हरदा पर टिप्पणी के मामले में शुक्ला बैकफुट पर
हरीश रावत की मार्मिक चिट्ठी के बाद शुक्ला ने जताया खेद, खुला पत्र भी लिखा
रूद्रपुर। चुनाव प्रचार के दौरान बीते दिनों एक सभा में किच्छा विधायक राजेश शुक्ला द्वारा कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत के खिलाफ की गयी अमर्यादित टिप्पणी के मामले में विधायक शुक्ला अब खुद बैक फुट पर आ गये हैं। उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए खेद जताने के साथ ही हरीश रावत के दीर्घायु होने की कामना भी की है। आमतौर पर सधे हुए अंदाज में बयान देने वाले राजेश शुक्ला की जुबान बीते दिनों किच्छा में आयोजित एक जनसभा में फिसल गयी। शुक्ला ने कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत के दाह संस्कार की बात कह डाली। शुक्ला के आपत्ति जनक बयान का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया।दरअसल शुक्ला ने अमर्यादित बोल बोलते हुए हरीश रावत का दाहसंस्कार इस चुनाव में होने जैसी बात कह दी। शुक्ला की इस बदजुमानी का हरीश रावत ने संयमित और नपा-तुला जवाब एक खुले पत्र के माध्यम से दिया।यह पत्र सोशल मीडिया की सुिखर्यां बना हुआ है। यही नहीं हरीश रावत की ओर से बड़ी संख्या में इस पत्र के पम्पलेट भी बांटे गये हैं। हरीश रावत ने पत्र के प्रारंभ में शुक्ला को आदरणीय और महोदय जैसे शब्दोंसे संबोधित करते हुएउन्हें नमस्कार किया है। लिखा है कि छोटे भाई आपने अपने जोशीले भाषण में उनका दाह संस्कार करने की जो इच्छा जाहिर की है वह सनातनी परंपरा का हिस्सा है। शुक्ला के राजनीतिक भविष्य की कामना करते हुए रावत ने आगे लिखा है कि उन्हें कतई मलाल नहीं है कि इन अपशब्दों का आपने मेरे लिए इस्तेमाल किया। उन्हें दुख इस बात का है कि आपने इन शब्दों से भारतीय राजनीति के संस्कारों और परंपराओं को अपमानित किया है। आपके इन शब्दों से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक की आत्मा को दुख पहुंचा होगा। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी यानी उनके पिता पंडित राम सुमेर शुक्ला की आत्मा भी बेचैन होगी, जिनका खून आपकी रगों में दौड़ रहा है। रावत ने शुक्ला को याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने ही इस महान स्वतंत्रता सेनानी की याद में स्मृति द्वार का लोकार्पण किया था। वह यह कतई नहीं चाहते कि इस बयान के खिलाफ उनकी पार्टी के कार्यकर्ता कोई कार्रवाई या फिर चुनाव आयोग से शिकायत करें, वह तो शुक्ला की सद्बुद्धि की कामना करते हैं। हरीश रावत के खिलाफ अमर्यादित बोल बोलने के बाद पार्टी को नुकसान की आशंका से इस मामले में विधायक शुक्ला बैकफुट पर आ गये हैं। शुक्ला ने अपने दाह संस्कार वाले बयान के लिए खेद व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कहना चाहिए थे कि हरीश रावत का दाह संस्कार होगा। बल्कि वह उनकी नीतियों का दाहसंस्कार कहना चाहते थे। श्री शुक्ला ने इस पर खेत जताते हुये श्री रावत की दीर्घायु की कामना भी की हैं। कहा है कि वह चाहते हैं कि रावत खूब जीयें सौ-डेढ़ सौ साल जीयें। लेकिन यह भी कहूंगा कि राजनीति में पत्नी और पुत्र तक ही सीमित रहेंगे तो उनका राजनीतिक अंत हो जाएगा। बचाव में शुक्ला को भी अब इस मामले में खुला पत्र भी जारी करना पड़ा है जिसमें उन्होंने कहा है कि मैं कभी भी हरीश रावत का व्यक्तिगत अनिष्ट नहीं चाहता हूं। शुक्ला ने पत्र में याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान आमने सामने चुनाव लडन्े के बाद भी हम दोनों के बीच कोई कड़वाहट नहीं हुई थी और उस चुनाव के बाद हरीश रावत के अस्वस्थ होने पर वह सपरिवार सर गंगाराम अस्पताल नई दिल्ली में उनका हाल जानने गये थे। शुक्ला ने पत्र में हरीश रावत को सम्बेाधित करते हुए लिखा है कि मैं हैरान हूं कि इतने बड़े कद के नेता चुनावी संग्राम में शाब्दिक त्रुटि पर इतने क्यूं रूट हो गये। शुक्ला ने लिखा है कि एक चुनावी भाषण के मानवीय त्रुटि पर मेरे संस्कारों को लांछित करने, महात्मा गांधी, वापजेयी जी व मेरे पिता की आत्मा की बेचैनी की चिंता करने वाले हरदा क्या किच्छा के मॉडल डिग्री कलोज की स्थापना का विरोध करने के लिए लठ्ठ लेकर मुझे धमकाते समय चुनावी सभाओं ें हिस्ट्रीशीटर अपराधियों के साथ मंच साझा करते समय सेना का अपमान करते समय प ्रधानमंत्री को चोर कहते समय व आतंकियों को जी कहते समय क्या आपको महात्मा गांधी जी की आत्मा के बेचैन होने की चिंता हुई? कुल मिलाकर चुनावी संग्राम में शुक्ला और रावत के बीच चल रहे इस घमासान को राजनैतिक नफा नुकसान क्या होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेगा लेकिन दोनों नेता इस मामले में सोशल मीडिया की सुर्खियां जरूर बने हुए हैं।