आरोग्य धाम आश्रम में हो रहा असाध्य रोगों का सफल उपचार
वेदों के ज्ञान से बड़ा कोई विज्ञान नहीं
मनोज श्रीवास्तव
काशीपुर। देवाम्बर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित आरोग्य धाम आश्रम एवं गुरुकुल जूनियर माध्यमिक विद्यालय ने समाज सेवा की अनूठी मिसाल पेश कर लोगों को हैरत में डाल दिया। काशीपुर के ग्राम गढ़ी इंद्रजीत में वर्ष 2011 से संचालित देवाम्बर गुरुकुल जूनियर माध्यमिक विद्यालय में निर्धन परिवारों के लगभग ढाई सौ बच्चे जहां एक और निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर देवाम्बर वेद विज्ञान संस्थान एवं आरोग्य धाम में मर्म चिकित्सा के सहारे लाइलाज व असाध्य रोगों से पीडित अब तक दर्जनों लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके है। ट्रस्ट के सचिव पूर्व राजदूत व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योगदूत चंद्र मोहन भंडारी ने बताया कि भारतीय संस्कृति का वेद ज्ञान अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि वेदों के ज्ञान से बड़ा कोई विज्ञान नहीं है वर्ष 1974 से वर्ष 2009 तक आईएएस के समकक्ष भारतीय विदेश सेवा में नौकरी करने के उपरांत सेवानिवृत्त होने पर श्री भंडारी ने बाकी का जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया। मर्म चिकित्सा का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जो लोग शरीर से लाचार हैं और सूक्ष्म व्यायाम करने तक में असमर्थ हैं उनके लिए मर्म चिकित्सा किसी अजूबे से कम नहीं है। मर्म चिकित्सा प(ति से किए गए उपचार में वर्षों की लाचारी कुछ ही समय में पूरी तरह उपचारित नजर आने लगती है। मर्म चिकित्सा उपचार अत्यंत सरल एवं तत्काल कारगर है लेकिन असावधानी होने पर इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद की ताकत असीम है इसके सहारे असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। जो लोग शरीर से पहले ही लाचार हैं और योगासन करने में असमर्थ हैं वह केवल सूक्ष्म व्यायाम से भी उतना ही लाभ उठा सकते हैं जितना कि योगासनों से। श्री भंडारी ने बताया कि निस्वार्थ भाव से की गई मानव मात्र की सेवा ईश्वर की आराधना के समान है। उन्होंने कहा कि शरीर को साधने के लिए शरीरी के पास आयुर्वेद विज्ञान का ज्ञान होना और भी अधिक आवश्यक और उपयोगी है। वास्तव में योग और आयुर्वेद एक दूसरे के पूरक विज्ञान हैं। यहां बतादें कि वेद विज्ञान संस्थान व देवाम्बर गुरूकुल जूनियर हाईस्कूल में स्थानीय बच्चों को पठन-पाठन निःशुल्क दी जा रही व्यवस्था किसी अजूबे से कम नहीं है। बताया गया कि असाध्य रोगों से घिरे लोगों को योग और आयुर्वेद के अनेकों उपचारों द्वारा पूर्णतः स्वस्थ्य बनाने का काम किया जा रहा है। योग और मर्म चिकित्सा द्वारा असाध्य रोगों से छुटकारा दिलाने के साथ ही यहां पंचकर्म की सुविधा भी उपलब्ध है। देवाम्बर धाम की भव्यता और आध्यामिकता आगन्तुकों को सहज ही अपनी और आकृषित कर रही है। ट्रस्ट के सचिव श्री भंडारी ने बताया कि भविष्य में संस्थान को वृ“द रूप देते हुए समाज के अधिक से अधिक लोगों को निःस्वार्थ भाव से लाभ पहुंचाना उनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य है। इस मौके पर डा. हरीश भण्डारी, प्रतीक जिंदल व कविता उप्रेती विशेष तौर पर उपस्थित रहे।