फैक्ट्रियों से हो रहे प्रदूषण से जीना मुहाल

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काशीपुर। पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की कारस्तानी यहां लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है। क्षेत्रीय प्रबंधक के तानाशाह रवैया से लोगों में आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। समय रहते यदि विभागीय अधिकारियों की बेजा हरकतों पर अंकुश नहीं लगा तो भविष्य के परिणाम गंभीर हो सकते हैं। कुंडा थाना क्षेत्र के ग्राम हलदुआ साहू में नियम विपरीत तरीके से चल रही दो फैक्ट्रियों के कारण आसपास के ग्रामीणों का जीना दुश्वार है। ग्रामीणों का आरोप है कि पर्यावरण विभाग की शह पर मांगों को दरकिनार कर यह दोनों पेपर मिले चलाई जा रही हैं। पेपर मिल की चिमनियों से निकलने वाले धुंए के कारण अब तक कई लोग नेत्र तथा स्वास जैसे गंभीर रोगों से ग्रसित हो चुके हैं। घरों के बाहर सोना मुहाल है। गांव से कुछ ही दूरी पर स्थापित दोनों पेपर मिले हजारों की आबादी वाले ग्रामीणों के लिए काल साबित हो रही हैं। काले धुंए से गांव के शुद्ध वातावरण में जहर घुल रहा है। पर्यावरण विभाग की कारस्तानी के चलते 8 से 10 परिवार प्रतिवर्ष गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उपरोक्त दोनों पेपर मिले गांव के समीप से होकर गुजरने वाले नाले में विषैला पानी छोड़ रही है जिससे सैकड़ों एकड़ खेती तबाही की भेंट चढ़ चुकी। ऐसे में भुखमरी के कगार पर पहुंच रहे परिवार गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन के लिए विवश है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बारे में उन्होंने पूर्व में कई बार पर्यावरण विभाग को शिकायत की लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं हो सका। काबिले गौर यह भी है कि पर्यावरण विभाग औद्योगिक आस्थान महुआ खेड़ा गंज समेत कुंडा तथा आईटीआई थाना क्षेत्र की तमाम फैक्ट्रियों को नियम विपरीत तरीके से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देकर सरकार के राजस्व में सेंधमारी कर रहा है। तो वहीं दूसरी और तमाम छोटे-बड़े उद्योग विभाग की कृपा पर बगैर एनओसी संचालित बताए जा रहे हैं। फिलहाल हलदुआ साहू के ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार ने अभी उनकी इस समस्या पर गौर नहीं किया तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

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