सरकार पर उपेक्षा का आरोप, नही कराया जा रहा विकास

सुंदर सड़कें, चौड़ी नालियां और राहगीरों के लिए बनेगा फुटपाथ सिर्फ दिवास्वप्न

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सुनील राणा
रूद्रपुर। नगर की दुर्दशा के चलते आम जनता भाजपा सरकार पर अपने शहर की उपेक्षा का आरोप लगा रही है। ऐसा नही है कि यह कोई आरोप पूर्वाग्रह से प्रेरित है बल्कि वास्तविकता में भी नगर का हाल बुरा हो चुका है। प्रदेश में भाजपा सरकार को दो वर्ष से अधिक का समय हो चुका है लेकिन रूद्रपुर विधानसभा में विकास के नाम पर सरकार के पास कोई विशेष उपलब्धि नजर नही आ रही। बल्कि लोगों का मानना है कि भाजपा सरकार के आते ही नगर में परेशानियां ज्यादा बढ़ गई है। इसका नजारा रूद्रपुर शहर के मुख्य बाजार को देख कर लगाया जा सकता है। लगभग एक वर्ष पूर्व रूद्रपुर शहर में एक याचिका की सुनवाई के बाद आये आदेश को लेकर नगर निगम और जिला प्रशासन ने मुख्य बाजार से अतिक्रमण हटाने की मुहिम प्रारम्भ की थी और यह विश्वास दिलाया था कि मुख्य बाजार में अतिक्रमण ध्वस्त कर शहरवासियों के लिए सुंदर सड़कें, चैड़ी नालियां और राहगीरों के चलने के लिए फुटपाथ बनाया जायेगा ताकि मुख्य बाजार का स्वरूप सुंदर बन सके। लेकिन हुआ ठीक इसके उलट। क्योंकि एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी आज भी अतिक्रमण के बाद ध्वस्त हुए अवशेष अपने अस्तित्व को तलाश कर रहे हैं। अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान तमाम नेताओं ने सीना ठोंककर कहा था कि वह रूद्रपुर शहर की सूरत को बदहाल नहीं होने देंगे और हर हाल में शहर के व्यापारियों का साथ देंगे। लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी न तो किसी ने इस ओर ध्यान दिया और न ही बदहाल सूरत को संवारने का काम किया। जिसकी बानगी अब पुनः इन बरसातों में देखने को मिल रही है जब बरसात के चलते पूरा शहर जलभराव की चपेट में आ जाता है और गंदगी सड़कों पर तैरती नजर आती है। यह स्थिति मुख्य बाजार की ही नहीं वरन उन सब जगहों की है जहां पर यह अतिक्रमण अभियान चलाया गया था। लगभग एक वर्ष पूर्व गल्ला मंडी से अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरूआत की गयी थी जो धीरे धीरे मुख्य बाजार तक पहुंच गयी थी। मुख्य बाजार में बड़ी बड़ी दुकानें और बड़ी बड़ी बिल्डिंगें इस अतिक्रमण हटाओ अभियान की जद में आ गयी थीं जिसे जेसीबी मशीन के जरिए ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि विपक्षी दल ने इसका जमकर विरोध किया था और धरना प्रदर्शन करने के बाद गिरफ्तारियां तक दी थीं। लेकिन विपक्ष की आवाज ‘थोथा चना बाजे घना’ से अधिक साबित नहीं हो पायी। हालांकि सत्तारूढ़ दल के लोगों ने भी प्रशासन के इस अभियान का विरोध किया था लेकिन वह सिर्फ औपचारिक और लोगों को दिलासा देने भर तक ही साबित हुआ था। अतिक्रमण अभियान की जद में मुख्य बाजार के अलावा शहर की तमाम गलियां भी आयी थीं। इसके अलावा काशीपुर बाईपास रोड, बस अड्डा रोड, सिब्बल सिनेमा गली, भगत सिंह चैक क्षेत्र में भी जेसीबी मशीन गरजी थी। कई दिन तक चले इस अभियान में पूरा शहर मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था। तब नगर निगम के कर्ता-धर्ता जेसीबी मशीन के आगे भी लेट गये थे और शहर को बचाने की चीख चीख कर दुहाई देने लगे थे और तमाम सत्तारूढ़ दल के नेता शहर के सौंदर्यीकरण की बात कहकर आक्रोशित लोगों को शांत करने का प्रयास करते रहे। दिन बीते, महीने बीते, समय बदला, मौसम बदला लेकिन अतिक्रमण की जद में आये शहर का स्वरूप नहीं बदल पाया। तब यह कहा गया कि शहर का सौंदर्यीकरण किया जायेगा और सुंदर सुंदर सड़कें, चैड़ी नालियां और फुटपाथ बनाया जायेगा। लेकिन इस दिशा में कार्य होना तो दूर की बात एक ईंट तक भी नहीं लग पायी। शहर के अन्य हिस्सों में भी अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। कमोबेश वहां की स्थिति भी इसी प्रकार रही। आखिर क्या कारण है कि एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई भी सार्थक पहल नहीं की गयी। जहां जहां अतिक्रमण अभियान चलाया गया वहां वहां आज भी सड़कों आदि की स्थिति बेहद दयनीय है। शहर के व्यापारी असहाय हैं क्योंकि वह न तो विरोध के स्वर उठा सकते हैं और न ही अपनी पीड़ा को उजागर कर सकते हैं। लेकिन सत्तारूढ़ दल के जनप्रतिनिधियों को यह देखना होगा कि आखिर किस कारण शहर का सौंदर्यीकरण नहीं हो पाया है क्योंकि सीमित संसाधन और विषम परिस्थितियों में काम करने का बहाना अब बेमानी है क्योंकि नगर निगम और राज्य में भाजपा की ही सरकार है तो इस सौंदर्यीकरण के रूप में शहर का जो ध्वस्तीकरण हुआ है उसका स्वरूप बदलने की जिम्मेदारी भी भाजपा सरकार की ही है।

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