पीएसी कैंपस में आंसू गैस की मॉकड्रिल का विरोध
गैस का रिसाव होने से खांसी व आंख में जलन से परेशान हुए स्कूली बच्चे और राहगीर,आबादी क्षेत्र व रिहायशी कालोनियों से बाहर करने की मांग,पीएसी कैंपस में आंसू गैस के गोले छोड़ने से मची थी अफरा तफरी
रूद्रपुर। पीएसी कैंपस में आंसू गैस के गोले छोड़ने का पूर्वाभ्यास आम लोगों के साथ ही स्कूली बच्चों के लिये परेशानी का सबसबस बन गया। इतना ही नहीं लगातार खांसी आने और आंखों में तेज जलन होने से जहां अफरा तफरी का माहौल रहा वहीं कई लोग अस्पताल पहुंचकर उपचार कराया। मंगलवार की सुबह पौने आठ बजे सिविल लाइंस क्षेत्र की डाक्टर कालोनी व आस पास का एरिया में अचानक लोगों की आंखों में जलन व खांसी की शिकायत हुई। आंसू गैस का प्रभाव वातावरण में फैलने लोगों को अचानक खांसी उठने लगी और आंखों में जलन महसूस होने लगी, जिससे लोग घबरा गए। क्षेत्र में अफरा तफरी का माहौल बन गया। लोग यह समझ रहे थे कि कहीं से किसी गैस का रिसाव हो गया। इस बीच वाहन चालकों के साथ ही ई रिक्सा में सवार लोगों को लगातार खांसी आने लगी। इतना ही नहीं इस दौरान पीएसी कैंपस से लेकर विशाल मेगा मार्ट व आवास विकास रोड, कंचन तारा होटल तक इस गैस का असर देखा गया। राह गुजरते लोगों के साथ ही पैदल स्कूल जा रहे बच्चों को अचानक तेज खांसी होने लगी। गैस रिसाव को लेकर अफरा तफरी रही। लोग हैरान थे कि अचानक क्या हुआ, लेकिन इसकी वजह 31 बटालियन में आंसू गैस के गोले दागने की मॉक ड्रिल थी। दरअसल, मॉक ड्रिल के कारण आंसू गैस का प्रभाव पीएसी से लगी कालोनी व आसपास दिख रहा था। हालांकि कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हो गया। मंगलवार की सुबह ही पीएसी की 31 बटालियन में आंसू गैस के गोले छोड़ने का पूर्वाभ्यास किया जा रहा था, जिसका प्रभाव आसपास की कालोनी में रहने वाले लोगों पर भारी पड़ गया। स्थिति यह हो गई कि लोग अपने घरों में दुबकने लगे और कुछ डाक्टरों के यहां पहुंचने लगे। क्षेत्र में आंसू गैस का रिसाव होने की सूचना पत्रकारों एवं प्रशासन तक पहुंची तो पता लगा कि पीएसी कैंपस में मॉक ड्रिल हुई थी। मॉक ड्रिल में दागे गए आंसू गैस के गोले लोगों के लिए मुसीबत बन गये थे। वहीं सिविल लाइंस क्षेत्र के लोगों का कहना है कि चूंकि पीएसी कैंप से रिहायशी कालोनियां सटी हुई हैं। इसलिये मॉक ड्रिल यहां नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसी मॉक ड्रिल करना जरूरी हो तो रिहायशी क्षेत्र के बाहर किसी सुनसान स्थान पर कराई जाए, ताकि लोगों को पुनः ऐसी दिक्क त का सामना न करना पड़े। वहीं मॉकड्रिल का समय नहीं बदलने से स्कूली बच्चों व राहगीरों को परेशानी हो रही है। आंसू गैस की मॉकड्रिल के लिये आबादी क्षेत्र से दूर या समय में बदलाव को लेकर कार्ययोजना बनानी चाहिये ताकि भविष्य में लोगों को स्वास्थ्य को लेकर दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इस संबंध में पीएसी 31 के सेनानायक दद्दन पाल ने बताया कि पीएसी कर्मी रूटीन में आंसू गैस के गोले छोड़ने के लिए मॉक ड्रिल कर रहे थे। उनका कहना है कि इस तरह की मॉक ड्रिल सामान्य कार्य प्रणाली का हिस्सा है और पहले भी ऐसा किया जा चुका है। उनका कहना है कि आंसू गैस से आंखों में जलन व खांसी हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सकता कि किसी को अस्पताल में भर्ती होना पड़े। कहा कि पांच दस मिनट में सब सामान्य हो जाता है।