही कि एक मामले में आरोपपत्र तैयार कर दिया, जबकि दूसरे की जांच अब भी जारी है। अब एक ही अधिकारी को दोनों जांच सौंपी गई हैं। विधायक पर आरोप लगाने वाली महिला पहले से ही जांच पर सवाल उठा रही थी। इसलिए पहले मामले की जांच नेहरू काॅलोनी पुलिस को सौंपी गई। इसके बाद विशेष जांच शाखा ;एसआईएसद्ध को यह जिम्मेदारी दी गई। एसआईएस की जांच अधिकारी पर भी महिला ने सवाल उठाए। महिला सीबीआई जांच की मांग कर रही है। आइजी अभिनव कुमार ने बताया कि डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने 17 सितंबर को उन्हें एक पत्र भेजा। इसमें अनुरोध किया कि विधायक पर आरोप लगाने वाली महिला पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं है। इसके बाद डीआइजी ने 16 नवंबर को पुनः जांच स्थानांतरित करने का अनुरोध किया। जांच की निष्पक्षता व पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए दोनों विवेचनाएं पौड़ी गढ़वाल स्थानांतरित की गई हैं। डीआइजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि मामला संवेदनशील होने के कारण आइजी गढ़वाल से अनुरोध किया गया था कि मामले की जांच किसी और जिले से भी करवाई जाए, ताकि पारदर्शिता को लेकर सवाल न उठें। दो बार आइजी को अनुरोध पत्र भेजा गया था।