गुलदार तेंदुए को पकड़कर की रेडियो काॅलरिंग
देहरादून। गुलदारों के लगातार आक्रामक होते व्यवहार पर नजर रखने की दिशा में वन महकमा गंभीर हुआ है। राज्य में पहली बार हरिद्वार में आबादी वाले क्षेत्र में आ धमके गुलदार ;तेंदुए को पकड़कर उसकी रेडियो काॅलरिंग की गई। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार इस तरह के प्रयोग से गुलदारों के व्यवहार में अध्ययन में तो मदद मिलेगी ही, इनके आबादी के इर्द-गिर्द आने पर जनसामान्य को सचेत करने के मद्देनजर अर्ली वार्निंग सिस्टम भी विकसित हो सकेगा। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में लंबे समय से आबादी वाले इलाकों में गुलदारों की सक्रियता ने नींद उड़ाई हुई है। हाल में गुलदार ने वहां एक बच्चे को मार डाला था। इसके बाद हरिद्वार वन प्रभाग की ओर से वहां पिंजरा लगा दिया गया। इस बीच सोमवार देर शाम पिंजरे में एक गुलदार फंस गया। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुहाग बताते हैं कि इसके बाद गुलदार को रेडियो काॅलर लगाने का निर्णय लिया गया, ताकि इसके व्यवहार का अध्ययन किया जा सके। रात्रि में भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों के सहयोग से हरिद्वार के डीएफओ नीरज शर्मा की अगुआई में चिड़िघ्यापुर रेसक्यू सेंटर व हरिद्वार वन प्रभाग की टीम ने गुलदार को ट्रेंकुलाइज कर उसे रेडियो काॅलर पहनाया। फिर उस पर नजर रखी गई और मंगलवार तड़के करीब 3.26 बजे गुलदार को घने जंगल में छोड़ा गया। उन्होंने सुरक्षा समेत अन्य कारणों को देखते हुए गुलदार के पकड़े जाने और छोड़े जाने के स्थान का ब्योरा नहीं दिया। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार यह पहली बार है जब राज्य में वन विभाग ने किसी गुलदार के व्यवहार के अध्ययन के मद्देनजर उस पर रेडियो काॅलर लगाया है। गुलदार पर सेटेलाइट आधारित रेडियो काॅलर लगाया गया है। इससे हर एक घंटे में उसकी लोकेशन मिल रही है। उन्होंने बताया कि जर्मन फंडिंग एजेंसी जीआइजेड की ओर से उपलब्ध कराया गया यह रेडियो काॅलर कई विशेषताओं वाला है। इससे गुलदार की लोकेशन की सटीक जानकारी तो मिल ही रही है, यदि यह लगा कि गुलदार असहज महसूस कर रहा है तो उसे हरिद्वार से ही खोला जा सकता है। सुहाग बताते हैं कि गुलदार-मानव वन्यजीव संघर्ष को थामने के मद्देनजर गुलदारों के व्यवहार के अध्ययन के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को पहले ही राजाजी टाइगर रिजर्व और इससे सटे हरिद्वार व देहरादून वन प्रभागों के मध्य 15 गुलदारों पर रेडियो काॅलर लगाने को सै(ांतिक मंजूरी दी जा चुकी है। रेडियो काॅलर लगाने के लिए संस्थान की ओर से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति मांगी गई है। इसका इंतजार किया जा रहा है। अनुमति मिलते ही इन पर भी रेडियो काॅलर लगाए जाएंगे।