प्रधानमंत्री मोदी ने किया उत्तराखंड में बने नमामि गंगे के छह परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण

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कई बड़े-बड़े अभियान चलाए, मगर गंगा का जल न स्वच्छ हो पाया और न निर्मल देहरादून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे के तहत उत्तराखंड में बने छह मेगा प्रोजेक्घ्ट का वर्चुअल लोकार्पण किया। इससे पहले जल शत्तिफ मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपनी बात रखी। वर्चुअल संवाद में केंद्र मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जुड़े। इसके बाद नमामि गंगे की ओर से तैयार की गई शाॅर्ट फिल्म दिखाई गई। इसके पश्चात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आॅनलाइन कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गंगा सफाई की मेहनत रंग लाई है। इस प्रयास के बाद महाशीर गंगा में दिखाई देने लगी है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को बड़ी सौगात दी है जिससे उत्तराखंड का विकास होगा। प्रदेश में नमामि गंगे से जुड़ी 06 परियोजनाओं का आॅनलाइन लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया। यह माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा गंगा की निर्मलता के लिए किए गए भगीरथी प्रयासों का ही परिणाम है कि अब हरिद्वार से आगे भी डाॅल्फिन व महाशीर दिखाई दे रही हैं। हमारी सरकार ने गंगा में गिरने वाले 135 गंदे नालों में से अब तक 128 नालों को रोक दिया है साथ ही नमामि गंगे की 19 में से 15 योजनाएं भी पूर्ण हो चुकी हैं। हमने गंगा के किनारे 21 स्नानघाट और 23 मोक्षधामों का निर्माण करवाया है और गंगा के किनारे के गांवों में आॅर्गेनिक खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। मैं, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किए गए उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यत्तफ करता हूँ, साथ ही राष्ट्र को समर्पित की गई इन परियोजनाओं के लिए उनका अभिनंदन करता हूँ। बता दें कि पीएम मोदी ने ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ के तहत उत्तराखंड में तैयार किए गए 6 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और हरिद्वार में बने गंगा संग्रहालय का आॅनलाइन लोकार्पण किया. लोकार्पण कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सचिवालय से आॅनलाइन जुड़े। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने संबोधन में पीएम से उत्तराखंड के विकास को लेकर महत्वपूर्ण बातों को साझा किया. इस दौरान नमामि गंगे परियोजना पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। आपको बता दें कि पीएम मोदी द्वारा आॅनलाइन उत्तराखंड की 6 परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया है उनकी लागत इस प्रकार है। जगजीतपुर, हरिद्वार- 230.32 करोड़ रुपये की लागत के 68 मेगालीटर और 19.64 करोड़ रुपये की लागत के 27 एमएलडी एसटीपी बने हैं. 2.सराय, हरिद्वार- 199 करोड़ की लागत के 18 एमएलडी एसटीपी बनकर तैयार हुए. 3. मुनी की रेती टिहरी- 39.32 करोड़ रुपये लागत से 5 मेगालीटर के एसटीपी बने. 4. चन्द्रेश्वर नगर, ऋषिकेश- 41.12 करोड़ की लागत से बने 7.50 एमएलडी एसटीपी. 5. लक्कड़घाट, ऋषिकेश- 158 करोड़ रुपये की लागत से बने 2 6 एमएलडी एसटीपी. 6.बदरीनाथ- 18.23 करोड़ रुपये से बने एक एमएलडी का एसटीपी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चारधाम की पवित्रता को अपने समेटे देवभूमि उत्तराखंड को मेरा आदरपूर्वक नमन। आज मोक्षदायनी गंगा को निर्मल करने वाले छह बड़े प्रोजेक्ट का लोकापर्ण किया गया है। हर घर तक शु( जल पहुंचाने का बहुत बड़ा अभियान है। पानी की एक-एक बूंद को बचाना आवश्यक है। यह मिशन गांव के लोगों और ग्राम पंचायत के लोगों के लिए भी उतना ही जरूरी है, जितना की अधिकारियों के लिए। उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक गंगा देश की आधी आबादी का पालन करती है, इसलिए गंगा की स्वच्छता निर्मलता आवश्यक है। पीएम ने कहा कि पूर्व में कई बड़े-बड़े अभियान चलाए, मगर गंगा का जल न स्वच्छ हो पाया और न निर्मल। अगर पुराने तौर-तरीके अपनाए जाते, तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती। लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े। हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया। सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया। पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया। दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें। तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे सौ बड़े शहरों और पांच हजार गांवों को खुले में शौच से मुत्तफ करना और चैथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना। पीएम ने कहा कि प्रयागराज कुंभ में गंगा जी की निर्मलता को दुनियाभर के श्र(ालुओं ने अनुभव किया था। अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनिया को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है। अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिए, गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है। आज पैसा पानी में नहीं बहता, पानी पर लगाया जाता है। हमारे यहां तो हालत ये थी कि पानी जैसा महत्वपूर्ण विषय, अनेकों मंत्रालयों और विभागों में बंटा हुआ था। इन मंत्रालयों में, विभागों में न कोई तालमेल था और न ही समान लक्ष्य के लिए काम करने का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश। पानी से जुड़ी चुनौतियों के साथ अब ये मंत्रालय देश के हर घर तक जल पहुंचाने के मिशन में जुटा हुआ है। आज जल जीवन मिशन के तहत हर दिन करीब 1 लाख परिवारों को शु( पेयजल की सुविधा से जोड़ा जा रहा है। सिर्फ एक साल में ही देश के 2 करोड़ परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है। नतीजा ये हुआ कि देश में सिंचाई हो या फिर पीने के पानी से जुड़ी समस्या, ये निरंतर विकराल होती गईं। आप सोचिए, आजादी के इतने वर्षों बाद भी 15 करोड़ से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी नहीं पहुंचता था।

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