‘हर की पैड़ी’ से अब अविरल बहती रहेगी ‘देव की धारा’

अखाड़ा परिषद को पूर्व सीएम हरीश रावत ने लिखी थी चिट्ठी

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कैबिनेट मंत्री कौशिक ने कहा, सरकार शीघ्र लायेगी अध्यादेश
देहरादून(उत्तरांचल दर्पण ब्यूरो)। आदि काल से देवभूमि उत्तराखंड में स्थिति मोक्ष का द्वार माने जाने वाले महाकुंभ नगरी हरिद्वार में हर की पैड़ी से होकर बह रही पावन नदी मां गंगा की धारा को एस्केप चैनल ‘ गंगनहर’ घोषित करने संबंधी शासनादेश में ऐतिहासिक संशोधन करने की दिशा में प्रदेश सरकार सक्रिय हो गई है। यह शासनादेश पूर्ववर्ती कांग्रेस की हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में हुआ था। अब मौजूदा त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के शासकीय प्रवत्तफ़ा एवं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने शुक्रवार को विधानसभा में इस मसले को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ व्यापक मंथन किया गया है। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री कौशिक के अनुसार इस मसले पर सिंचाई, आवास और विधि सचिव सभी पहलुओं पर अध्ययन कर सीएम को रिपोर्ट सौंपेंगे। इसके पश्चात ही एक्ट में संशोधन, अध्यादेश या अदालत में अपील के बारे में कैबिनेट फैसला लिया जायेगा। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कैबिनेट मंत्री कौशिक ने कहा कि हरकी पैड़ी पर गंगा की धारा अविरल बह रही है और बहती रहेगी। उन्होंने कहा कि एस्केप चैनल के संबंध में गंगा के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी में गंगा की धारा अविरल है और अविरल ही रहेगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक्ट में संशोधन, अध्यादेश अथवा उच्च न्यायालय या सर्वाेच्च न्यायालय में अपील समेत सभी ऐतिहासिक तथ्यों व कानूनी पहलुओं पर तीन विभागों के सचिव अध्ययन कर जल्द अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे। इसे कैबिनेट में रखा जाएगा और फिर कैबिनेट फैसला लेगी। एस्केप चैनल पर मचे सियासी घमासान के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पूर्व में साफ किया था कि सरकार इससे संबंधित नोटिफिकेसन को खारिज करेगी। इसी क्रम में सरकार के प्रवत्तफ़ा और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने एस्केप चैनल के संबंध में अफसरों से विमर्श किया। इस दौरान अफसरों ने कहा कि हरकी पैड़ी पर गंगा की अविरलधारा के संबंध में अभिलेखीय साक्ष्य मौजूद हैं। बहरहाल पूर्व सीएम हरीश रावत द्वारा अखाड़ा परिषद व श्री गंगा सभा के नाम अपनी सरकार द्वारा गंगनहर का नाम बदलने को तकनीकी भूल को सुधारने आह्वान करते हुए लिखी गई चिट्ठी के बाद राज्य की त्रिवेंद्र सरकार भी एकएक एक्शन में आ गई है। माना जा रहा है कि हरकी पैड़ी से बह रही गंगा की धारा का नाम गंगनहर घोषित करने से करोड़ों हिंदू समाज के लोगों की आस्था पर ठेस पहुंच रही है। हांलाकि साधू संतों ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया में बदलाव की बात कही है। अपनी चिट्टी में जहां पूर्व सीएम ने गंगनहर को तकनीकी भूल बताया वहीं उन्होंने इसके पीछे की असली वजह को भी बताया है जिसमें एनजीटी के एक आदेश से भारी नुकसान का अंदेशा जताया था। बहरहाल अब एक बार फिर कांग्रेस सरकार के नोटिफिकेशन को बदलने की सियासत तेज हो गई है। बताया तो यह भी जा रहा है कि भविष्य में ‘गंगनहर’ को ‘देवधारा या फिर महादेव की धारा’ नया नाम दिया जा सकता है। जबकि पर्यावरणीय सुरक्षा की दृष्टि से एनजीटी के आदेश को लेकर भी व्यापक मंथन किया जा रहा है। अगर पूर्ववर्ती सरकार के नोटिफिकेशन में बदलाव होता है तो फिर एक बार आवासीय भवनों के अलावा धर्मशालाओं व सैकड़ों मंदिरों पर ध्वस्तीकरण का संकट आ सकता है। लिहाजा अब राज्य की त्रिवेंद्र सरकार भी सभी पहलुओं पर व्यापक मंथन करने में जुट गई है।

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