गन्ना किसानों की बदहाली के लिये भाजपा व कांग्रेस दोनों दोषी
जिले की तीन सरकारी चीनी मिलों में से दो बंद, महज किच्छा चीनी मिल पर किसानों का 100 करोड़ से ऊपर का बकाया
नरेश जोशी
रुद्रपुर। सूबे मे सरकार भले ही किसी भी राजनीतिक दल की रही हो पर गन्ना किसानों के साथ हमेशा से सियासत होती रही है सरकारी सिस्टम मैं बैठे लोगों की मनमानी के चलते हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि मिलों में तैयार किये जाने वाले चीनी के पर बोरे पर 1000 का नुकसान हो रहा है आंकड़ों की माने तो उधम सिंह नगर जनपद के भीतर ही महज किच्छा चीनी मिल के ऊपर गन्ना किसानों का 100 करोड़ से ऊपर बकाया है यह हाल तब है जब केंद्र और प्रदेश की सरकार किसानों के लिए तमाम कल्याणकारी योजनाओं के दावे कर रही है जय जवान जय किसान का नारा लगाने वाले इस भारत देश में किसानों की हालत इस कदर बिगड़ गई है कि सरकारी चीनी मिलें किसानो के गन्ने का भुगतान समय पर नहीं करती वहीं दूसरी और जब किसान गन्ना सोसाइटी से खाद या अन्य सामग्री लेता है तो समय पर भुगतान न होने के कारण उन्हें ब्याज देने पर मजबूर कर दिया जाता है । सरकारी सिस्टम में बैठे लोगों का हाल तो देिखए गन्ना किसानों का भुगतान महीनो ना हो तो भी कोई बात नहीं पर अगर किसान खाद व अन्य सामग्री का भुगतान समय रहते नहीं कर पाता तो उसके ऊपर ब्याज लगा दिया जाता है बता दें कि उधम सिंह नगर जनपद में कोपरेटिव के अलावा तीन सरकारी चीनी मिलें हुआ करती थी जिसमें से सितारगंज और गदरपुर कि मिल पर ताला लगा दिया गया है और किच्छा की चीनी मिल बंदी के कगार पर आकर खड़ी हो गई है सरकारी आंकड़ों की बात करें तो महज किच्छा चीनी मिल के ऊपर ही गन्ना किसानों का 100 करोड़ से ऊपर बकाया है यह हाल प्रदेश की सत्ता में दोनों ही राजनीतिक दलों की सरकार होने पर हुवा है यह दुर्दशा अभी जल्दी पैदा नहीं हुई बल्कि यह हालात उत्तराखंड राज्य गठन से पूर्व के ही है उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुए 18 वर्ष बीत चुके हैं इन 18 वर्षों के अंतराल में प्रदेश व केंद्र पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों की सरकारे रही है पर चीनी मिलों को लेकर गन्ना किसानों के साथ सिर्फ और सिर्फ सियासत होती आई है सरकार दावा करती है कि वह गन्ना किसानों के लिए गंभीर है पर गन्ना किसानों की माली हालत में सुधार को लेकर आज तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाए गए लगातार हो रहे इस घाटे के कारणों की समीक्षा करने की कोशिश की गई तो पता चला कि सरकारी सिस्टम में बैठे लोगों के फिजूलखर्ची के कारण यह हालात पैदा हो गए हैं गन्ने की फसल को किसानों के लिए लाभदायक बताया गया है किंतु सिस्टम में बैठे लोगों ने चीनी मिलो की हालत इस कदर बिगाड़ दी है कि वहां और बोरे पर 1000 से ऊपर का नुकसान हो रहा है यही बड़ा कारण है कि मिलो के ऊपर करोड़ों का कर्ज हो गया है हालात बिगड़ने के चलते सरकार को गदरपुर व सितारगंज की मिल बंद करनी पड़ी मौजूदा प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किच्छा चीनी मिल में एथेनॉल प्लांट लगाने की बात कही है जिससे कि किच्छा चीनी मिल का भविष्य बचाया जा सके लेकिन ऐसी कई घोषणायें चीनी मिल की दशा सुधाारने को कांग्रेस और भाजपा कई बार कर चुकी है मुख्यमंत्री की यह घोषणा भी केवल चुनावी स्टंट नजर आ रही है।