जिला अस्पताल में धरने पर बैठे विधायक शुक्ला

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रुद्रपुर(उत्तरांचल दर्पण संवाददाता)। जिला अस्पताल में महिला की मौत के बाद किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला अपनी ही सरकार के खराब सिस्टम से नाराज होकर जिला अस्पताल में ही धरने पर बैठ गए। विधायक शुक्ला महिला की मौत को लेकर स्वास्थ्य सेवाओं के खराब सिस्टम से इतना नाराज हो गए कि जिला अस्पताल में चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारियों  से बहुत कुछ कह बैठे विधायक शुक्ला ने कहा कि उन्हें इस बात का बेहद अफसोस है कि उन्होंने डाॅक्टरी की पढ़ाई नहीं की। काश वह डाॅक्टर होते तो इस गरीब महिला को बचा लेते। विधायक के मुताबिक किच्छा क्षेत्र भंगा निवासी पार्वती पत्नी ढक्कन लाल की देर शाम तबियत बिगड़ गई थी।जिसके बाद परिजन उपचार के लिए उसे जिला अस्पताल लेकर आये। जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों ने पार्वती की प्लेटलेट्स गिरने की बात कहते हुए उसे अन्यत्र रेफर कर दिया।अर्धबेहोशी की हालत में परिजन पार्वती को किच्छा मार्ग स्थित एक निजी अस्पताल में लेकर गए। वहां इलाज में भारी खर्चा आने की बात पर परिजन परेशान हो गए।परिजनों के मुताबिक मामले का संज्ञान लेते हुए विधायक राजेश शुक्ला ने कोविड-19 के नोडल अधिकारी गौरव अग्रवाल से जब बात करनी चाही तो उन्होंने विधायक का फोन नहीं उठाया। जिसके बाद परिजन पार्वती को इलाज के लिए लेकर हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी मेडिकल काॅलेज पहुंचे।वहां भी जब पार्वती को भर्ती नहीं किया गया। परेशान परिजन थक हार कर दोबारा से जिला अस्पताल पहुंचे।जहां कुछ देर बाद उपचार के दौरान पार्वती की मौत हो गई।विधायक शुक्ला का आरोप है कि महिला की मौत चिकित्सकों पर घोर लापरवाही से हुई। विधायक के धरने पर बैठने की सूचना पर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.डीएस पंचपाल आनन-फानन में मौके पर पहुंचे और विधायक शुक्ला की मान मनुहार कर मामले की जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया। विधायक शुक्ला ने आरोप लगाया कि एक संविदा चिकित्सक को नोडल अधिकारी जैसे जिम्मेदार पद पर तैनाती दी गई है जो कि पूरी तरह से असंगत है।उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान भव व ईएसआई समेत अन्य सेवाओं के एवज में किच्छा मार्ग स्थित निजी अस्पताल को अब तक किए गए भुगतान की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की।खबर लिखे जाने तक विधायक शुक्ला का जिला अस्पताल में धरना जारी था।

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