कौशल दक्षता से ही युवा अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकते हैंः बंसल
एम्प्लॉयमेंट स्किल्स फॉर सस्टेनेबल लाइवलीहुड्स विषय पर दो दिवसीय नेशनल कान्फ्रेंस शुरू
रुद्रपुर। कौशल एक खास तरीके की तकनीकी और व्यावहारिक कुशलता की मांग करती हैं। बाजार में उपलब्ध अवसरों की मांग के अनुरूप कौशल दक्षता से ही युवा अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकतें है। युवाओं के लिए प्रश्न सिर्फ आजीविका का नहीं है बल्कि सामाजिक संरचना में एक ऐसी हैसियत बनाने का है कि दुनिया उन्हें उनकी काबिलियत के अनुसार रोजगार और सम्मान प्रदान कर सके। इसके लिए युवाओं को न सिर्फ अपने शिक्षार्जन के क्षेत्र का चयन सावधानीपूर्वक करना है बल्कि अपने अध्ययन काल को उर्वर बनाना है ताकि किसी भी कला कौशल के चरम को प्राप्त किया जा सके। यह बात सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र द्वारा आयोजित एम्प्लॉयमेंट स्किल्स फॉर सस्टेनेबल लाइवलीहूड्स विषय पर दो दिवसीय नेशनल कान्फ्रेंस के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि कुमायु गढ़वाल चेम्बर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक बंसल ने महविद्यालय के कौशल केन्द्र सभागार में कही। उन्होंन कहा कि कौशल विकास और रोजगार सृजन पलायन रोकने का सशत्तफ़ मार्ग है। कौशल विकास और रोजगार सृजन के लिए कार्य करने से कई विषयों पर चर्चा होती है। देवभूमि उत्तराऽण्ड के पलायन, असंतुलित विकास और कैसे रुके उत्तराऽण्ड से पलायन पर विशेष चर्चा हो। आध्यात्मिक टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म से उत्तराऽण्ड का विकास होगा, पलायन की जरूरत नहीं पड़ेगी और युवाओं को रोजगार मिलेगा। कुमाऊ विश्वविद्यालय वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो- अतुल जोशी ने कहा कि देवभूमि के पहाड़ दूर से बहुत सुंदर लगते हैं, लेकिन करीब जाइए तो उनकी हकीकत सामने आती है। पहाड़ की जिंदगी पहाड़ जैसी प्रतीत होकर मानो कह रही है बेदखली, विस्थापन और सन्नाटे का नाम है पहाड़ है। कौशल विकास में समाहित है सतत रोजगार की संभावनाएं। कौशल एक ऽास तरीके की तकनीकी और व्यावहारिक कुशलता की मांग करती हैं। बाजार में उपलब्ध अवसरों की मांग के अनुरूप कौशल दक्षता से ही युवा अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकतें है। जरुरत है कौशल विकास शिक्षा का ऐसा मॉडल विकसित किया जाए जिससे ऽेती को बढ़ावा मिले और यहां के शिक्षित युवा को रोजगार के लिए कहीं बाहर ना जाना पड़े। सम्मानित अतिथि टैको ग्रुप के जनरल मैनेजर संजीव तोमर ने कहा कि उत्तराऽंड को विकसित और ऊर्जा राज्य बनाने का सपना भले ही दिऽाया जा रहा हो,लेकिन हकीकत यह है कि अब तक यहां की ज्यादातर परियोजनाएं शुरू होने से पहले ही अड़ंगो का शिकार हो जाती हैं। जिसकी मुख्य वजह है स्थानीय भागीदारी और सूचना का न होना। बेहतर शिक्षा, बेहतर रोजगार और बेहतर जीवन परिस्थितियों के लिए शहरी और साधन संपन्न इलाकों की ओर रुऽ करना लाजिमी है। आवश्यकत है यहाँ की परिस्थितियों के अनुसार जीविका के साधन और कौशल विकास की । सम्मानित अतिथि एचसीएम् माईलस्टोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश भट्टð ने कहा कि पहाड़ी जीवन को गति देने के लिए, उसमें नई ऊर्जा भरने के लिए और गांवों को फिर से आबाद करने के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन ही एक मात्र विकल्प है। सरकार दुर्गम इलाकों को तमाम बुनियादी सुविधाओं से लैस कर सुगम बनाये क्योकि ये दलील बेतुकी है पहाड़ी इलाकों में सुविधाएं पहुंचाना दुष्कर काम है। उत्तराऽंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश का उदाहरण उत्तराऽण्ड सरकार को ध्यान में रऽना होगा क्योंकि हिमाचल प्रदेश उन्हीं चीजों में अपनी पहचान और समृद्धि का निर्माण किया है जिनका संबंध विशुद्ध पर्वतीयता से है जैसे कृषि, बागवानी,पनबिजली, पर्यटन, कला आदि। सितारगंज राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुभाष चंद वर्मा ने थारू और बुक्सा जनजातियों के कौशल और जीविका के साधनों की चर्चा करते हुए रोजगार सृजन के तरीके बताये। कान्फ्रेस अध्यक्ष एंव महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जीएस बिष्ट ने कहा कि किसी भी क्षेत्र विशेष से पलायन क्यों हो रहा है इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि पलायन क्यों न हो। ग्रामीण क्षेत्रें में शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों को लेकर आगे बढ़ें और उत्तराऽण्ड से सामजिक सरोकार रऽनेवाले अपनी कर्तव्यों का निर्वहन करें तो उत्तराऽण्ड दृदेवभूमि की संकल्पना सार्थक सिद्ध हो। इसी परिकल्पना को साकार करने के लिए यह नेशनल कान्फ्रेंस आयोजित है। प्लेनेरी शेषन और तकनीकी सत्र में अवनेश यादव, राजीव विशनोई, अनूप सिंह, उमेश जुयाल, जोगिन्दर सिंह, विनीत पांडेय,कमल बिष्ट,ललित सिंह ऽरायत, मनोज कुमार, राजेंद्र वल्दिया, आर पी सिंह,डॉ सुमनजीत, डॉ मिताली तिवारी, डॉ तृप्ति दीक्षित, डॉ अलका सूरी, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ आर के पाण्डेय , डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ शम्भुदत्त पाण्डेय, डॉ गौरव वार्ष्णेय, डॉ संतोष अनल, डॉ हरीश चन्द्र, डॉ पी सी सुयाल व प्रो- सुधांशु जोशी ने भी संबोधित किया। सयोजक एंव कौशल केन्द्र के विभगाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने आभार ज्ञापन और संचालन आयोजन सचिव डॉ हरनाम सिंह ने किया। इस मौके पर डॉ पी एन तिवारी, डॉ एसके श्रीवास्तव, डॉ एके पालिवाल, डॉ मुन्नी जोशी, डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ पीपी त्रिपाठी, डॉ विद्याधर उपाध्याय, डॉ निर्मला जोशी, डॉ मनीषा तिवारी, डॉ मनोज पांडे, डॉ नरेश कुमार, डॉ शलभ गुप्ता, डॉ सुनील कुमार मौर्या, डॉ बामेश्वर सिन्हा, हितेश जोशी, रूद्र देव सहित राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराऽण्ड के शिक्षाविद्, नीतिनिर्माता, औद्योगिक विशेषज्ञ,शोध छात्र और महा विद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्रएं थे।