अग्निकाण्ड में खाक हुई कई झोपड़ियां, मासूम जिंदा जला
लालकुआं। लालकुआं डिवीजन के बेरिपढ़ाव स्थित गोला खनन निकासी गेट पर अचानक लगी आग ने भयंकर तांडव मचाया। आग की चपेट में आने से 15 दिन के मासूम की जलकर मौत हो गई। आग लगने की सूचना पर क्षेत्र में हड़कंप मच गया । स्थानीय लोगों ने जैसे-तैसे आग पर काबू पाने का प्रयास किया मगर भीषण आग होने की वजह से क्षेत्रवासी आग पर काबू नहीं पा पाए। जिसके बाद सेंचुरी पेपर मिल और उत्तराखंड पुलिस के फायर ब्रिगेड ने आग पर बमुश्किल काबू पाया तब तक दर्जनों झोपड़िया जलकर राख हो चुकी थी जिसमें 15 दिन के एक बच्चे की मौत भी हो गई। जब नन्हा मासूम झोपड़ी में था तब उसके माता पिता गोला नदी में खनन कार्य में गए हुए थे और बाकी बच्चे पानी भरने के लिए गए थे। इस दौरान घर के चूल्हे से अचानक झोपड़ी में आग लग गई और देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आसपास की झोपड़ियां भी जलकर राख हो गई जिसमें रखा अन्य गोला श्रमिकों का सामान भी जलकर राख हो गया। मासूम बच्चे की मौत से कोहराम मचा हुआ है और उसके माता-पिता का रो-रो कर बुरा हाल है। पीड़ित परिवार सितारगंज का रहने वाला है और उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे थे जिसमें से एक 8 साल का और एक 10 साल का बच्चा है जबकि नन्हा मासूम महज 15 दिन का ही था जब आग लगी तो दोनों बड़े बच्चों ने अपने नन्हें भाई को बचाने का प्रयास तो किया मगर भीषण आग के चलते उनका बस नहीं चला और उनकी आंखों के सामने ही उनका भाई आग में जल गया। बड़ा सवाल यह उठता है कि सैकड़ों की संख्या में यहां आने वाले श्रमिकों के लिए जो झोपड़ियां बनी होती है और इसमें यह श्रमिक रहते हैं इसमें यदि किसी प्रकार से आग लग जाए तो उसके लिए वन निगम पहले से कोई व्यवस्था नहीं रखता है ऐसा नहीं कि यह घटना पहली बार हुई हो इससे कुछ वर्ष पूर्व भी इसी क्षेत्र में भीषण अग्निकांड ने मचाया था जिसमें एक लड़की की मौत भी हो गई थी। आग लगने की सूचना पर मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक नवीन दुम्का ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक को दूरभाष पर तत्काल पीड़ित परिवार को मदद देने की बात कही उन्होंने कहा कि उनके स्तर से जो भी मदद होगी वह पीड़ित परिवार को दी जाएगी।