उत्तराखंड को एक और विकास पुरुष की जरूरत
स्वर्गीय एनडी तिवारी द्वारा लगाए गए लगभग सारे उद्योग बंद, रोजगार को तरस रहे युवा
नरेश जोशी
रुद्रपुर। राज्य गठन को 19 साल पूरे होने जा रहे हैं और 9 नवंबर को सरकार फिर एक बार बड़े ही धूमधाम से राज्य स्थापना दिवस मनाएगी। पर आज भी हर उत्तराखंडी के जहन में एक सवाल खड़ा होता है कि बीत चुके इन 19 सालों मे सरकारों ने आिखर क्या किया? विकास पुरुष के नाम से अपनी पहचान बना चुके पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी द्वारा लगाए गए सारे उद्योग लगभग बंद हो चुके हैं और सत्ता पर बैठे लोग सिर्फ लकीर पीटते रहे। हैरानी की बात यह है कि 80 के दशक एनडी तिवारी द्वारा लगाई गई एचएमटी फैक्ट्री को राज्य की सरकारें फिर से चालू करने की बात करती रही पर 2016 आते आते इस फैक्ट्री को औपचारिक रूप से पूरी तरह बंद कर दिया गया। यही नहीं एनडी तिवारी द्वारा लगाए गए उद्योगों को बचाने में उत्तराखंड की सरकारें पूरी तरह नाकाम साबित रही उत्तराखंड के बड़े नेता सिर्फ कागजी घोड़े दौडाते रहे और पहाड़ी क्षेत्रों पर लगे उद्योग बंद होते चले गए। राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में उत्तराखंड राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और पं. नारायण दत्त तिवारी को फिर एक बार उत्तराखंड राज्य की कमान सौंपी गई। लोगों को एनडी तिवारी से बहुत उम्मीदें थी और उम्मीदों के मुताबिक विकास की परख रखने वाले पंडित नारायण दत्त तिवारी ने 2002 में ही सिडकुल का गठन कर दिया जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना था लगभग भीमताल इंडस्ट्रियल एस्टेट वाली नीति ही सिडकुल में भी अपनाई गई उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योगपतियों को सस्ती जमीन देना पूजी और विनियोग सूची प्रदान करना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में भी छूट प्रदान की गई और आज 17 साल बाद सिडकुल का हाल बुरा हो चुका है सिडकुल कि जमीन पर लगे कई उद्योग बंद हो चुके हैं बंद हो जाने के बाद भी इन उद्योगपतियों का सिडकुल की जमीन पर कब्जा है। जानकारी के अनुसार उद्योगों के लिए दी गई जमीन में कुछ अन्य कार्य जैसे हाउसिंग प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं शर्त के मुताबिक सिडकुल की इन कंपनियों में 70» स्थानीय लोगों को रोजगार देना था किंतु ऐसा नहीं हुआ। इससे पूर्व भी 80 के दशक में उत्तराखंड में उद्योग स्थापित करने पर कुछ पहल हुई तब विकास पुरुष माने जाने वाले पहाड़ के नेता स्व. नारायण दत्त तिवारी का इसमें प्रमुख योगदान रहा वर्ष 1982 में तत्कालीन उद्योग मंत्री पं. नारायण दत्त तिवारी ने कुमाऊं के प्रवेश द्वार रानी बाग में एचएमटी की बुनियाद रखी और 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने इसका उद्घाटन किया इसके साथ ही 1 बेंगलुरु में स्थापित इस घड़ी कंपनी की एक यूनिट यहां स्थापित हो गई। तब एचएमटी घड़ी सबसे लोकप्रिय घड़ियों में एक मानी जाती थी। लेकिन वक्त बदलने के साथ ही लोगों को समय बताने वाली एचएमटी कंपनी अपने बुरे दौर में चली गई। 90 के दशक के अंतिम दिनों में यह कंपनी बंदी के कगार पर आकर खड़ी हो गई। वर्ष 2000 में उत्तराखंड अलग राज्य बना और पहाड़ी क्षेत्र में रह रहे लोगों को अपने अलग प्रदेश से बहुत सी उम्मीदें जुड़ी सत्ता पर बैठे लोगों ने एचएमटी फैक्ट्री को बंद नहीं होने का वादा किया किंतु 2013 में फैक्ट्री का बिजली कनेक्शन काट दिया गया और फैक्ट्री 2016 में औपचारिक रूप से पूरी तरह बंद कर दी गई। उत्तराखंड के लोगों को सिडकुल से बहुत उम्मीदें हैं किंतु हालात बताते हैं कि सिडकुल की स्थिति भी खराब हो चुकी है प्रदेश में सरकारें बदलती रही पर उद्योगों को लेकर किसी भी सरकार ने कोई ठोस रणनीति तैयार नहीं कि यही बड़ा कारण है कि आज राज्य गठन के 19 साल बाद भी पहाड़ी क्षेत्रों पर उद्योग नहीं चढ़ पाए।