सामूहिक अवकाश पर रहे साढ़े तीन लाख कर्मचारी

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देहरादून/रूद्रपुर। प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के 15 भत्तों को समाप्त करने के विरोध में प्रदेशभर के लगभग तीन लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक हड़ताल शुरू कर दी है। कर्मचारी संगठनों द्वारा पूर्व घोषित ऐलान के तहत आज आवास भत्ते समेत 10 सूत्रीय मांग को लेकर उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक, समन्वय समिति सामूहिक अवकाश पर रहे। समिति ने आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं, रोडवेज, विद्युत व जल संस्थान आदि सेवाओं को आंदोलन के दायरे से बाहर रखा है।  वहीं, शासन ने इस मामले में सख्ती दिखाते कोषागार को अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों पर नो वर्क नो पे सिद्धांत लागू करने को कहा है। इसके अलावा सचिवालय में कर्मचारियों की उपस्थिति व अनुपस्थिति जांचने के लिए पांच दस्तों का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी,कर्मचारी ,शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल को बीते रोज अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान उन्होंने मांगों पर उचित कार्यवाही का आश्वासन देकर आंदोलन स्थगित करने को कहा। इस पर समिति ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता करने की शर्त रखी। इसके अलावा समिति ने कुछ और सुझाव अपर मुख्य सचिव के सामने रखे। हालांकि, यह प्रारंभिक वार्ता सफल नहीं हो पाई। रुद्रपुर- दस सूत्रीय मांगों को लेकर आज तमाम सरकारी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लेकर गांधीपार्क में धरना प्रदर्शन कियातथा सभा आयोजित कर सरकार के खिलाफ जमकर गुबार निकाला। आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए  राज्य संयुक्त कर्मचारी परिषद के जिलाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने कहा कि यदि आज आयोजित हो रही प्रांतीय स्तर की वार्ता सफल नहीं होती है तो कर्मचारी आगामी 4 फरवरी को परेड ग्राउण्ड देहरादून में सरकार को ललकारेंगे और बिना अपनी मांगों को मंगवाये वापस नहीं होंगे। शिक्षा विभाग के जिला फेडरेशन अध्यक्ष सुधाकर दुबे ने कहा कि कर्मचारी अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं इसलिए सरकार का दायित्व है कि वह कर्मचारियों की मांगें माने। मत्स्य निरीक्षक एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र ने कहा कि सरकार दमनात्मक रवैया अपना रही है जो आपातकाल की याद दिलाता है। यदि कर्मचारी, अधिकारी आकस्मिक अवकाश लेकर भी प्रदर्शन नहीं करेंगे तो अपनी बात कब कहेंगे। कृषि अधीनस्थ सेवा के अध्यक्ष केपी सिंह ने कहा कि सरकार को मांगें माननी पड़ेंगी। किसी भी अधिकारी, कर्मचारी को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक दिन का वेतन काटने की धमकी दी है। यदि सरकार सभी मांगें मानती है तो अधिकारी, कर्मचारी पूरे माह का वेतन कटवाने को तैयार हैं। एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल आफिसर्स एसोसिएशन के जनपद सचिव हरजीत सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधि अपने भत्ते सर्वसम्मति से बढ़वा लेते हैं लेकिन वह कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की बात आती है तो सरकार टाल मटोल करती है। उन्होंने कहा कि यदि पेंशन समाप्त करनी है तो सभी सांसद एवं विधायकों की पेंशन क्यों नहीं बद करती? सभा को विभिन्न विभागों से आये कई अधिकारियों व कर्मचारियों ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि देय भत्तों में वृद्धि की जाये। शिथिलीकरण नियमावली 2010 को यथावत किया जाये, पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाये, अटल आयुष्मान योजनांतर्गत लाभान्वित होने वाले सभी कर्मियों को सरकारी चिकित्सालय से रेफर की अनिवार्यता की बाध्यता को समाप्त कर समस्त कर्मियों के लिए एक समान नीति लागू हो, इसके अतिरिक्त वक्ताओं ने वेतन वृद्धि सहित अन्य कई मांगों को भी उठाया। इस दौरान वक्ताओं ने आज के कार्य बहिष्कार से आम जनता को हुई परेशानियों के लिए क्षमा याचना भी की। धरना प्रदर्शन में मोहन सिंह राठौर, मो. असलम, योगेश तिवारी, दीपक, बलवंत राम, रघुवर दत्त जोशी, एके सिंह, सुधाकर दुबे, अशोक कुमार, प्रदीप जोशी, भारत जोशी, एमसी जोशी, कमल जोशी, पान सिंह, हरीराम, श्यामदत्त कोली, आनंद बल्लभ पाठक, रविन्द्र चंद्रा, विद्यासागर, महेंद्र सिंह, अमित प्रसाद, योगेश ततराड़ी, प्रियांशु, गीता जोशी, शिल्पी रानी, केएन तिवारी, योगेश घिल्डियाल, कंचन आर्य समेत विभिन्न विभागों से आये भारी संख्या में अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। कर्मचारियों व अधिकारियों के सामूहिक अवकाश के चलते आज विकास भवन, कलेक्ट्रेट सहित तमाम विभागीय कार्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा।

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