हां मै सबसे झूठा नंबर वन मंत्री! मानसून सत्र में चर्चा से रोकने पर कौशिक और कांग्रेस अध्यक्ष में जुबानी जंग

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देहरादून। कोरोना महामारी से जंग के बीच एक दिवसीय विधानसभा सत्र में विपक्षी दल कांग्रेस ने जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने का व्यापक विरोध शुरू कर दिया है।मानसून सत्र भले की खत्म हो गया हो लेकिन सत्र के दौरान की कड़वाहट सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अभी खत्म नहीं हुई है। सत्र के दौरान विपक्ष को कार्यस्थगन प्रस्ताव न लाने से रोकने के लिए संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने जब बिजनेस कैमेटी की बैठक में लिए गए फैसले का हवाला कांग्रेस को दिया कि बैठक में तय किया गया था कि विपक्ष केवल 4 ही मुद्दों पर चर्चा कर सकता है लेकिन आपसी लड़ाई के कारण कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया। सरकार ने साफ तौर पर सदन में चर्चा न होने का ठीकरा कांग्रेस विधायकों पर फोड़ दिया। वहीं अब इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर देश में सबसे ज्यादा झूठ कौन बोल सकता है कि प्रतियोगिता कराई जाए तो संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक उसमे अग्रिम पंत्तिफ में आएंगे। वहीं प्रीतम सिंह के वार पर पलटवार करते हुए शासकीय प्रवत्तफा मदन कौशिक ने कहा कि प्रीतम सिंह उनके बड़े भाई हैं और वह जो खिताब उन्हें देंगे उसे वह स्वीकार कर लेंगे। गजब की बात ये है कि प्रीतम सिंह ने शासकीय प्रवत्तफा मदन कौशिक पर बड़ा आरोप लगाते हुए झूठा नंबर वन का नाम दिया तो मदन कौशिक ने मान भी लिया। सोशल मीडिया पर भी उनका वीडियो वायरल हो गया जो चर्चा का विषय बना हुआ है। बीते रोज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। कांग्रेस राज्य सरकार के संसदीय कार्यमंत्री की कार्यप्रणली पर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया था कि एक दिनी विधानसभा सत्र में सरकार ने जनहित के मुद्दों को उठाने का मौका नहीं दिया। सरकार ने सवालों से भागने की कोशिश की। विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देने को शासकीय प्रवत्तफा व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक शुक्रवार को पूरी तैयारी के साथ मीडिया से मुखातिब हुए। इतना ही नहीं उन्होंने सदन में विपक्ष की भूमिका को ही उल्टा कठघरे में खड़ा कर दियाहै। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि विपक्ष ने अपने अधिकार का उपयोग ही नहीं किया। प्रश्नकाल नहीं था। उनके पास सत्र शुरू होते ही शून्यकाल के दौरान कार्य स्थगन के तहत किसी भी विषय को उठाने का अधिकार था। सरकार ने विषय उठाने की मनाही नहीं की थी। आपदा, कोविड-19, बेरोजगारी और महंगाई समेत हर मुद्दे पर जवाब देने को सरकार ने तैयारी की, ताकि आम जनता को भी सही स्थिति का पता चल सके। कांग्रेस के सवालों पर उन्हें ही घेरते हुए कौशिक ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने 2012 से 2016 तक सिर्फ दो गांवों के 11 परिवारों का विस्थापन किया। वहीं भाजपा सरकार ने साढ़े तीन साल में 28 गांवों के 825 परिवारों का पुनर्वास किया है। 2017-18 में 12 गांवों के 177 परिवारों, 2018-19 में छह गांवों के 151 परिवारों, 2019-20 में सात गांवों के 360 परिवारों और 2020-21 में अब तक तीन गांवों के 137 परिवारों को विस्थापित किया गया है। इस पर 35 करोड़ से ज्यादा धनराशि खर्च हुई। ये सभी गांव चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी, पिथौरागढ़, बागेश्वर जिलों के हैं। 2013 की आपदा के बाद राज्य में आपदा के प्रति संवेदनशील 395 गांव चिर्ििंत किए गए हैं। इनमें प्राथमिकता के आधार पर 225 गांवों का सर्वे किया गया। इनमें 73 अत्यंत संवेदनशील गांवों का पुनर्वास का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि इस वर्ष आपदा की वजह से 67 व्यत्तिफयों की मृत्यु हुई। 26 घायल और तीन लापता हैं। 154 पशुधन की हानि, 372 भवन आंशिक क्षतिग्रस्त हुए। पिथौरागढ़ जिले में आपदा से 27 जनहानि हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और जिले के प्रभारी मंत्री अरविंद पांडेय ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और प्रभावितों को मदद पहुंचाने को गति दी। उन्होंने कहा कि आपदा के मद्देनजर सरकार ने पहले ही सभी जिलों को कुल 354 करोड़ की धनराशि जारी कर दी थी। इस वजह से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत पहुंचाने में मदद मिली।

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