जनता की नजरों में खाकी बनी सुपर स्टार
मानवता की सेवा ने लोगों की नजरों में बदली खाकी की तस्वीर, पूरे देश में गरीबों एवं असहाय लोगों के बने मददगार
देहरादून/रूद्रपुर। आज पूरा विश्व कोरोना वायरस के संक्रमण में है। अधिकांश देशों में इसको लेकर हाहाकार मचा है। इटली,स्पेन, अमेरिका, फ्रांस सहित पूरे विश्व में कोरोना वायरस के संक्रमण में आने वाले लोगों की संख्या 19 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है और 1.25 लाख से ऊपर लोग अपनी जान गवां चुके है। कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जा रहे है। कोरोना वायरस से संक्रमित इंसान के पास जाने के नाम से ही इंसान की रूह कांप उठ रही है। कोरोना वायरस के संक्रमण ने इंसान को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया जहां अपने भी उसे पराये नजर आ रहे हैं। ऐसी गंभीर और विपरीत स्थिति में इंसान की मदद कर रहे ऐसे लोगों को भगवान के भेजे देवदूत कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।
कोरोना पीड़ितांे के लिये चिकित्सक, मेडिकल स्टाफ,वार्ड ब्वाय और सफाई कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर इनकी रक्षा करने में जुटे हुये है और अपने दायित्वों से ऊपर उठकर इनकी सेवा कर रहे है और इन सबसे ऊपर ऐसे लोगों की भी फौज है जो अपने परिवार से दूर रहकर भूखे प्यासे,दिन-रात सिर्फ जनता की सेवा में जुटे हुये है। ऐसा नही है कि यह इनका कर्तव्य है। केवल नैतिकता और मानवता की सेवा के लिये पूरे हिन्दुस्तान की जनता की रक्षा के लिये दिन रात कई घण्टे खड़े रहते हुये अपना फर्ज निभा रहे है। अब तो आप समझ ही गये होगे कि हम किन लोगों की बात कर रहे है। जी हाॅ, शहर ही नही पूरे जिले,प्रदेश बल्कि पूरे हिन्दुस्तान में खाकी वर्दी केवल शांति व्यवस्था बनाने और अपराधियों को पकड़ने के अपने कार्य से आगे बढ़कर ऐसी भूमिका निभा रही है जिसकी हमने,आपने क्या पूरे हिन्दुस्तान ने कल्पना भी नही की थी।
इस विषम परिस्थति में अपना सब कुछ न्यौछावर कर देश की जनता की सेवा में जुटी हुई है। अपने माॅ-बाप,परिवार और बच्चों से कई-कई दिनों तक दूर रहने वाले अभाव के बीच पुलिस कर्मी अपने फर्ज के आगे कितना त्याग करते है, इसका आंकलन लोग आसानी से नही कर पाते। खाकी को डर की निगाह से देखने वाली हिन्दुस्तान की जनता के मन और मस्तिष्क में अब खाकी वर्दी के प्रति ऐसी फिल्म बन चुकी है जो किसी फरिश्तों से कम नही है। पूरे देश में सोशल डिस्टेंसिंग एवं लाॅक डाउन के नियम का पालन कराने के साथ-साथ हर जगह पुलिस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अस्पतालों, क्वारेंटाइन सेंटर सहित सारी सार्वजनिक व्यवस्थाये जिम्मेदारी पुलिस के कंधो पर है। वर्तमान परिस्थिति में कोरोना वायरस से संक्रमण होने का खतरा पुलिस कर्मियों पर सबसे ज्यादा है। इसके बावजूद पुलिस कर्मी किसी भी तरह की कोताही नही बरत रहे।
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने और लोगों को बचाने के लिये पुलिस कर्मी खाली सड़कों पर कड़ी धूप में घंटों तक खड़े रह रहे है। आपकी और हमारी सुरक्षा की खातिर पुलिस कर्मी लाॅक डाउन का उल्लंघन करने वालों को रोकने के लिये सख्ती भी दिखाते है, यह जानते हुये कि उन व्यक्तियों से उन्हे गुस्साईं निगाहें, अभद्रता के अलावा बहुत जानलेवा बीमारी भी प्राप्त हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद मानवता के आगे सब कुछ स्वीकार कर अपना फर्ज निभा रहे है। मानवता की सेवा में कहीं भी पीछे नही हट रहे। गरीब,मजदूर, लाचार लोगों को तो उनके घर-घर पहुंच कर खाद्यान्न सामग्री के साथ-साथ भोजन के पैकट उपलब्ध करा रहे है। दिन हो या रात इसकी उन्हे कोई परवाह नही, जहां जरूरत वहां पहंुच कर जरूरत मंदों की मदद कर रहे है। पूरे देश में पुलिस कर्मियों के कई साहसिक एवं मार्मिक वृतांत रोज देखने और सुनने को मिल रहे हैं। कहीं कोई पुलिस अधिकारी या कर्मी भूखे को खाना दे रहा है तो कहीं अन्य जरूरत का सामान वितरित कर रहा है।
लाॅक डाउन के चलते जिन लोगों का गंभीर बीमारियों के चलते दूर कहीं से इलाज चल रहा है तो उन्हें उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने में हर तरीके से मददगार साबित हो रहे है। यही नही क्षेत्र में उपलब्ध नही हो पा रही कुछ विशेष दवाईयों को भी मरीजों तक पहुंचाने में सारथी की भूमिका अदा कर रहे है। यही नही इस मुसीबत की घड़ी में निराश्रितों के अंतिम संस्कार में भी मदद करने को पीछे नही हट रहे। सच्चाई तो यह है कि जिस खाकी वर्दी वाले पुलिस से आमतौर पर जनता डरती थी, जिसके प्रति देश में कुछ लोगों का नजरिया गलत था आज उन लोगों तक का नजरिया खाकी के प्रति बदल गया है। उसी खाकी वर्दी में पुलिस लोगों के लिए मसीहा बनकर उनके घरों तक जरूरी सामान पहुंचाने का काम बखूबी कर रही है। वर्तमान परिदृश्य में पुलिस की छवि लोगों के दिलों में फरिश्तों से कम नही है। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे लोगों के सम्मान में सिर्फ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर ही नही लोगों ने थाली,शंख और तालियां बजाई बल्कि लोगों के मन में खाकी के प्रति बढ़े सम्मान ने भी इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा और मानवता के प्रति सेवा कार्य से आज आम जनता उनके आगे नतमस्तक है। पुलिस कर्मियों पर कहीं फूलों की वर्षा, तो कहीं उनका शाॅल औढ़ाकर सम्मानित किया जा रहा है। वही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पुलिस कर्मियों द्वारा किये जा रहे उल्लेखनीय कार्याे के लिये उन्हे नगद पुरस्कार देकर उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है। मतलब साफ है कि पुलिस जिस प्रकार से लाॅक डाउन के दौरान लोगों का ख्याल रख रही है तो ऐसे में लोग भी पुलिस को देवदूत मानकर उनका सम्मान कर रहे हैं। इस मुश्किल घड़ी में जब पुलिस अपने अपनों का साथ छोड़ जान हथेली पर रखकर कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं तो उनका सम्मान तो बनता ही है। इस मुश्किल की घड़ी में लोगों के प्यार और सम्मान से पुलिस का हौसला भी बढ़ता है। इसके साथ ही यह भी सबसे जरूरी है कि मानवता के समक्ष प्रस्तुत इस अभूतपूर्व संकट के आगे पूरी जनता पुलिस प्रशासन के साथ एकजुट होकर रहे और उनके द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों का सख्ती के साथ पालन करे। इसके विपरीत कुछ गैरजिम्मेदाराना और मौकापरस्त लोग पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं की टीमों के ऊपर पथराव और हमले भी करते रहे है। ऐसी घटनाएं पुलिस के मनोबल तथा मानसिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डालने वाली हैं। लेकिन आम जनता को चाहिये कि पुलिस प्रशासन के साथ-साथ कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ जंग लड़ रहे महान लोगों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाये और हमेशा उनका हौसला बढ़ाने का काम करते रहे ताकि कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे लोगों का मनोबल बढ़ता रहे। इसके साथ ही हम सब को यह भी समझना चाहिये कि पुलिस कर्मी कितनी गंभीर और विपरीत परिस्थितियों में रहकर कार्य करते है और अपना फर्ज निभाकर जनता की सेवा करते है। इसका मर्म कई वर्ष पूर्व मशहूर कवि स्व0 हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई कविता की इन पंक्तियों में साफ झलकता है, जो उन्होंने पुलिस को समर्पित करते हुये लिखी थी।
‘बिना पुलिस के चल कर तो देखो,रोकेंगे हर राह दरिंदे, बिना पुलिस के चलकर तो देखो।।
कोई नहीं समय सीमा है, कोई नहीं ठिकाना है। जहाँ जहाँ भी पड़े जरूरत, वहां-वहां भी जाना है।।
दिन को डड्ढूटी रात को पहरा, एक रात तो करकर देखो। बिना पुलिस के चलकर तो देखो।।
इनका वेतन चपरासी सा, काम हमेशा करना है। गर्मी जाड़ा बारिश में भी, भाग भाग कर मरना है, बिना पुलिस के चलकर तो देखो।।
छुट्टðी तक को तरस रहे हैं, अफसर के दरवाजे पर। पोस्टमार्टम इन्हें कराना, रहते रोज जनाजे पर।।
राजनीति के हथकण्डे से, कभी कभी तो बचकर देखो। बिना पुलिस के चलकर तो देखो।।
ये भी लाल लाडले माँ के, इनके भी परिवार रहे। होली,ईद दशहरा पर भी, इनके आंसू रोज बहे।।
बात अगर हो लाख टके की, इनकी पीड़ा मिलकर देखो। बिना पुलिस के चलकर तो देखो।।
देश की महान जनता को चाहिये कि कोरोना के खिलाफ अपनी जान दांव पर लगाकर सेवा कर रहे लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता जताये और लाॅकडाउन के दौरान सोशल डिस्टैन्स का पालन करते हुये अपने-अपने घरों में रह कर अपना एवं अपनों की रक्षा करे,क्योकि ऐसा करने से हिन्दुस्तान में कोरोना का खात्मा होना निश्चित है।