डीएनए जांच पर बाल आयोग ने जातायी आशंका, महिला समेत पति और सास-ससुर को भी किया तलब
देहरादून। सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर द्वाराहाट से भाजपा विधायक महेश नेगी पर अपनी बच्ची के पिता होने समेत दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला के नवजात का डीएनए टेस्ट कराने के मामले में अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पड़ताल शुरू कर दी है। उत्तराखंड बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी के अनुसार महिला समेत उसके ससुरालियों को अब अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। पूर्व में भेजे गए समन के आधार पर महिला को शनिवार को आयोग में पेश होना था। लेकिन, महिला ने आयोग को पत्र भेजकर शिकायत की प्रतिलिपि न होने का हवाला देते हुए दूसरी तिथि नियत करने की गुजारिश की थी।बीते अगस्त में बार काउंसिल आॅफ उत्तराखंड के पूर्व सदस्य हरि सिंह नेगी ने आयोग में शिकायत की थी कि महिला ने गैरकानूनी तरीके से बच्ची का डीएनए टेस्ट कराया है। इसका संज्ञान लेते हुए आयोग ने पुलिस को जांच के निर्देश दिए थे। बच्ची का शामली के जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 18 मई को जन्म हुआ था, जांच के दौरान वहां के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि बच्ची का डीएनए सैंपल अस्पताल की ओर से निर्धारित की गई कमेटी ने जांच के लिए नहीं भेजा। इसके बाद आयोग के निर्देश पर पुलिस ने महिला को बीते सप्ताह समन भेजा था। इसमें उसे बाल अयोग के समक्ष पक्ष रखने के लिए 19 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया था। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि महिला ने पत्र भेजकर कहाकि शिकायत की प्रतिलिपि न होने के कारण वह जवाब देने में असमर्थ है। महिला को शिकायत की प्रतिलिपि भेजी गई है और 29 सितंबर को दोपहर ढाई बजे प्रस्तुत होने के लिए कहा गया है। वहीं महिला ने ससुराल वालों पर प्रताड़ना और 11 अप्रैल को केरोसिन डालकर आग लगाने की शिकायत भी की थी, जिस पर पुलिस मुकदमा कर चुकी है। आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने बताया कि बच्ची और महिला के पति का डीएनए टेस्ट उत्तर प्रदेश के शामली में उसके ससुराल में ही कराया गया। ऐसे में इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि महिला से पीछा छुड़ाने के लिए ससुराल वालों ने साजिशन उसके पति की झूठी डीएनए रिपोर्ट बनवा दी हो। इसलिए महिला के पति दीपक कुमार, ससुर मैनपाल सिंह, सास पूनम, देवर आशू और ननद अन्नू को 30 सितंबर को पेश होने के लिए कहा गया है।