श्रावण की महाशिवरात्रि पर भोले के जयकारों से गूंजी धर्मनगरी
हरिद्वार(उद सहयोगी)। श्रावण की महाशिवरात्रि को धर्मनगरी हरिद्वार के शिवालयों में शिव भक्तों श्रद्धालुओं और कावड़ यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ी। धर्मनगरी में इस समय कांवड़ यात्रियों के साथ साथ स्थानीय शिव भक्तों की भारी भीड़ शिवालयों में उमड़ी हुई है। वहीं कांवड़ यात्रा के अन्तिम चरण को उत्तराखंड सरकार और पर्यटन विभाग द्वारा खास और यादगार बनाया गया। कांवड़ यात्रा के अन्तिम चरण में हरकी पौड़ी में कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा की गयी। इस दौरान कांवड़ियों ने बम बम भोले के जयकारे लगाये।हरिद्वार से लगे हुए जनपदों और स्थानों के निवासी से भक्त कावड़ यात्री अपनी वापसी के क्रम में सुबह गंगा स्नान करने के बाद शिवालयों में जलाभिषेक किया और फिर अपनी वापसी यात्रा शुरू की। साल में दो बार महाशिवरात्रि मनाई जाती है। पहली महाशिवरात्रि फाल्गुन मास में तथा दूसरी सावन मास में मनाई जाती है। फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि शिव पार्वती के विवाह पर मनाई जाती है, जबकि श्रावण मास की महाशिवरात्रि समुद्र मंथन से निकले कलाकूट हलाहल विष का भगवान शिव शंकर द्वारा किए गए पान के मौके पर मनाई जाती है। इसी विष को अपने कंठ में धारण करने पर ही शिव का नाम नीलकंठ भी पड़ा। शिवालयों में महाशिवरात्रि के निमित्त पहले से सारी तैयारी पूरी कर ली गई थी। रंग रोगन के साथ साथ शिव मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया भी गया था। शिवलिंग की आकर्षक साज-सज्जा करने के साथ ही देर रात से ही भजन कीर्तन शुरू हो गए थे। स्थानीय लोगों के साथ साथ बाहर से आने वाले शिव भक्त कांवड़ यात्रियों ने गंगा स्नान और पूजन के साथ रात से ही शिव जलाभिषेक और रुद्राभिषेक आरंभ कर दिया था। भोर होते होते इनकी संख्या में काफी इजाफा हो गया। व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंदिर प्रशासन के साथ स्थानीय प्रशासन ने पुख्ता बंदोबस्त किए हुए थे। सबसे ज्यादा भीड़ कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर नजर आई। चंडीघाट के पास नीलेश्वर महादेव मंदिर, गौरी शंकर महादेव मंदिर, बिल्केश्वर महादेव मंदिर के साथ अन्य मंदिरों में भी शिव भक्तों की भीड़ उमड़ी। कनखल के दरिद्र भंजन मंदिर, दक्षेश्वर महादेव, श्री मृत्युंजय महादेव और बिल्केश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग का विशेष श्रृंगार किया गया। बाहर से आने वाले कांवड़ यात्रियों ने और स्थानीय लोगों ने महाशिवरात्रि के दिन सुबह सवेरे हरकी पैड़ी स्नान ध्यान करने के साथ गंगा पूजन करने के बाद गंगाजल लेकर शिव का जलाभिषेक किया। धर्म नगरी भोले शंकर के जयकारों से गूंज रही है और हर कहीं घंटे घड़ियाल की आवाज सुनाई दे रही है। इस समय हरिद्वार से बचे हुए शिव भक्तों का कांवड़ यात्रियों का की वापसी का क्रम तेज हो गया है। यह सभी भी महाशिवरात्रि को शिवालयों में जलाभिषेक करने के बाद अपने अपने गंतव्य को रवाना हो रहे हैं। इसलिए हर तरफ शिवभक्त कांवड़ यात्रियों का रेला नजर आ रहा है, जो भोले की भक्ति में लीन हर बम-बम भोले के जयकारे लगा रहा है। हरिद्वार से लगे हुए जनपदों और स्थानों के शिवभक्त कावड़ यात्री इनमें शामिल हैं।