पंतनगर को केंद्रीय विवि बनाने की पूटा ने छेड़ी मुहिम

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पंतनगर(उद संवाददाता)।देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों के लिए एक माडल के रूप में प्रतिष्ठित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थापना अमेरिका में प्रचलित ‘लैंडग्रांट माडल‘ पर की गई थी। इस विवि ने अब तक देश को 38455 स्नातकों को कृषि क्षेत्र में सेवा के लिए तैयार किया तथा 326 प्रजातियों को देकर देश में उत्पादन बढ़ाने का कार्य किया। लेकिन प्रदेश सरकार अब इस विवि को नहीं संभाल पा रही है। यह बात पूटा अध्यक्ष डॉ- रोहिताश सिंह ने गुरूवार को कृषि महाविद्यालय सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। बताया कि पंतनगर विवि को केंद्रीय विवि बनाने के लिए राष्ट्रपति, पीएमओ समेत कृषि, वित्त व एचआर मंत्रलयों को पत्र लिखा गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर की गई रायशुमारी में दो हजार लागों ने सहमति दी है। 1960 में प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा शुभारंभ किए इस विवि ने कृषि के क्षेत्र में इस देश की अप्रतिम सेवा की है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विरासत में मिली भुखमरी से खाद्यान्नों के भरपूर उत्पादन हेतु विवि ने नई तकनीकों के विकास से देश को खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। इस विवि की उपलब्धियों से आकर्षित होकर देश में लगभग 74 कृृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। इस विवि द्वारा निर्मित ढांचे से देश में दो राज्य कृषि विवि (सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि विवि, मोदीपुरम् मेरठ, उप्र तथा वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली औद्यानिक एवं वानिकी विश्वविद्यालय, पौड़ी, उत्तराखंड़) का निर्माण हो चुका है। इस विवि का कुल कार्य क्षेत्र अब सिर्फ 13 जिलों तक सीमित हो चुका है जबकि पूर्व में इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण उत्तर प्रदेश रह चुका है। आज प्रदेश सरकार इसे संभाल नहीं पा रही है, और इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विवि की वर्तमान स्थिति बहुत ही दयनीय हो चली है। इस विवि को सुचारू रूप से चलाने के लिए लगभग तीन सौ करोड़ रूपए वार्षिक अनुदान की आवश्यकता है, लेकिन इसके सापेक्ष प्रदेश सरकार मात्र आधा भी नहीं खर्च कर पा रही है। सीमांत प्रदेश होने के कारण यहां से लोगों का पलायन राष्ट्र के लिए घातक है। हमारा सुझाव है कि इस विवि की जिम्मेदारी केंद्र को देकर इस विवि पर होने वाला राज्य का खर्च पर्वतीय कृषि पर खर्च किया जाए। जिससे कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार का विवि पर होने वाला खर्च बचेगा, जिसे अन्य विकास कार्यों में खर्च किया जा सकता है। वार्ता में पूटा अध्यक्ष रोहिताश सिंह, उपाध्यक्ष डॉ- डीसी बसखेती, महामंत्री डॉ- विनय कुमार सिंह, कोषध्यक्ष डॉ- विनय कुमार सिंह मोर्चा अध्यक्ष जनार्दन सिंह, महामंत्री डॉ- महेंद्र शर्मा, महासंघ अध्यक्ष त्रिलोकी शंकर मिश्रा आदि मौजूद थे।

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