मुकदमा दर्ज करने में पुलिस आगे मगर अपराधियों के प्रति नरमःबेहड़

कई बड़ी अपराधिक घटनाओं के मामले में पुलिस के हाथ आज भी खाली

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मुकदमा दर्ज करने में पुलिस आगे मगर अपराधियों के प्रति नरमःबेहड़
रूद्रपुर। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड़ ने रुद्रपुर पुलिस द्वारा उन पर दर्ज किये गए मुकदमों के मामले में पुलिस को ही कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि जो तत्परता पुलिस ने उन पर व मलसा गिरधरपुर के गाँव वालों पर मुकदमे दर्ज करने में दिखाई है,यदि यही तत्परता पुलिस अपराधियों की धरपकड़ में दिखाए तो रुद्रपुर थाने की सीमान्तर्गत हुए कई अनसुलझे कांडों से पर्दा उठ जायेगा। श्री बेहड़ ने कहा कि यह शर्म की बात है कि घटना के इतने दिन बीतने पर भी अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। मलसा में हुआ गोलीकांड पूरे तरीके से पुलिस की निष्क्रियता का परिणाम है। अगर क्षेत्र के पुलिस चैकी इंचार्ज लापरवाह न होते तो गोलीकांड कभी संभव नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा कि वह समझ सकते हैं कि राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस इस गोलीकांड में संलिप्त हुई है और दोषियों को पकड़ने में हीलाहवाली कर रही है। श्री बेहड़ ने कहा कि घटना की देर रात्रि उन्हें सूचना मिली कि उनके पैतृक गाँव में उनके परिजनों पर गोलियां चल गयी हैं। एक जनप्रतिनिधि और गाँव का ही बेटा होने के नाते उन्होंने वहां पहुंचना अपना धर्म समझा। हमला उनके परिजनों की जगह किसी और पर भी होता तो भी वह अपना दायित्व निभाने गाँव अवश्य पहुँचते। उन्होंने सवाल किया कि यदि भारी भरकम पुलिस फोर्स वहां पहुँच सकती है तो क्या एक जनप्रतिनिधि की हैसियत से वह अकेले वहां नहीं जा सकते थे। उन्होंने कहा की जब वह गाँव पहुंचे तो ग्रामीणों में पुलिस के खिलाफ जमकर गुस्सा व रोष था। मगर एक जिम्मेदार व्यक्ति की हैसियत से उन्होंने रुद्रपुर कोतवाल के सामने ही गुस्साई भीड़ को समझा-बुझाकर घर भेजा व किसी अनहोनी को टाल दिया। सारे मामले को शांत कराकर वह देर रात्रि अपने घर वापिस पहुंचे थे। तो जनता स्वयं समझे कि क्या उन्होंने अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में कहीं कोई कमी छोड़ी। श्री बेहड़ ने कहा कि इससे पूर्व भी उन्होंने अपना दायित्व निभाते हुए पुलिस व प्रशासन को अनेक बार संकट से बाहर निकाला है। बीते वर्ष संजय नगर में हुए गोलीकांड में जब एक कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी थी और गुस्साई भीड़ कानून हाथ में लेने पर आमादा थी तब भी उन्होंने ही पहुंचकर भीड़ को शांत किया था जबकि उस समय तक घटनास्थल पर मात्र दो सिपाही मौजूद थे। यदि वह लोगों को शांत न करते तो पूरे शहर का माहौल खराब हो जाता। ऐसे एक नहीं कई उदहारण हैं,जब उन्होंने एक जन प्रतिनिधि होने के नाते पुलिस की हरसंभव मदद की है। श्री बेहड़ ने कहा कि क्या इन्हीं जिम्मेदारियों को पूरा करने का ईनाम पुलिस ने उनपर व ग्रामीणों पर मुकदमे लगाकर दिया है। जिस जनपद में अपराधों की बाढ़ आयी हो और पुलिस जघन्य अपराधियों को पकड़ने में नाकाम हो वहां पुलिस की इस तरह की कार्यप्रणाली हास्यास्पद ही कही जाएगी। लाॅकडाउन के दौरान भी जब चारों तरफ पुलिस की तैनाती है तो चोर बेखौफ दुकानों के ताले तोड़ने में लगे हैं। कच्ची शराब का धंधा पुलिस के संरक्षण में फल-फूल रहा है, स्मैक की तस्करी भी बेरोकटोक जारी है। श्री बेहड़ में कहा कि पुलिस विभाग को आत्म अवलोकन करना चाहिए कि वह यहाँ हुए कितने ही गंभीर अपराधों का खुलासा आखिर क्यों नहीं कर पाए। कीरतपुर गाँव का गोलीकांड हो या माॅडल काॅलोनी में पड़ी करोड़ों की डकैती, या फिर पंजाब के दुर्दांत अपराधियों का शहर में शरण लेने का किस्सा हो, ऐसे अनेक मामले हैं जहाँ पुलिस के हाथ आज भी खाली हैं। पुलिस की भूमिका इन मामलों में निसंदेह संदिग्ध है और समय आने पर इनका भी खुलासा किया जायेगा।

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