बेरोजगार प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का शुभारंभ

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देहरादून। सोलर फार्मिंग ने प्रदेश में हरित ऊर्जा के साथ ही स्वरोजगार के द्वार ऽोल दिए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गुरुवार को कोरोना काल में बेरोजगार हुए प्रवासियों को राहत देने को मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना प्रारंभ की। 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाओं के जरिये प्रदेश में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को रोजगार देने का लक्ष्य रऽा गया है। योजना को इंटीग्रेटेड फार्मिंग से जोड़कर इसे ज्यादा लाभप्रद बनाया गया है। सचिवालय में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में योजना के लांचिंग कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस योजना में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लेने की जरूरत है। जिलास्तरीय बैंकर्स समिति में इन योजनाओं की समीक्षा सर्वाेच्च प्राथमिकता से होनी चाहिए। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार संपर्क और समन्वय बनाए रऽें। युवाओं को स्वरोजगार योजनाओं से जुडने में परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार की ओर से तय सुविधाओं को देने में हीलाहवाली होने पर कड़ा रुऽ अपनाने की चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रऽा जाए। भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए। इससे ज्यादा समय लगने पर संबंधित अधिकारी या कार्मिक के िऽलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो लक्ष्य रऽे गए हैं, उन्हें निर्धारित समयावधि में पूरा करना होगा। कोविड-19 के चलते व्यर्थ चले गए चार महीनों की भरपाई अगले आठ महीनों में करनी होगी। इंटीग्रेटेड फार्मिंग का भी लाभ मिलेगाऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर फल, सब्जी, जड़ी-बूटी उत्पादन और मौन पालन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। औषधीय और स्कंध पौधों के बीज मुफ्रत उपलब्ध कराए जाएंगे। 10 हजार परियोजनाओं के आवंटन के लक्ष्य को पूरा करने को वर्षवार व जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी व मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज ऽैरवाल, सूचना महानिदेशक डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
चमोली, पिथौरागढ़ और देहरादून में अब नो सिग्नल एरिया में भी होगा सीधा संवाद
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने संचार की नवीनतम प्रणाली क्विक डिप्लोएबल एंटिना (क्यू-डी-ए) का शुभारम्भ किया। इस तकनीक का उपयोग करने वाला उत्तराऽण्ड देश का पहला राज्य बन गया है। दूरस्थ ग्रामों के नो सिंगल एरिया में संचार के लिए एसडीआरएफ ने क्विक डिप्लोएबल एंटिना स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने एसडीएमए, देहरादून उत्तराऽंड कन्ट्रोल रूम से प्रदेश के चमोली जिले के मलारी, पिथौरागढ़ जिले के गुंजी और देहरादून जिले के त्यूणी क्षेत्र के प्रधान और ग्रामवासियों से क्यूडीए से सम्पर्क स्थापित कर प्रणाली का उत्तराऽण्ड में शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी भी प्राप्त की। उन्होंने एसडीआरएफ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रणाली उत्तराऽंड में किसी भी आपदा रूपी संकट के दौरान संजीवनी स्वरूप है जिसके दूरगामी परिणाम अत्यंत सुऽद ओर लाभकारी होंगे। प्रदेश के सुदूरवर्ती एवमं सीमांत क्षेत्रें को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य के सभी जनपदों में संचार की दृष्टि से कमजोर क्षेत्रें में 248 सेटेलाइट फोन वितरित किये थे। इस काम को को गति और व्यापकता देते हुए एसडीआरएफ द्वारा नवीनतम टेक्नोलॉजी क्यू-डी-ए (क्विक डिप्लोएबल एंटिना) का क्रय किया गया। उत्तराऽंड देश में प्रथम राज्य है जो इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहा है। वर्तमान में देश में एनडीआरएफ और पैरामिलेट्री फोर्सेस ही इसका उपयोग कर रहे हैं। क्यूडीए एक प्रकार से नो सिंगल एरिया से संचार स्थापित करने की महत्तम ओर नवीनतम टेक्नोलॉजी है। इस प्रणाली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा को भेजने के लिए 1-2 मीटर क्यू-डी-ए (वी-एस-ए-टी) एंटीना टर्मिनलों और 1-2 मीटर स्टेटिक (वी-एस-ए-टी बहुत छोटे एपेरचर टर्मिनल) एंटीना टर्मिनल का उपयोग होता है। यह विभिन्न वीसैट टर्मिनल के साथ उपग्रह आधारित संचार स्थापित करने में मदद करता है। वॉयस और वीडियो संचार को दूरस्थ से दूरस्थ वी-एस-ए-टी टर्मिनलों तक संप्रेषित किया जाता है। 1-2 मीटर क्यू-डी-ए वी-एस-ए-टी एक पोर्टेबल सिस्टम है जो अलग-अलग दूरस्थ क्षेत्रें में तुरंत स्थापित किया जा सकता है सकता है और किसी भी इलाके में स्थापित हो सकता है। साधारण तौर पर यह कह सकते है कि यह टेक्नोलॉजी किसी ऐसे क्षेत्र में जहां किसी प्रकार का संचार का साधन नही है, उपयोग करने पर तत्काल सेटेलाइट से सम्पर्क स्थापित कर लाइव ऑडियो ओर वीडियो कॉल की सुविधा देता है। क्यू-डी-ए- ’स्टैटिक ओर मोबाइल’ दो प्रकार का होता है। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देऽते हुए किसी भी आपदा के दौरान स्टेटिक क्यू-डी-ए- का एसडीआरएफ वाहिनी मुख्यालय जोलीग्रांट, एसडीएमए, देहरादून या किसी अन्य उपयुत्तफ़ स्थान में स्थापित किया जा सकेगा मोबाइल क्यू-डी-ए- को तत्काल हेलीकॉप्टर की सहायता से सम्बंधित क्षेत्रे में भेजकर स्थापित किया जाएगा। जहां से आपदा के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्र की स्थिति एवं नुकसान की जानकारी तत्काल प्राप्त हो सकेगी। साथ ही बचाव के लिए सशत्तफ़ योजना के अनेक विकल्प प्राप्त हो सकेंगे। इस प्रणाली के उपयोग से प्रदेश में किसी भी आपदा के दौरान मानव क्षति को कम से कम किया जा सकेगा।

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