पुण्यतिथि पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी का किया स्मरण
रूद्रपुर(उद संवाददाता)। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गंाधी की पुण्यतिथि पर जिला कंाग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों नें जिला महासचिव सुशील गाबा के नेतृत्व व कांग्रेस जिला सचिव चन्द्रशेखर डब्ल्यू के संचालन में राजीवनगर वार्ड संख्या 35 में स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर भावभानी श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस जिला महासचिव सुशील गाबा नें कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी बहुत दूरदर्शी व विराट शख्सियत थे, जिन्होनें युवाओं को मताधिकार, देश में कम्प्यूटर क्रांति व पंचायती राज की स्थापना कर देश को तरक्की के रास्ते पर अग्रसर किया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी नें 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार व सशक्त बनाने की पहल की. 1989 में संविधान के 61वें संशोधन के जरिए वोट देने की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई. इस प्रकार अब 18 वर्ष के करोड़ों युवा भी अपना सांसद, विधायक से लेकर अन्य निकायों के जनप्रतिनिधियों को चुन सकते हैं। पार्षद मोनू निषाद नें कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 राजीव गांधी का मानना था कि विज्ञान और तकनीक की मदद के बिना उद्योगों का विकास नहीं हो सकता। उन्होनें भारत में कंप्यूटर क्रांति लाकर ना सिर्फ कंप्यूटर को भारत के घरों तक पहुंचाने का काम किया बल्कि भारत में इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को आगे ले जाने में अहम रोल निभाया। उन्होंने कंप्यूटर को आम लोगों पहुंचानें हेतु कंप्यूटर को अपने कंट्रोल से हटाकर पूरी तरह ऐसेंबल किए हुए कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया जिसमें मदरबोर्ड और प्रोसेसर थे.। उन्होंने कंप्यूटर तक आम जन की पहुंच को आसान बनाने के लिए कंप्यूटर उपकरणों पर आयात शुल्क घटाने की भी पहल की। इससे देश आधुनिकता के रास्ते पर बढ़ चला। कांग्रेस नेता गौतम घरामी नें कहा कि स्व0 राजीव गांधी जी नें देश में पंचायतीराज व्यवस्था की नींव रखी। दरअसल, राजीव गांधी का मानना था कि जब तक पंचायती राज व्यवस्था मजबूत नहीं होगी, तब तक निचले स्तर तक लोकतंत्र नहीं पहुंच सकता. उन्होंने अपने कार्यकाल में पंचायतीराज व्यवस्था का पूरा प्रस्ताव तैयार कराया। 21 मई 1991 को हुई हत्या के एक साल बाद राजीव गांधी की सोच को तब साकार किया गया, जब 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन के जरिए पंचायतीराज व्यवस्था का उदय हुआ। राजीव गांधी की सरकार की ओर से तैयार 64वें संविधान संशोधन विधेयक के आधार पर नरसिम्हा राव सरकार ने 73वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कराया. 24 अप्रैल 1993 से पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई. इस व्यवस्था का मकसद सत्ता का विकेंद्रीकरण था। इस दौरान पूर्व सभासद इन्द्रजीत सिंह, संजय आईस, विमल घरामी, जयदेव मदक, मंजीत कर्मकार, विमल घरामी, मनीष विश्वास, सुखदेव मंडल, आदि उपस्थित थे।