भाजपाईयों को ‘मोदी मैजिक’ की आस
मोदी राग अलाप रहे भाजपाई प्रचार को नहीं दे पा रहे हैं धार, कल मोदी की रैली तय करेगी चुनाव का रूख
रूद्रपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा कांग्रेस के बीच प्रचार में आगे निकलने की होड़ शुरू हो गयी है। चुनावी महासंग्राम में एक बार फिर भाजपा ‘मोदी मैजिक’ के सहारे चुनावी नैया पार करने की जुगत में है। चुनावी सरगर्मियों के बीच पिछले एक सप्ताह से भाजपा का पूरा फोकस पीएम नरेन्द्र मोदी की जनसभा पर है। बता दें पीएम नरेन्द्र मोदी तीसरी बार रूद्रपुर में जनसभा को सम्बोधित करने आ रहे हैं। इससे पहले नरेन्द्र मोदी पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद विधान सभा चुनाव में इसी ग्राउण्ड में विशाल जनसभा को सम्बोधित कर चुके हैं। मोदी की रूद्रपुर में पिछली दोनों रैलियां सफल रही थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी ने मोदी लहर के सहारे इस सीट परबड़ी जीत दर्ज की थी।उसके बाद विधानसभा चुनाव में भी मोदी का मैजिक खूब चला। विधानसभा चुनाव में मोदी की रैली का इतना असर हुआ कि रूद्रपुर सीट के साथ साथ किच्छा, नानकमत्ता खटीमा, सितारगंज, गदरपुर, काशीपुर, बाजपुर आदि सीटों पर भी भाजपा प्रत्याशियों ने कांग्रेस को धूल चटा दी। एकमात्र जसपुर सीट को छोड़कर किसी भी सीट पर कांग्रेस अपनी लाज नहीं बचा पाई। पीएम मोदी की पिछली दो रैलियों की अपार सफलता के बाद अब भाजपा को इस बार भी मोदी की रैली से बड़ी उम्मीदें है। यही वजह है कि भाजपा नेता अन्य सभी मुद्दों को छोड़कर मोदी की महारैली पर पूरा फोकस कर रहे हैं। भाजपाई मोदी के राष्ट्रवाद को इस चुनाव में अपनी जीत का आधार बनाना चाहते हैं। मोदी की रैली से भाजपाईयों को इतनी उम्मीदें हैं कि पिछले दिनों नामांकन के दौरान भी भाजपाईयों ने भीड़ जुटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी लिए नामांकन जूलूस में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया। मोदी मैजिक की उम्मीद लगाये बैठे भाजपाई अभी तक चुनाव प्रचार को भी धार नहीं दे पाये हैं दूसरी तरफ कांग्रेस इस बार मोदी मैजिक की काट के लिए प्रियंका गांधी की रैली रूद्रपुर मे कराने के लिए जुट गयी है। भाजपाई जहां मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत ने अब तक डैमेज कंट्रोल करके अलग थलग पड़े कांग्रेसियों को भी अपने पक्ष में एकजुट कर लिया है। जबकि भाजपा अभी डैमेज कंट्रोल से भी पार नहीं पा सकी है। देखा जाये तो भाजपा की रणनीति पर इस बार हरदा की रणनीति भारी पड़ती नजर आ रही है। कुल मिलाकर मोदी का मैजिक इस बार फेल हुआ तो भाजपा के लिए चुनावी नैया को पार लगाना आसान नहीं होगा।