11वीं के छात्रा नीरज ने किया कमाल,अंग्रेजी में लिखा उपन्यास

11वीं के छात्रा नीरज ने किया कमाल,अंग्रेजी में लिखा उपन्यास

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‘चन्द्रांशु एण्ड दि लीजेंड आॅपफ मिथ’ नामक नाॅवल की बिक चुकी हैं बीस हजार प्रति
-रूपेश कुमार सिंह
दिनेशपुर,26नबम्वर। ‘‘हौसला हो यदि ऊंचाईयों को नापने का तो कुछ भी असंभव नहीं है इस दुनिया में। कामयाबी उम्र की मोहताज नहीं होती।’’ वास्तव में इस युत्तिफ को सच कर दिऽाया है 11 वीं के छात्रा नीरज मेहरा ने। नीरज ने अंग्रेजी में उपन्यास लिऽकर कीर्तिमान स्थापित किया है। ‘चन्द्रांशु एण्ड दि लीजेंड आॅपफ मिथ’ नामक नाॅवल इन दिनों ऽूब चर्चा में हैं। बीस हजार से ज्यादा प्रतियां बिक चुकीं हैं। नीरज इस उपन्यास के दूसरे ऽण्ड को लिऽने में लगे हुए हैं। गूलरभोज निवासी नीरज मेहरा बलवीर सिंह और महेशी देवी के पुत्रा हैं। बलवीर सिंह किसान हैं। वर्तामान में नीरज कैम्ब्रिज स्कूल नोएडा में 11 वीं के छात्रा हैं। नीरज ने 10वीं तक की पढ़ाई भारतीयम इंटर नेशनल स्कूल, रूद्रपुर से ही पूरी की है। जिन दिनों वह रूद्रपुर में थे उसी समय नीरज ने उपन्यास लिऽना शुरू किया। चन्द्रांशु एण्ड दि लीजेंड आॅपफ मिथ नाम से नीरज की बुक चेन्नई के नोशन प्रेस ने प्रकाशित की है। नीरज ने बताया कि बुक लिऽना उन्होंने शौक में शुरू किया था। प्रारम्भ में रपफ कापी में लिऽते गया। किताब पढ़ना और नयी नयी जानकारी जुटाना अच्छा लगता था। मेरे शब्दों ने कब किताब का रूप ले लिया पता ही नहीं चला। मैंने अपने पहले नाॅवल के लिए ऽास मेहनत की है। अध्ययन जारी है, और बुक की सीरिज में दो और किताबों पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि पहला उपन्यास आर्यावत पर केन्द्रित है। अगली बुक यूनान पर होगी। इस किातब को नीरज ने मनुस्मृति के ऽिलापफ मिथक और वैदिक सभ्यता को केन्द्र में रऽकर लिऽा है। लेकिन बुक मनुस्मृति के स्त्राी विरोध्, शूद्र विरोध्ी विधनों के विरूद्र है। नीरज ने बताया कि उपन्यास का कथानक मनुस्मृति मानने वालों और मनुस्मृति विरोध्ी वेद विरोध्ी समुदायों के बीच हुए भयंकर यु( का वृतान्त है। उपन्यास रोचक और मनोरंजक शैली में लिऽा गया है। 15 साल के बच्चें के भीतर जटिल विषय पर विचार किस प्रकार कागज पर उतरता है, इसे बेहतरीन तरीके से इस कृति में समझा जा सकता है। लेऽक ने मनुस्मृति के मिथक का निर्वाह करते हुए मनु के अनुशासन लागू होने की कथा सुनाते हुए तमाम गंभीर पहलूओं पर बात कही है। बेसक किताब में कई ऽामिया हैं। अध्ययन और अनुभव की कमी है, लेकिन जैसे-जैसे नीरज की उम्र आगे बढ़ेगी, लेऽनी में पैनापन सापफ दिऽेगा। नीरज अपनी प्रतिभा को और निऽारेंगे, ऐसी उम्मीद क्षेत्रा के तमाम पाठकों को है। तराई में जहां एक ओर लिऽने-पढ़ने की संस्कृति पीछे छूट रही है, वहां नीरज का छोटी उम्र में गंभीर विषय पर लेऽन एक नयी किरण को पैदा करता है। नये लिऽने और पढ़ने वालों को नयी ऊर्जा मिलेगी, ऐसी उम्मीद करना गलत नहीं होगा। नीरज आगे यर्थातवादी और समतामूलक लेऽन की ओर आगे बढ़ेंगे ऐसा उन्होंने बातचीत में सापफ संकेत दिया है।

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