अपवाद स्वरूप तीन बच्चों के माता पिता भी लड़ सकते हैं चुनाव

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रुद्रपुर(उद सवांददाता)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ द्वारा एक ऐतिहासिक निर्णय दिया गया। याचिकाकर्ता भारत भूषण चुघ बनाम उत्तराखंड राज्य एवं अन्य के मामले में दिया गया। याचिकाकर्ता जो स्वयं विधि का छात्र है तथा वह नगर निगम चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। उत्तरांचलध् उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1969 में प्रदेश सरकार के नोटिफिकेशन 21 सितम्बर 2002 के द्वारा संशोधन किये गए में जोड़ी गयी धारा 25(प) (अ) जिसके तहत नगर निगम तथा पंचायत चुनाव को लड़ने के लिए 2 से अधिक जीवित बच्चों होने पर चुनाव लड़ने पर अयोग्य ठहरा दिया गया था। चूंकि याचिकाकर्ता इस नगर निगम के चुनाव में भाग लेना चाहता था। लेकिन सरकार द्वारा उक्त संशोधन से जोड़ी गई धारा का जुड़वा दो या तीन बच्चों की स्थिति का सही निर्वाचन न हो पाने के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। याचिकाकर्ता की पहली एक पुत्री थी तथा दूसरे बार में दो जुड़वा बच्चे पैदा हुए। ऐसी स्थिति में उक्त संसोधन द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही थी। याचिकाकर्ता द्वारा यूनिटी लॉ कॉलेज के प्राचार्य डॉ केएस राठौड़ से विचार विमर्श कर एक रिट उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कुर्बान अली के माध्यम से प्रस्तुत की गई। न्यायालय के सम्मुख अधिवक्ता द्वारा जावेद अहमद तथा अन्य बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय में उठाये गए प्रश्न जो कि इस प्रकार थे कि किसी व्यक्ति के पहले में दो या तीन जीवित बच्चे पैदा हो या दूसरे प्रयास में जुड़वा दो या तीन बच्चे पैदा हो तो इस स्थिति में क्या होगा? माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इन प्रश्नों का उत्तर सम्बन्धित उच्च न्यायालय के सम्मुख उत्पन्न होने पर दिया जाएगा। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वादी के मामले को अपवादी विलक्षण परिस्थिति मानते हुए निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता उक्त संशोधन अधिनियम की धारा से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नही माना जायेगा।कोर्ट ने कहा कि इन परिस्थितियों पर याचिकाकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं था अर्थात जुड़वा बच्चा होना एक देवकृत्य है। उच्च न्यायालय ने पंजाब व हरियाणा द्वारा उच्च न्यायालय ने बनाये गए सिद्धान्तों को आधार मानते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा संशोधित अधिनियम की उक्त धारा को वैध ठहराते हुए याचिकाकर्ता के मामले को अपवादिक परिस्थिति मानते हुए उसे चुनाव लड़ने के लिए योग्य ठहराया।

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