गैरसैंण के बाद अब राजधानी देहरादून पर सियासी घमासान,‘आप’ खामोश

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सीएम त्रिवेंद्र के मास्टरस्ट्रोक के बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उठा सकती है उत्तराखंड का सबसे अहम मुद्दा
देहरादून । उत्तरखंड में विपक्षी दल कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत के बयान पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। दरअसल राज्य बनने के बाद से ही देहरादून अंतरिम राजधानी है। राज्य के कई वर्ग देहरादून को स्थायी राजधानी घोषित करने की बात भी कहते आये है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत तीखी प्रतिक्रिया के साथ आगे आए। उन्होंने देहरादून को लेकर मुख्यमंत्री के बयान को संवैधानिक असंगत तक करार दे दिया है। बगैर कैबिनेट और राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए मुख्यमंत्री के इस निर्णय पर उन्होंने तीखे सवाल दागे हैं। दरअसल राज्य बनने के बाद से ही देहरादून अंतरिम राजधानी है। स्थायी राजधानी को लेकर अब तक किसी भी दल ने साफ स्टैंड लेने से गुरेज किया है। विपक्षी दल कांग्रेस गैरसैंण का मुद्दा हाथ से छिनने के डर से तिलमिलाई सी हुई है इसी वजह से माना जा रहा है कि यह मुद्दा सियासी घमासान की आधार भूमि बनने जा रहा है। इतना ही नहीं कांग्रेस नेताओं की माने तो विधानसभा के चुनाव में यह मुद्दा बना रहेगा।राज्य में सबसे पहली सरकार भाजपा ने बनायी थी लेकिन आज तक गुमराह किया गया। गैरसैण को शहीद राज्य आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप स्थायी राजधानी घोषित करने का खाका तैयार किया गया है। जबकि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थतियों को देखते हुए तब अस्थायी राजधानी देहरादून में बनायी गई। इसके बाद राज्य आंदोलनकारियों के साथ अनेक लोगों ने राज्य की स्थायी राजधानी गैरसैण बनाने की मांग की। अगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनायेगी तो यह संकल्प जरूर पूरा होगा। वहीं दूसरी तरफ राज्य में सियासी मोर्चे पर पहली बार उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आम आदमी पार्टी भी सत्तासीन भाजपा और कांग्रेस की नीतियों पर हमलावर दिखा दे रही है। हांलाकि राज्य के अधिकांश मुद्दों पर नयी पार्टी ने तवज्जो नहीं दे रही हो परंतु भ्रष्टचार एवं अन्य मामले में आम आदमी पार्टी के नेता भी खुलकर मैदान में उतर चुके है। लिहाजा आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड के सबसे अहम मुद्दे को उठाकर सियासी जंग और रोचक होने की आशंका प्रबंल हो रही है। बहरहाल देखना होगा कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा प्रदेश की राजधानी देहरादून को बताने के पीछे आखिर क्या सियासी मैजिक छिपा हुआ है। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर तेजी से सियासी बैटिंग कर रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन दोनों ही मामलों में अपना मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है। उनके इस कदम से कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों में तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। इन दोनों ही मुद्दों को लेकर सियासी खींचतान बढ़ना तय है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब ज्यादा वत्तफ शेष नहीं है। सत्तारूढ़ भाजपा, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत तमाम सियासी दल चुनाव को लेकर तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे में पहले गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा और अब देहरादून को राजधानी बताकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। इस साल विधानसभा के पहले और बजट सत्र को गैरसैंण में आहूत करने के दौरान गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा कर मुख्यमंत्री ने सबको चैंका दिया था। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सरकार के इस कदम से भौंचक रह गई थी। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को कहना पड़ा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाया जाएगा। इस बीच कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते आठ महीने से चुप बैठी भाजपा सरकार भी हरकत में आ गई है। राज्य स्थापना दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने जिसतरह से फैसलों को लेकर सक्रियता बढ़ाई है, उससे विपक्षी दलों में भी बेचैनी साफ देखी जा रही है। उन्होंने गैरसैंण के साथ ही देहरादून के मुद्दे पर यह साफ करने की कोशिश की कि प्रचंड बहुमत की सरकार इस मुद्दे को ढुलमुल छोड़ने नहीं जा रही है। यानी राजधानी के पेचीदा मुद्दे के समाधान को लेकर प्रचंड बहुमत की सरकार ने सियासी तीर छोड़ दिया है। गैरसैंण के विकास के लिए 25 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा कर उन्होंने कांग्रेस की ओर से की जा रही घेराबंदी की धार कुंद करने की कोशिश की। वहीं इस मुद्दे पर अपने कार्यकाल में कई बार गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाये जाने की मांग के बावजूद पूर्व सीएम हरीश रावत को भी भाजपा ने घेरा है वहीं गैरसैंण और देहरादून के मुद्दे अगले विधानसभा चुनाव के केंद्र में रहने वाले हैं।

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