मेडिसिटी हास्पिटल में मासूम को मिला नया जीवन

एक हजार से अध्कि थी डेढ़ माह की मासूम बच्ची की शुगर, गंभीर बिमारी से ग्रसित बच्चे का हुआ सफल उपचार

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रूद्रपुर। न्यूनेटल डाइबिटीज मिलाईटर नाम की गंभीर बिमारी से जूझ रही डेढ़ माह की मासूम बच्ची को शहर के मेडिसिटी अस्पताल में नया जीवन मिला है। गंभीर बिमारी के चलते जिंदगी से जंग लड रही मासूम बच्ची को अस्पताल के एमडी एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. दीपक छाबड़ा और डा. जुनैद अहमद ने अपनी टीम के साथ उपचार करके बचा लिया अब बच्ची स्वस्थ है। उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है। रम्पुरा निवासी नरेंद्र सिंह और पूजा की डेढ़ माह की बच्ची न्यूनेटल डाइबिटीज मिलाईटर नाम की बिमारी से ग्रसित हो गयी। इस बिमारी के चलते बच्ची की शुगर 1 हजार से अध्कि पहुंच गयी। जिसके चलते उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। परिवार की आर्थिक स्थति अच्छी नहीं होने के बावजूद परिजनों ने कई निजी अस्पतालों में उपचार कराया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इस बीच किसी ने उन्हें मेडिसिटी अस्पताल जाने की सलाह दी। बाद में मामला एडीएम के संज्ञान में आने पर उन्होनंे मेडिसिटी प्रबंध्न से बात की और मासूम बच्ची के उपचार का खर्च रेडक्रास की ओर से दिलाने का भरोसा दिलाया। जिसके बाद 1अगस्त को मेडिसिटी हास्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ डा. दीपक छाबड़ा और डा. जुनैद ने अपनी टीम के साथ डेढ माह की मासूम शिवानी का उपचार शुरू किया। जिस दिन बच्ची को मेडिसिटी लाया गया उस दिन उसकी शुगर 1060 पहुंच चुकी थी और बच्ची की हालत गंभीर थी। अस्पताल में बच्ची के उपचार में टीम दिन रात लगी रही और आखिरकार बच्ची को नया जीवन मिला। अब शिवानी की शुगर 200 हो चुकी है। बताया जाता है कि पूर्व में इसी तरह की बिमारी से नरेंद्र सिंह और पूजा के डेढ़ वर्षीय बच्चे की मौत हो चुकी थी। जिसके चलते परिजन बेहद परेशान थे। आज मेडिसिटी हास्पिटल से मासूम को डिस्चार्ज कर दिया गया। इस दौरान अस्पताल के एमडी डा. दीपक छाबड़ा ने पत्रकारों को बताया कि चार-पांच लाख बच्चों में से किसी एक बच्चे को इस तरह की बिमारी होती है। यह बिमारी एक तरह से शुगर का ही गंभीर रूप है। ज्यादातर ऐसे मामले जेनेटिक ही देखने में आते हैं। उन्होनंे कहाा कि यह मामला जेनेटिक है या नहीं अभी इसकी पुष्टि नहीं हुयी है। इसकी पुष्टि के लिए सेंपल दिल्ली भेजा गया है। जिसकी रिपोर्ट एक माह तक आयेगी। डा. छाबड़ा ने बताया कि बच्ची की सीरियस हालत को देखते हुए शुरूआत में उसे लगातार इंसुलिन की डोज दी गयी। लेकिन बाद में इंसुलिन दिन में दो टाईम तक ले आये। उन्होंने बताया कि जिस समय बच्ची को अस्पताल में लाया गया था तब उसका बजन 3 किलो 700 ग्राम था। अब उसका वजजन 4 किलो 790 ग्राम हो चुका है। फिलहाल बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और मां का दूध् भी भी पी रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल अभी बच्ची को घर पर ही दवायें दी जायेंगी।

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