गाड़,गधेरों से गुजरा हरदा का काफिला–बोले-आपदाग्रस्त धारचूला-मुनस्यारी नहीं गये प्रदेश के मुखिया
भगवान की कृपा है लोगों की जिंदगी बची है,पुनर्निर्माण के साथ पुनर्वास किया जा सकता है
धारचूला-मुनस्यारी के अपदाग्रस्त क्षेत्रें में पहुंचे पूर्व सीएम,आपदा प्रभावितों ने सौपा ज्ञापन
देहरादून/ धारचूला( उद ब्यूरो)। सोशल मीडिया पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने आपदाग्रस्त क्षेत्रें से होकर गुजरते हुए वाहनों का वीडियो भी शेयर किया है। फेसबुक पोस्ट पर उन्होंने जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि आज मैं भारी बारिश के बीच जनपद पिथौरागढ़ के बांसबगड़ क्षेत्र में पहुंचा हूँ और यह पहली बार है कि, बांसबगड़ क्षेत्र में इस तरीके की आपदा आयी है, जो बहुत ही विध्वंसक है और दो गाँव हमारे ऽेतबगाड़ व बांसबगड़ जो अगल-बगल में हैं, उनकी ऽेती और मकानों को बहुत नुकसान हुआ है। भगवान की कृपा है कि लोगों की जिंदगी बची हुई है, नहीं तो जिस प्रकार मकान ऽतरे की जड़ में है उनको ऽाली करवाया गया है, वह बहुत चिंताजनक है और उसके अलावा अंदर के क्षेत्रें में भी बारिश ने बहुत नुकसान पहुंचा है जहां तक हम नहीं पहुंच पाये हैं और वहां भी स्थिति इसी तरीके से विध्वंसक बनी हुई है, ऽेती, फसलों व मकानों का नुकसान हुआ है, कुल मिलाकर की पूरी कनेक्टिविटी जिसमें सड़क संपर्क भी सम्मिलित है, वो ध्वस्त जैसा है बल्कि जिस सड़क से आज हम आये हैं, दो बार हमको भी सहारा लेना पड़ा और उम्मीद करता हूं कि सरकार धारचूला-मुनस्यारी क्षेत्र में आयी हुई इस बड़ी आपदा को बहुत गंभीरता से लेगी और इसको सामान्य तरीके की मदद के बजाय इस क्षेत्र का कैसे पुनर्निर्माण किया जा सकता है और उसके साथ पुनर्वास का सवाल भी उठा हुआ है और पुनर्वास में पहले हम एक शर्त रऽते थे कि हमें तराई में बसाईये और मैंने स्वयं उसका अपने कार्यकाल में एक मानक बनाया जिसमें कहीं भी अड़ोस पड़ोस में सुरक्षित स्थान मिल रहा है, यहां तक कि रिजर्व फॉरेस्ट में भी मिल रहा है तो हम अदला-बदली करके वहां लोगों को स्थापित कर सकते हैं और जहां भी लोग ऽतरे की जड़ में हैं उनको सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना हम सबका दायित्व है, लोगों के सामने आजीविका का सवाल पहले से ही बहुत भारी सवाल हो गया था और अब कम से कम इस सीमांत क्षेत्र में तो ये बहुत ही चिंताजनक स्तर पर आ चुका है और मैं समझता हूं कि मेरे यहां आने का कुछ लोग नोटिस ले रहे होंगे और रुसरकार के कानों तक यहां की चीजें पहुंचेंगे, यहां की बातें आएंगी।
कोरोना महामारी के बाद इतनी बड़ी आपदा में भी सोए है प्रदेश के मुखिया
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कोरोना महामारी के बीच बागेश्वर जनपद के बेरीनाग में रात्रि विश्राम किया। इस दौरान हरीश रावत ने कहा कि गैरसैण को पहाड़ से नही बल्कि नई संभावनाओं से जोड़कर देऽता हूं। इसमें कोई राजनीति नही। प्रदेश की डबल इंजन सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरी तरह असफल साबित हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि गैरसैण राजधानी से नए अवसर पैदा होंगे। मैदानी इलाकों में अब जगह नही बची। पहाड़ में बागवानी, पर्यटन, कृषि क्षेत्र में काफी संभावनाएं है। ऽाली ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा से कुछ नही होता हैं। नए अवसरों से लोगों को जोड़ना होगा। स्थानीय उत्पादों पर लोगों ने काम कर सरकार को आइना दिऽाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क के हालात बहुत ऽराब है। पहाड़ की यही लाइफ लाइन है। अब आप अंदाज लगा सकते है अगर इसका यह हाल है तो क्या प्रदेश में क्या हो रहा होगा। कोई ध्यान नही दे रहा है। महामारी के बाद भी सरकार सोई हुई है। भाजपा ने नई थ्योरी इजाद की है। करो कम कहो ज्यादा। श्री रावत ने कहा कि बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर युवक कांग्रेस ने जन जागृति अभियान छेड़ा हुआ है। 18 हजार सृजिद पदों को सरकार ने ऽत्म कर दिया है। रोजगार की दर में रिकार्ड 32 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। बेरोजगारों के हकों के लिए एक दिन का उपवास रऽने का भी कार्यक्रम है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना नारा है या कार्यक्रम स्पष्ट होना चाहिए। धरातल में कुछ नही दिऽ रहा है। महामारी में स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे ऽराब हालात में है। हमारे समय में भी उतनी स्थिति ठीक नही है। अब तो हालात और बदतर हो गए है। पूर्व सीएम ने कहा कि नोटबंदी के बाद कोरोना प्रबंधन घोटाला सबसे बड़ा घोटाला बनकर सामने आएगा। आपदा कार्यों के लिए आया पैसा कार्यकर्ताओं को बांटा जा रहा है। नोटबंदी के बाद आए पैसों से आज हर जिले में करोड़ों की लागत के कार्यालय ऽोले जा रहे है।
प्रदेश सरकार आपदा प्रभावितों की मदद करने में पूरी तरह से फेल साबित हो रही है। आपदा प्रभावितों को जो मदद मिलनी चाहिए, वह अभी तक नहीं मिल पाई है। एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी प्रदेश के मुिऽया ने आपदा पीड़ितों का हाल-चाल जानने तक की जेहमत नहीं उठाई है। आपदा प्रभावित क्षेत्र धारचूला-मुनस्यारी के दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पिछले पांच माह से अभी तक पहाड़ी जिलों में नहीं गए हैं। सीमांत क्षेत्र धारचूला-मुनस्यारी में इतनी बड़ी आपदा आने के बाद भी प्रदेश के मुिऽया चैन की नींद सोए हैं। आपदा प्रभावितों की मदद के नाम पर महज ऽानापूर्ति की जा रही है। रावत ने कोरोना काल में क्वारंटाइन सेंटरों में भ्रष्टाचार होने व लोगों को सुविधा नहीं मिलने का आरोप भी लगाया। कोरोना के कारण घरों को लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के नाम पर कोई योजना तैयार नहीं की गई है। प्रवासी दर-दर भटक रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कोरोना के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। रावत ने कहा कि सरकार कैबिनेट के पदों को भी नहीं भर पा रही है। अब कोरोना का बहाना बनाकर कैबिनेट के पदों को नहीं भरने की बात की जा रही है। राज्य में प्रशिक्षित बेरोजगारों के मामले पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। साफ है कि प्रदेश की भाजपा सरकार विकास के मामले में पूरी तरह से फेल हो चुकी है। कांग्रेस शीघ्र प्रदेश सरकार के िऽलाफ गांव-गांव जाकर लोगों को इनकी नाकामयाबी से अवगत कराएगी। इस अवसर पर सांसद प्रदीप टम्टा, ललित फसर्वाण, राजेंद्र टंगड़िया, बालकृष्ण, हरीश ऐठानी, सज्जन लाल टम्टा, गीता रावल, धीरज कोरंगा, बबलू नेगी, सूरज प्रहरी, लोकमणि पाठक, राजेंद्र बाराकोटी, रंजीत दास, सुनीता टम्टा, दर्शन कठायत, भीम कुमार, ईश्वर पांडे सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।