आपसी सहमति से बने सम्बंध आखिर बलात्कार कैसे?

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निर्भय / हल्द्वानी
आजकल समाज में आ रही विकृतियों के लिए समाज का हर वर्ग जिम्मेदार है। विकृतियों ने बलात्कार जैसी घटनाओं को भी शर्मनाक प्रदर्शित करने के बजाय हास्यास्प्रद कर दिया है। बलात्कार पहले बलात व जबरन किए जाने वाले दुराचार को कहा जाता था। लेकिन आजकल बड़ी हास्यास्प्रद स्थिति यह हो गई है कि जो काम युवाओं को विवाह के बाद करना चाहिए वह सब विवाह से पहले ही कर ले रहे है। जिसमें युवक व युवती दोनों शामिल होते हैं। लेकिन बाद में उसे शादी का झांसा देकर यौन शोषण व उत्पीड़न को बलात्कार की संज्ञा दे दी जाती है और तो और रही-सही कसर पुलिस पूरी कर देती है। जब पुलिस धारा 376 के तहत बलात्कार का मुकदमा दर्ज करती है। इन सबके लिए मूल रूप से समाज का हर वर्ग जिम्मेदार है। क्योंकि एक बार विवाह के लिए भारत सरकार द्वारा पुरुषों की उम्र 21 व महिलाओं की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गई थी जिसे कम उम्र की बहन-बेटियों के साथ कोई भी गलत काम न कर सके। उसके बाद आज उस आयु को सिर्फ बालिग होने का प्रमाण पत्र बताया जाने लगा। जबकि भारत सरकार द्वारा बालिग होने की उम्र पुरुष व महिला दोनों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है और विवाह के लिए महिला वर्ग के लिए 18 व पुरुष वर्ग के लिए 21 वर्ष निर्धारित की गई है। जब बहन, बेटी, बेटे व भाई विवाह योग्य हो जाते हैं तो उनकी चिंता समाज का हर वर्ग क्यों नहीं करता। एक समय था जब युवक-युवतियों के विवाह योग्य होने पर उनके माता-पिता के अलावा अन्य सभी सगे रिश्तेदार, बिरादरी वाले व समाज का हर वर्ग उनके विवाह की चिंता करते हुए एक दूसरे के लिए योग्य वर-वधु की तलाश करते हुए उनके लिए योग्य रिश्ते लाते थे व बताते थे। परंतु आज समाज का हर वर्ग इससे अपना मुंह मोड़ रहा है। आखिर क्यों। यह सब गहन चिंता का विषय है। क्या माता-पिता, रिश्तेदार व समाज के सभी लोग लड़के- लड़की को विवाह योग्य नहीं मानते हैं या उनमें कोई दोष है। आखिर वह क्यों मुंह मोड़ रहे हैं। लेकिन आज कल पूरे भारत वर्ष में शादी का झांसा देकर जगह-जगह विभिन्न थानों में लड़कियों द्वारा लड़कों के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। उससे स्पष्ट है कि लड़का व लड़की को अब सम्भोग की जरूरत हो गई है। क्योंकि जो सम्भोग शादी के बाद जायज है और विवाह के बाद किया जाता है उसे अगर लड़का-लड़की विवाह से पहले करते हैं तो उसे हम बलात्कार कैसे कह सकते हैं। यह बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा। क्योंकि यह जबरन बलात किया गया बलात्कार नहीं है। शादी का वायदा करके जब लड़का- लड़की विवाह से पहले ही सहमति से सम्भोग करते हैं तो वह बलात्कार नहीं हुआ। हां इस मामले में इतना जरूर है कि इसे बलात्कार की बजाय पुलिस को धोखाधड़ी का मामला ही मानना चाहिए और तो और इस तरह के अपराधों पर पूरी तरह से जांच होनी चाहिए क्या वास्तव में इस घटना के लिए लड़का ही दोषी है। अगर लड़की भी दोषी है तो उसके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि अक्सर देखने में यह आ रहा है कि कई स्थानों पर कई लड़कियां अपने प्रेमजाल में भोले-भाले रईसजादों को फंसा रही हैं तथा उन्हें अपने जाल में फांस कर उनसे अपने शारीरिक संबंध बना रही हैं। कई मामलों में तो वह चोरी छिपे सीसीटीवी कैमरे व मोबाइल कैमरों की मदद से एमएमएस भी बनाकर रईसजादों को न सिर्फ ब्लैकमेल कर रही हैं बल्कि उनसे अच्छी खासी मोटी रकम भी वसूलने में पीछे नहीं रह रही हैं और वह कई बार इन युवाओं को बदनाम करने की पूरी साजिशें भी रचती हैं। ऐसे में इस तरह के मामले की गहन जांच की आवश्यकता है। हां मैं इतना कहना चाहता हूं समाज में जब कोई भी युवा 21 साल का हो जाए तो उसके विवाह के लिए माता-पिता व सभी रिश्तेदारों व समाज के शुभचिंतकों को चिंता करनी चाहिए। और ऐसे में उस युवा से भी शादी के बारे में उसकी न सिर्फ राय लेनी चाहिए बल्कि उसके दिलों में उत्पन्न युवा भावनाओं का भी सम्मान करते हुए अगर उसे आवश्यकता हो तो उसकी तत्काल शादी कराने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए समाज के हर नागरिक व हर वर्ग के व्यक्ति को अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए अन्यथा आजकल शादी का झांसा देकर बलात्कार के जिस तरह के मुकदमे पुलिस में दर्ज किए जा रहे हैं और न्यायालय में चल रहे हैं उससे समाज में न सिर्फ विकृति आ रही है बल्कि इससे हमारी न्यायिक और सामाजिक गतिविधियां भी बाधित हो रही हैं। इसलिए बलात्कार के इस तरह के मुकदमों में सिर्फ धोखाधड़ी के मुकदमे ही दर्ज होने चाहिए और न्यायालय में चलने चाहिए।

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