“हंसी प्रहरी” की “मददगार” बनी रेखा आर्य: सरकारी नौकरी और स्थायी आवास देने का आफर

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2002 में लड़ा था विधानसभा का चुनाव,भिक्षा मांग कर गुजारे 12 साल
देहरादून/हरिद्वार (उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो)। अपनी जिंदगी को फुटपाथ पर गुजार रही कुमांऊ की एक बेटी का नसीब संवारने के लिये समाज को पहल शुरू करनी होगी। हमारे समाचार पत्र सांध्य दैनिक उत्तरांचल दर्पण समेत तामाम अखबारों और मीडिया चैनलों द्वारा प्रमुखता से इस दर्दनाक दास्ता को प्रकाशित करने बाद खबर का संज्ञान अब राज्यमंत्री महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्य ने लिया है। मंगलवार दोपहर राज्यमंत्री रेऽा आर्य हंसी प्रहरी से मिलने के लिए हरिद्वार पहुंची। यहां मीडियाकर्मियों के समक्ष हंसी प्रहरी के साथ खुद रेखा आर्य मुखातिब हुई। इस दौरान बातचीत में श्रीमती रेखा आर्य ने हंसी को हरिद्वा बाल विकास कार्यालय में नौकरी और स्थाई निवास उपलब्ध कराने के साथ ही बच्चों की शिक्षा निशुल्क देने का आपॅफ़र दिया है। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र सोमेश्वर की निवासी इस अबला महिला की पीड़ा को असहनीय बताया है और परिजनों के बारे में भी जानकारी ली जायेगी। हांलाकि हंसी ने हरिद्वार छोड़ने से इनकार कर दिया है जबकि राज्य सरकार से माध्यम से अब उसकी हर संभव मदद करने की अपेक्षा की गई है। इसे संवेदनशील मामला बताते हुए श्रीमती आर्य ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिये हर मुमकिन मदद देने के लिये वह प्रयास करती रही है। हंसी प्रहरी की शैक्षिक योग्यता की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पहले महिला के स्वास्थ्य की सरुक्षा के लिये व्यवस्था की जायेगी। बहरहाल पिछले 12 साल से अपनी जिंदगी फुटपाथ पर भिक्षा मांगकर बिताने वाली इस अबला महिला की सुध लेने वाले भी मिल गये है। आप यकीन नहीं करोगे कि हंसी प्रहरी वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव भी लड चुकी है। तब 53689 मतदाताओं वाली इस सीट से कांग्रेस के प्रदीप टम्टा और भाजपा के राजेश कुमार समेत 11 प्रत्याशी मैदान में थे। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा ने 9146 मत हासिल कर भाजपा प्रत्याशी य8263) को 883 मतों के अंतर हराया था। हंसी को तब 2650 वोट मिले थे। वहीं मीडिया की नजरों में आने के बाद हरिद्वार के कई जिम्मेदार लोग और समाजसेवी संगठन हंसी की मदद को आगे आए हैं।इनमें नगर निगम में कूडा उठान करने वाली कंपनी केआरएल के कोर्डिनेटर सुखबीर सिंहए पंडित नारायण दत्त तिवारी नेहरू युवा केंद्र एहोटल कारोबारी और समाजसेवी मिंटू पंजवानीए जगदीश लाल पहवाए विशाल गर्ग आदि प्रमुख हैं। नियति का खेल देखिए ससुराल की कलह से आजिज आकर घर की चौखट के बाहर कदम रखने वाली एक महिला को कदम-दर-कदम कडे इम्तिहान से गुजरना पडा। वह भी उसेए जो अपने छात्र जीवन में न केवल कुशल वक्ता रहीए बल्कि छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोडा परिसर में छात्रसंघ उपाधयक्ष भी चुनी गई। अंग्रेजी व राजनीति शास्त्र में एमए डिग्रीधारी इस महिला को हालात से इस कदर जूझना पडघ्ेगाए शायद ही उसने कभी इसकी कल्पना भी की होगी। लेकिनए नियति को तो कुछ और ही मंजूर था। इस सबके बावजूद वह उसी जीवटता के साथ हरिद्वार की सडकों पर भीख मांगते हुए अपने बेटे को अफसर बनाने के सपने बुन रही है। सुकून वाली बात यह जरूर है कि मीडिया की नजरों में आने के बाद कई हाथ उसकी मदद को आगे आए हैं। अल्मोडा जिले के हवालबाग ब्लाक स्थित ग्राम रणखिला गांव की रहने वाली इस महिला का नाम है हंसी प्रहरी है। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हंसी की इंटर तक की शिक्षा गांव में ही हुई और फिर उसने कुमाऊं विश्वविद्यालय के अल्मोडा परिसर में प्रवेश ले लिया। पढाई के साथ-साथ वह विवि की तमाम शैक्षणिक गतिविधियों में बढ-चढकर हिस्सा लेती थी। बकौल हंसी वर्ष 2000 में मैं छात्रसंघ में उपाध्यक्ष चुनी गई और फिर विवि की ही सेंट्रल लाइब्रेरी में चार साल तक नौकरी की। हरिद्वार में हंसी की ओर मीडिया का ध्यान रविवार को तब गया जब वह सडक किनारे अपने छह साल के बेटे को पढा रही थी। उसकी फर्राटेदार अंग्रेजी हर राहगुजर को हतप्रभ कर देने वाली थी। हंसी बताती है कि ससुराल की कलह से परेशान होकर वर्ष 2008 में वह लखनऊ से हरिद्वार चली आई। यहां शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण वह नौकरी नहीं कर पाई और रेलवे स्टेशनए बस अड्डा आदि स्थानों पर भीख मांगने लगी। यही नहीं हंसी के पास उसके सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र भी सुरक्षित हैं। बताती है कि उसकी एक बेटी भी हैए जो नानी के पास रहकर पढघई कर रही है। पिछले साल वह हाईस्कूल में 97 फ़ीसद अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई है। बताया कि परीक्षित सरस्वती शिशु मंदिर मायापुर में दूसरी कक्षा में पढ रहा है। उसकी चिंता सिर्फ इतनी है कि सिर छिपाने को सरकार उसे एक छत मुहैया करा दे ताकि वह बेटे परीक्षित को पढा सके।

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