राजधानी में पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे बिक रही अंग्रेजी शराब

शराब माफियाओं ने की खुलेआम फेसबुक के माध्यम से आनलाइन बिक्री,पुलिस आबकारी विभाग खामोश

0

राजधानी में पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे बिक रही अंग्रेजी शराब
अनिल सागर
देहरादून । सरकार की नाक के नीचे शराब माफियाओं ने लाॅक डाउन में अंग्रेजी और देशी शराब में लाखों के वारे वारे न्यारे कर लिए और सरकार को कानों कान खबर भी नहीं हुई। इस अवधि में सीमाएं सील होने के बावजूद भी राजधानी में अंग्रेजी की शराब महंगे दामों में बिकती रही और आबकारी महकमा सोता रहा। आबकारी विभाग ने लाकडाउन होने के बाद समय से शराब के ठेके सील किए होते इतनी बड़ी मात्रा में राजधानी में शराब की कालाबाजारी नहीं होती। देश में लाकडाउन होने से पहले ही उत्तराखंड सरकार ने लाॅक डाउन होने की घोषणा की तैयारी कर दी थी जिसकी भनक शराब माफियाओं को लग चुकी थी,इसी का फायदा उठाते हुए शराब माफियाओं ने अंग्रेजी और देशी शराब को ठिकाने लगा दिया। प्रधानमंत्री ने जब जनता कफ्र्यू घोषित किया था तब शायद ही कम लोगों को पता था कि यह कफ्र्यू आगे बढ़ सकता है। जनता कफ्र्यू की शाम ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने प्रदेश मे लाॅकडाउन घोषित कर दिया था जिसके बाद देश के प्रधानमंत्री ने पूरे देश में लाॅक डाउन करने की घोषणा कर दी। उत्तराखंड में लाॅक डाउन की घोषणा होने के बाद ही शराब माफियाओं के कान खड़े हो गए और उन्होंने शराब में बड़ा खेल कर दिया। दरअसल आबकारी विभाग ने शराब के नए टेंडर निकाल दिए थे जो कि 19 मार्च को आवंटित किए गए थे। नए दुकानदारों को नए ठेके जल्दी ही सौंपे जाने थे। इसलिए पुराने ठेकेदारों को अपना बचा हुआ माल खपत भी करना था मतलब बिक्री करना था लेकिन लाॅकडाउन की घोषणा होने के बाद शराब माफियाओं ने इसी बच्चे हुए माल में बड़ा खेल कर दिया। शराब की दुकानों के साथ ही गोदाम से भी शराब की सप्लाई होती रही। यहां तक कि लाॅक डाउन होने के बाद अगले दिन राजधानी में बाजार तो नहीं खुले लेकिन शराब की दुकानें खुल गई जहां पर शराब खरीदने वालों की खासी भीड़ भी टूट गई। काफी देर बाद पुलिस ने मौके पर जाकर भीड़ को हटाया और शराब की दुकानें बंद कराई। लाॅकडाउन की अवधि में राजधानी देहरादून के अलावा रुड़की हरिद्वार ,रायवाला ,)षिकेश नैनीताल ,उधम सिंह नगर के अलावा पर्वतीय क्षेत्र में भी अंग्रेजी और देशी शराब महंगे भाव में बिकती रही लेकिन यहां भी आबकारी विभाग सोता रहा। रुड़की में पुलिस व प्रशासन की टीम ने अंग्रेजी शराब की सैकड़ों पेटियां गश्त के दौरान पकड़ी तब खुलासा हुआ कि उत्तराखंड की सीमा पर अंग्रेजी शराब के ठेके से गुपचुप तरीके से शराब निकालकर ब्लैक करने के लिए जा रही थी। इसके अलावा )षिकेश में भी शराब के ठेके में सील लगी होने के बाद भी शराब सप्लाई की खबर आती रही। रायवाला में देशी शराब के ठेके पर 3 कर्मचारी शराब बेचते हुए मुख्य में पकड़े गए यह सब लाॅक डाउन की अवधि में होता रहा। इस दौरान जहां दुकानदार को दुकान खोलने की राहत नहीं मिल रही थी ऐसे में यह शराब माफिया मिलीभगत से अपने कारोबार को अंजाम दे रहे थे आबकारी विभाग के कमिश्नर ने भी इस बात की पुष्टि की है कि लाॅक डाउन की अवधि में शराब विक्रेताओं द्वारा अवैध रूप से शराब का बिक्री करना सामने आ रहा है जिसकी जांच की जा रही है विभाग के मुताबिक आदेश दिया गए हैं। ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति ना हो लेकिन सवाल यह है कि आबकारी विभाग ने अब तक ऐसी कितनी कार्यवाही की जिसमें शराब माफियाओं के गठजोड़ का मामला सामने आया। शराब की दुकानें सील करने में हुई लापरवाही राजधानी समेत प्रदेश के कई इलाकों में प्रशासन द्वारा जो शराब की दुकानें सीज की गई उनमें काफी लापरवाही बरती गई । समय से शराब की दुकानों को सील नहीं किया। इसका फायदा शराब माफियाओं ने जमकर उठाया । शराब माफियाओं ने नए टेंडर की आड़ में भी जमकर खेल खेला। पुलिस व प्रशासन के अधिकारी की आंखों में भी धूल झोंक दे रहे इसी का फायदा उठाकर इन शराब माफियाओं ने शराब की बड़ी ब्लैक कर दी।

सोशल मीडिया के माध्यम से होती रही शराब की बिक्री

देहरादून। उत्तराखंड मे शराब के ठेके बंद थे ,लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी में सोशल मीडिया पर आॅनलाइन शराब की बिक्री चल रही थी ,हालांकि सोशल मीडिया पर इस सोशल साइट को फर्जी बताया जा रहा था ,लेकिन अंदर खाने यही सोशल मीडिया की साइट शराब माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही थी लोग इस फेसबुक सोशल मीडिया को फर्जी समझ रहे थे। फेसबुक पर इस साइट पर जो फोटो लगाई गई थी मुख्यमंत्री आवास से आधा किलोमीटर पहले हाथी बड़कला में स्थित दुकान बताई जा रही थी लेकिन हकीकत में यह फोटो मसूरी रोड आरटीओ आॅफिस के पास ठेके की थी। इसी का फायदा शराब माफिया उठाते रहे। उन्हें कमेंट से पता चल रहा था किसको जरूरत है किसको नहीं और बाद में उसे संपर्क किया जा रहा था। राजधानी की पुलिस भी इस सोशल मीडिया की साइट फेसबुक पर वायरल हो रही थी उससे कम अनजान नहीं थी लेकिन इसके बावजूद भी आॅनलाइन वाइन शाॅप की फेसबुक पोस्ट को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.