देहरादून(उद संवाददाता)। प्रदेश के करीब डेढ़ लाख से अधिक जनरल-ओबीसी कर्मचारियों की आज से बेमियादी हड़ताल शुरू हो गई। कई दफ्रतरों में तालाबंदी कर कर्मचारी परेड ग्राउंड में पहुंचे। वहीं सरकार ने हड़ताल को देखते हुए नो वर्क नो पे का आदेश जारी कर दिया है। आज कर्मचारी नेताओं ने दफ्रतरों पर जुट कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वह इस मांग पर अड़े हैं कि जब तक बिना आरक्षण पदोन्नति बहाली का शासनादेश उन्हें नहीं मिल जाता, हड़ताल नहीं रुकेगी। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि हड़ताल सफल होगी और सरकार को हमारी मांग माननी ही पड़ेगी। अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ आंदोलन राष्ट्रव्यापी है। हरिद्वार में उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्पलाइज एसोसिएशन के आ“वान पर प्रोन्नति में आरक्षण खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने की मांग को लेकर हड़ताल का विकास भवन में असर देखने को मिला। कई विभागों में पटल सूने नजर आये। रुड़की में प्रमोशन में आरक्षण प्रक्रिया के विरोध में सोमवार को तहसील में कर्मचारी हड़ताल पर रहे। कोषागार विभाग, आपूर्ति पूर्ति विभाग और ब्लाक किले कर्मचारियो ने काम छोड़कर प्रदर्शन किया। कर्मचारी के हड़ताल पर रहने से लोगों के राशन कार्ड नहीं बन पाए। वहीं एआरटीओ कार्यालय में भी हड़ताल का असर दिखा। वहीं हड़ताल को लेकर सरकार गंभीर हो गयी है। सरकार ने हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए ‘नो वर्क नो पे’ का आदेश जारी कर दिया है। मुख्य सचिव उतपल कुमार सिंह ने इसके आदेश जारी किये हैं। आदेश में भी हड़ताल से आम जनता को होनी वाली समस्याओं का भी मुख्य सचिव ने जिक्र किया है। उन्होंने हड़ताल को कर्मचारी आचरण नियमावली के खिलाफ बताया है। विधानसभा सत्र कल से शुरू हो रहा है। ऐसे में कर्मचारियों की हड़ताल सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। जनरल-ओबीसी कर्मचारी मोर्चा प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करने की मांग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी आरक्षण योग्यता के आधार पर देने का फैसला दे चुका है। हालांकि उसमें राज्यों को व्यवस्था को लागूं करने की छूट दी गई है। उसी को लेकर उत्तराखंड में सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है। जनरल-ओबीसी कर्मचारी मोर्चा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागूं करने की मांग कर रहा है। दूसरी और एसी/एसटी कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं माने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
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