चाँद की अधूरी यात्रा में भी भारत की एक बड़ी जीत
नई दिल्ली। भारत शुक्रवार की रात इतिहास रचने से दो कदम दूर रह गया। अगर सब कुछ ठीक रहता तो भारत दुनिया पहला देश बन जाता जिसका अंतरिक्षयान चन्द्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरता। इससे पहले अमरीका, रूस और चीन ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग करवाई थी लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर नहीं। कहा जा रहा है कि दक्षिणी ध्रुव पर जाना बहुत जटिल था इसलिए भी भारत का मून मिशन चन्द्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया। शुक्रवार की रात चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर बस उतरने ही वाला था कि लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया। संपर्क टूटने से पहले चंद्रमा की सतह से दूरी महज 2.1 किलोमीटर बची थी। प्रधानमंत्री मोदी भी इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए इसरो मुख्यालय बेंगलुरु पहुंचे थे। लेकिन आिखरी पल में चंद्रयान-2 का 47 दिनों का सफर अधूरा रह गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने मिशन के बाद कहा, विक्रम लैंडर योजना के अनुरूप उतर रहा था और सतह से 2-1 किलोमीटर दूर तक सबकुछ सामान्य था। मगर इसके बाद उससे संपर्क टूट गया। डेटा की समीक्षा की जा रही है। विक्रम को रात 1ः30 बजे से 2ः30 बजे के बीच चांद की सतह पर उतरना था। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की उपलब्धि को देखने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी भी बेंगलुरु में इसरो के मुख्यालय पहुँचे थे।सबकुछ सुचारु तरीके से चल रहा था और वैज्ञानिक विक्रम के सतह के निकट पहुँचने के हर कदम पर नजर रखे हुए थे।