खाओ पियो मस्त रहो,लिवर क्लींज करो स्वस्थ रहो
यूएसए से नैचुरोपैथी में पीएचडी डा. पीयूष सक्सेना की प्रेरणा से रुद्रपुर के कई लोग घर बैठे क्लींज का उठा चुके है लाभ
रूद्रपुर। बढ़ रहे प्रदूषण और बिगड़ी जीवन शैली के चलते आज कल अधिकांश लोग बीमिारयों से ग्रस्त होते जा रहे है। दिन प्रति दिन बढ़ रहे जल,वायु और मृदा प्रदूषण और फास्ट फूड के अधिक सेवन ही अधिकांश बीमारियों की जड़ मानी जाती है। जिसकी वजह से हमारे शरीर में टॉक्सिन्स जमा होते रहते है और शरीर के अंग अपनी पूरी क्षमता से काम नही करते और हम बीमारियों का शिकार हो जाते है। बिगड़ती दिनचर्या और गलत खानपान के चलते आज मधुमेह की समस्या आम हो गई है। जिसके चलते गुर्दा और यकृत जैसे शरीर के महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो रहे है जो गंभीर बीमारी पैदा कर रहे है। शरीर में एकत्र जहरीले और हानिकारक तत्वों के चलते लोग अस्वस्थ होते जा रहे है। अगर इन टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकाल दिया जाये तो हमे लगभग 90 प्रतिशत समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। शरीर में एकत्र टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिये अंग्रेजी दवाईयों का सेवन जहां सुरक्षित नही है तो वही इसका शरीर पर दुष्प्रभाव भी ज्यादा पड़ता है। वही इसके इतर शरीर में एकत्र टॉक्सिन निकालने का घरेलू उपाय काफी कारगार साबित होता है। प्रकृति रूप से की गई इस प्रक्रिया को क्लीजिंग थेरेपी कहते है। इस क्लीजिंग थेरेपी के प्रणेता यूएसए से नैचुरोपैथी में पीएचडी डा. पीयूष सक्सेना बताते है कि क्लीजिंग थेरेपी से प्रतिदिन इस्तेमाल की जाने वाली चीजो के कभी-कभी सेवन से शरीर के अंदरूनी अंगों की सफाई की जाती है। क्लीजिंग थेरेपी में आपकों परहेज की जरूरत नही होती है। आप सब कुछ खा पी सकते है और जिंदगी का भरपूर अनन्द ले सकते है। बस समय समय पर क्लींज भर करते रहे। इससे आप रोगग्रस्त होने से बचे रहेंगे। डा. सस्सेना बताते है कि उन्होंने क्लीजिंग थेरेपी के नुस्खों को पहले खुद पर आजमाया। इसके चमत्कारी परिणामों को देखेने के बाद उनके परिवार के सदस्यों,मित्रें और परिचितों ने भी इसे आजमाया और इसका लाभ उठाया। डा. सक्सेना के अनुसार, ‘मै अकेला ही चला था जानिब ए मंजिल लोग जुड़ते गये औरे थेरेपी आगे बढ़ गयी’। श्री सक्सेना ने जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से ‘अपना इलाज अपने हाथ’ में बताया कि पॉल्यूशन पैरासाइट और प्रकृति के नियमों के खिलाफ चलने सहित अन्य कारणों के चलते शरीर को जो नुकसान पहुंचता है उससे शरीर के दो महत्वपूर्ण अंग किडनी और लीवर गंभीर रूप से प्रभावित होते है। परंतु इन दोनों अंगों की खूबी यह है कि यह तीन चैथाई गड़बड़ी की दशा में भी अपना काम करते रहते है। इसलिये हमे इनके बीमार होने का पता ही नही चलता है। डा. सक्सेना कहते है कि हमारे शरीर में लिवर का कार्य काफी महत्वपूर्ण है और इसकी उपेक्षा काफी नुकसान पहुंचा सकती है। वास्तव में लिवर हमारे शरीर का त्वचा के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंग है। एक वयस्क व्यक्ति में इसका वजन सामान्यतः दो किग्रा का होता है। यह चैड़ाई में सामान्यतः 21-22 सेमी, लम्बाई में 15-17 सेमी और गहराई में 10-12 सेमी के बीच होता है। नर्म-मुलायम लाल-भूरे टिश्यूज से बना लिवर एक रेशेदार कैप्सूलनुमा संरचना के भीतर सुरक्षित होता है। यह पेट के दाये ऊपरी हिस्से में स्थित होता है। लिवर का प्रमुख कार्य पित्त का निर्माण करना है। यह कार्बोहाइड्रेट व नाइट्रोजन युक्त वेस्ट प्रोडक्टस के मेटाबॉलिज्म यानी चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर की केमिकल फैक्ट्री लीवर पाचन की तमाम जटिल प्रक्रियाओं को अंजाम देता है। यह शरीर के लिए अपरिचित या नुकसानदेह तत्वों को शरीर के लिए उपयोगी लाभदायक तत्वों में परिवर्तित करता है। लिवर ग्लूकोज को अलग करके उसे ग्लायकोजेन में परिवर्तित कर अपने भीतर संचित कर लेता है। शरीर को जब एनर्जी या ऊर्जा की आवश्यकता होती है तब लिवर ग्लायकोजेल को पुनः ग्लूकोज में परिवर्तित करके रक्त में छोड़ देता है। यह एमिनो एसिड्स को प्रोटिन्स में परिवर्तित करता हैं। डा. सक्सेना कहते है कि गॉल ब्लैडर में स्टोन का बनना और उसके चलते पेट में गैस का बनना आम है। लिवर की क्लॉगिंग और उसके चलते अस्थमा व तमाम तरह की एलर्जी की समस्या सामने आती है और सीने के निचले हिस्से में दर्द होता है। लिवर में बाइल तो बनता रहता है, लेकिन रूकावटों के चलते गॉल ब्लैडर तक नही पहुंच पाता और पाचन खराब हो जाता है जिससे लिवर को ही नुकसान पहुंचता है। गॉल ब्लैडर में स्टोन के चलते गॉल ब्लैडर को ही शरीर से बाहर निकालना पड़ सकता है। जिससे स्टोन की समस्या तो सॉल्व हो जाती है लेकिन बदहजमी की समस्या सामने आ खड़ी होती हैं। डा. सक्सेना बताते है कि पका खाना खाने, खान-पान की लत आदतों व वातावरण में मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों इत्यादि के कारण लिवर की वाहिकाओं में टॉक्सिन्स जमा हो जाते है। घर में ही क्लीजिंग से इन जहरीले पदार्थो को बाहर निकाला जाता है। डा. सक्सेना का कहना है कि गॉल ब्लैडर में स्टोन्स की मौजूदगी के कारण अवरोध पैदा हो जाता है। जिससे कई समस्याए सामने आने लगती है। लिवर क्लींज से गॉल ब्लैडर के स्टोन्स निकल जाते है और गॉल ब्लैडर की सर्जरी की जरूरत ही नही पड़ती। यही नही एलर्जी से छुटकारा मिलकर लिवर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है और लिवर को पित्त निर्माण व खाद्य पदार्थो के संष्लेषण में आसानी होती है। डा. सक्सेना बताते है कि ब्लड की टेन्डेसी है कि वह पूरे शरीर में कोलेस्टेरॉल की मात्र को बराबर बनाये रखती है। लिवर क्लींज के बाद लिवर से खराब कोलेस्टेरॉल के बाहर निकल जाने पर ब्लड कोरोनरी आर्टरी में जमा कोलेस्टेरॉल को खींचकर शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचा देता हैं जिससे आर्टरी साफ हो जाती है और हार्ट अटैक का खतरा दूर हो जाता है। लिवर क्लींज से आप अपनी पांच साल पहले जैसे एनर्जी को फिर से वापस पा सकते हैं। यही नही लिवर क्लींज से चेहरे के दाग -धब्बे व मुहांसे, एलर्जी, चिड़चिड़ापन, ब्लड शुगर, हारमोनल इंबैलेस, बोन डेन्सिटी लॉस, डिप्रेसन, स्त्रियों में छातियों के कठोर होने की समस्या, त्वचा का रूखापन, फेसियल हेयर, थकान, सिस्ट, हेयर लॉस, सिर दर्द, हॉटध्कोल्ड फ्लेशेस, मोटापा, अनिद्रा, माहवारी की गड़बड़ी, घवराहट, सायटिका, आर्थराइटिस, पांव टंखनों में सूजन, फ्राइब्रॉइडस व दूसरी गायनेक समस्याओं में भी बहुत फायदा पहुंचता है। श्री सक्सेना कहते है कि लिवर क्लींज शुरूआत में लगभग दो-दो सप्ताह के अंतर पर करें, जब तक कि सभी स्टोन निकल न जाये। इसके बाद टॉक्सिन्स की सफाई के लिए छह महिने के अंतर से ही लिवर क्लींज कर लेना काफी होता है। श्री सक्सेना का कहना है कि लिवर क्लींज के दौरान डायरिया हो सकता है। किसी-किसी का जी मिचलाता है और उल्टी भी आ सकती है। इससे घबराने की जरूरत नही है बल्कि यह क्लींज के सफल होने का संकेत है। डा0 सक्सेना बताते है कि लिवर क्लींज के बाद हरे रंग के डायरिया में एलडी एल कोलेस्टेरॉल निकल जाता है। अगले छह महिने तक हार्ट अटैक की शिकायत नही हो सकती है। एलर्जी से छुटकारा मिल जाता है। लिवर क्लींनिग की प्रक्रिया से गॉल ब्लैडर के स्टोन बिना चीर फाड़ के निकल जाते है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और तमाम बीमारियों में अभूतपूर्व लाभ प्राप्त होता हैं। श्री सक्सेना ने बताया कि जिनका वजन 70 किग्रा है उनको लिवर क्लींज करने के लिये एप्सम सॉल्ट जो सेंधा नमक का ही रूप है अस्सी ग्राम,एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव आयल 250 मिली ग्राम, संतरा या मौसंबी का जूस 250मिली ग्राम की आवश्यकता होती है। एप्सम सॉल्ट को 800 मिली ग्राम पानी में घोला जाता है। यह सारा सामान बाजार में लगभग 300 रूपये में उपलब्ध हो जाता है और लगभग 90 प्रतिशत बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। लिवर क्लींज के लिए उपरोक्त चीजें इंसान को अपने वजन अनुसार लेनी होती है। लिवर क्लींजिंग करने से पहले एक बार इसका प्रयोग कर चुके व्यक्ति से अवश्य राय ले लेनी चाहिय। ध्यान रखने वाली बात यह है कि वृद्ध व्यक्ति और पूर्व में किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को क्लीनिंग का प्रयोग करने से पूर्व किसी एक्सपर्ट की
राय ले लेनी चाहिये और उसके बाद ही इसका प्रयोग करना चाहिये।
हजारों लोगों को स्वस्थ कर चुके डा.सक्सेना का सेमिनार 20 को
सेमिनार में निःशुल्क रहेगी एंट्री,क्लीजिंग थेरेपी पर देंगे व्याख्यान
रूद्रपुर। हजारों लोगों को गंभीर बीमारियों से राहत दिला चुके क्लीजिंग थेरेपी के प्रणेता डा. पीयूष सक्सेना रूद्रपुर आ रहे हैं। जहां वह सिटी क्लब में 20 अप्रैल को आयोजित सेमिनार में लोगों को ‘अपना इलाज अपने हाथ’ में स्वस्थ्य रहने के टिप्स देंगे और क्लीजिंग थेरेपी के बारे में समझायेंगे। यह आयोजन इस थेरेपी का लाभ उठा चुके लोगों के सहयोग से हो रहा है जो कि पूर्ण रूप से निःशुल्क रहेगा। इस थेरेपी का लाभ उठा चुके लोग अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुये इस क्लीजिंग थेरेपी का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहते है। इसी उद्देश्य से इस सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। यह सेमिनार 20 अप्रैल को 4 बजे से शुरू होगा। इसमें शामिल होने के लिये कोई फीस नही है।
रुद्रपुर में कई लोग उठा चुके लिवर क्लीजिंग का लाभ
अब ग्रुप बनाकर लोगों को कर रहे जागरूक
रूद्रपुर। क्लीजिंग थेरेपी का लाभ रूद्रपुर में भी सैकड़ों लोग उठा चुके है। इसके चमत्कारिक लाभ से प्रभावित होकर लोगों ने अब इसे आम जनता तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। बंसल ज्वैलर्स के स्वामी प्रदीप बंसल ने बताया कि लिवर क्लीजिंग के प्रयोग का परिणाम काफी लाभदायक रहा। इसके प्रयोग से पूर्व वह मधुमेह से पीड़ित थे और उनका लिवर फैटी था। जब उन्होंने इस थेरेपी को शुरू किया तो दो-तीन वार में ही शुगर सामान्य हो गई। यही नही उनका बड़ा हुआ कोलेस्टेरॉल भी कम हो गया। श्री बंसल ने बताया कि इसके साथ ही रूद्रपुर के चार्टड एकाउन्टेंट अशोक सिंघल, चार्टड एकाउन्टेंट हरनाम चैधरी, राजकुमार अरोरा,शिव कुमार बंसल, पम्मी सुखीजा, राज कुमार फुटेला,भरत शाह, विजय भूषण गर्ग, किशोर शर्मा, विष्णु सक्सेना,अतुल बंसल, अंकुल श्यामपुरिया, चरण जीत सिंह सहित 500 से अधिक लोग इस थेरेपी का लाभ उठा चुके है। इस थेरेपी से हार्ट अटैक,मधुमेह और फैटी लिवर जैसी गंभीर बिमारियों में काफी आराम मिला है। श्री बंसल ने बताया कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ‘अपना इलाज अपने हाथ’ (।प्।भ् )नाम से एक व्हटसअप ग्रुप बनाया गया है ताकि लोग जागरूक हो और घर बैठे ही इस प्रयोग का लाभ उठा सके। क्लीनिंग का प्रयोग कर लोग अपना और अपने परिजनों को गंभीर बीमारियों से बचा सके।