गैरसैण के भूमिधर बने सीएम त्रिवेंद्र,पहाड़ लौटने की अपील

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देहरादून। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधनी गैरसैण को लेकर सियासत तेज हो गई है। गत दिवस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वतंत्रता दिवस के दिन पहली बार गैरसैंण में राष्ट्र ध्वज फराकर नया स्वर्णीम इतिहास रच दिया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोशल मीडिया पर एक संदेश लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के विकास का रास्ता गैरसैंण से निकल सकता है। अब वो विधिवत ढंग से गैरसैंण के भूमिधर हो गए हैं। सीएम ने प्रदेश के अन्य जन प्रतिनिधियों को वापस अपने क्षेत्रों में लौटने का भी आ“वान भी किया है। सीएम ने अपने फेसबुक में राज्यवासियों को संदेश देते हुए कहा कि गैरसैण जनभावनाओं का प्रतीक है। गैरसैंण हर उत्तराखंडी के दिल में बसता है। लोकतंत्र में जनभावनाएं सर्वाेपरि होती हैं। गैरसैंण के रास्ते ही समूचे उत्तराखंड का विकास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले जनप्रतिनिधियों को ही रिवर्स पलायन करना होगा। रिवर्स पलायन से ही पहाड़ों की तस्वीर और तकदीर सुधरेगी। पोस्ट में लिखा कि स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर मैं भी गैरसैंण का विधिवत भूमिधर बन गया हूं। विदित हो कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार पर गैरसैंण के विकास को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया था। जबकि अगस्त क्रांति के दिन गैरसैण पहुंचकर गैरसैण को कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश की स्थायी राजधनी बनाने का संकल्प भी लिया था।

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