अब नया मोड़ आया,,अवैधानिक डीएनए जांच पर महिला आयोग ने मांगी रिपोर्ट
भाजपा विधायक से फिर पूछताछ,महिला के पति को भेजा नोटिस
देहरादून(उद ब्यूरो) । भाजपा विधायक महेश नेगी को बेटी का जैविक पिता होने का आरोप लगाने वाली महिला और उसके पति का डीएनए परीक्षण कराने की शिकायत का बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया है। आयोग ने इस मामले में डीआइजी देहरादून को महिला के परिवार का अवैधानिक डीएनए परीक्षण कराने, डीएनए परीक्षण करने वाली लैब और चिकित्सकों की पूरी रिपोर्ट 15 दिन के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। द्वाराहाट से भाजपा विधायक महेश नेगी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। एक ओर जहां विधायक इस प्रकरण में शामिल होने से इनकार करते हुए डीएनए जांच कराने को लेकर तैयार होने का दावा कर रहे है वहीं अब महिला द्वारा तथाकथित तौर पर शादी के बाद हुई बेटी व अपने पति की डीएनए जांच कराने का दावा करना कानूनी रूप से अवैधानिक माना जा रहा है जिस पर राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान ले लिया है। हांलाकि अभी विधायक की जांच की संभावनाओं को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये गये है। आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने बताया कि बार काउंसिल आॅफ उत्तराखंड के पूर्व सदस्य हरि सिंह नेगी ने बीते शुक्रवार बाल आयोग को शिकायती पत्र सौंपा था। उन्होंने विधायक पर आरोप लगाने वाली महिला के परिवार की डीएनए रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोर्ट की इजाजत के बिना डीएनए परीक्षण करवाना संदेह पैदा करता है। महिला के अनुसार, उसकी बेटी का जन्म बीती आठ मई को उत्तर प्रदेश के शामली में हुआ। बेटी का जन्म होने पर महिला के पति के संदेह जताने पर महिला, पति और उसकी बेटी तीनों का डीएनए परीक्षण कराया गया, जिसमें पाया गया कि महिला का पति बेटी का पिता नहीं है। ऐसे में कोर्ट और सक्षम प्राधिकारी के आदेश के बिना ही शामली के चिकित्सकों ने तीनों का डीएनए परीक्षण कैसे करवाया? महिला अपने पति, ससुर, सास और ननद पर मारपीट का आरोप लगा चुकी है। अल्मोड़ा में महिला ने अपने ससुर पर छेड़छाड़ के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं द्वाराहाट के विधायक महेश नेगी पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला को जांच अधिकारी ने शनिवार को फिर पूछताछ के लिए बुलाया गया। इस दौरान पुलिस क्षेत्रधिकारी अनुज कुमार ने महिला की ओर से विधायक पर लगाए गए आरोपों को लेकर सवाल-जवाब किए। महिला से पूछा गया कि उनकी विधायक से कब से जान पहचान है, वह दोनों कहां-कहां घूमने के लिए गए थे, उनकी कब-कब फोन पर बातचीत हुई, उनके पति का व्यवहार और विधायक की पत्नी के बारे में भी पूछताछ की गई। सीओ ने बताया कि जल्द ही महिला की भाभी व विधायक के बेटे को बयान देने के लिए बुलाया जाएगा, क्योंकि विधायक की पत्नी ने तहरीर में लिखा है कि एक बार महिला ने उनके बेटे के साथ भी बातचीत की है। उन्होंने बताया कि महिला के पति को बयान देने को बुलाने के लिए पहले भी नोटिस जारी किया गया था। नोटिस के जवाब में महिला के पति ने कहा था कि लंबा रास्ता होने के कारण उनकी जान को खतरा है। ऐसे में जांच अधिकारी ने एक और नोटिस जारी कर उन्हें बुलाया है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा विधायक पर लगाये गये सनसनीखेज आरोपों के बाद विपक्ष समे अन्य राजनैतिक दलोे के नेताओ ने सरकार पर विधायक का बचाव करने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन भी किया। इतना ही नहीं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सड़क पर उतरकर पुतले फंके जा रहे है। जबकि आप के कार्यकर्ता सीएम आवास कूच कर जांच की मांग कर चुके है। ऐसे में सरकार की घेराबंदी में उतरे विपक्षी दलों के आरोपो पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि डीएनए टेस्ट कराना एक कानूनी प्रक्रिया है। विधायक महेश नेगी कह चुके हैं कि वह डीएनए टेस्ट के लिए तैयार हैं। मामला अभी पुलिस के अधीन है। इसके बाद यह मामला कोर्ट में जाएगा। कोर्ट तय करेगा कि इस मामले में क्या करना है। इस पूरे प्रकरण में तकनीकी पक्ष भी है। जिसका समाधान कोर्ट के जरिये ही हो सकता है। महिलाओं और बच्चों से जुड़े कानूनी पक्ष भी इसमें शामिल हैं। इस प्रकरण में कानून को अपना काम करने देना चाहिए।