पवार बोले बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे फडणवीस
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस काॅफ्रेस को संबोधित किया। शरद पवार ने कहा कि न ही एनसीपी के विधायक और न ही कार्यकर्ता बीजेपी ज्वाइन करेंगे। सच्चे कार्यकर्ता कभी बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएंगे। हम बीजेपी के खिलाफ हैं। शरद पवार ने कहा कि 10 से 11 विधायक अजित पवार के साथ गए हैं। मुझे भी शपथग्रहण का पता सुबह चला। फिलहाल अभी कौन-कौन गया है इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन विधायकों के खिलाफ जो ऐक्शन लेना होगा लेंगे। शरद पवार ने कहा कि बीजेपी को समर्थन का फैसला अजित पवार का है। हम कतई इसके पक्ष में नहीं हैं। देवेंद्र फडणवीस सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। शरद पवार ने कहा कि भाजपा का समर्थन करने वाले राकांपा विधायकों को पता होना चाहिए कि उनके इस कदम पर दल बदल विरोधी कानून लागू होगा। उन्होंने कहा कि अजित पवार का फैसला अनुशासनहीनता है, कोई भी राकांपा कार्यकर्ता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में राकांपा विधायकों ने कहा कि उन्हें राज भवन ले जाया गया लेकिन उन्हें यह मालूम नहीं था कि शपथ ग्रहण समारोह के लिए ले जाया जा रहा है। दूसरी तरफ, कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य में चोरी-छिपे सरकार बनाई गई। महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ले ली है। वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। सुबह करीब आठ बजे राजभवन में राज्यपाल बी।एस। कोश्यारी ने दोनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आपको बता दें कि आज सुबह तक महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कही जा रही थी। तीनों दल उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने पर सहमत भी हो गए थे और चर्चा थी कि आज औपचारिक तौर पर वे राज्यपाल से मिलकर दावा पेश करते, लेकिन इसी बीच अजित पवार श्किंगमेकरश् बनकर उभरे और राज्य का सियासी समीकरण बदल गया। आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को परिणाम आए थे। चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं। किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था